परिप्रेक्ष्य
इजराइल और यमन के हौथी विद्रोहियों के बीच हालिया मिसाइल हमलों और हवाई हमलों की श्रृंखला ने मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा दिया है। 21 जुलाई को, इजराइली सैन्य बलों ने यमन से दागी गई एक सतह-से-सतह मिसाइल को इंटरसेप्ट किया। इस घटना के बाद, यमन के हौथी विद्रोहियों ने दावा किया कि उन्होंने इजराइल के लाल सागर के शहर एलात को लक्षित किया था। इजराइल के एरो-3 मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने इस मिसाइल को इजराइली क्षेत्रों में पहुंचने से पहले ही नष्ट कर दिया।
हवा में तनाव
इजराइल के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, मिसाइल हमले के समय एलात शहर में एयर रेड सायरन बजने लगे और शहरवासियों ने तुरंत शरण लेने के लिए दौड़ लगा दी। यह हालिया घटना एक व्यापक जंगी स्थितियों का हिस्सा है जिसमें पिछले शनिवार को इजरायली फाइटर जेट्स ने यमन के हौथी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया था। इस हमले में कम से कम तीन लोग मारे गए और 87 घायल हो गए।
ड्रोन हमले से उत्पन्न प्रतिक्रिया
इजरायल का ताजा हवाई हमला, फरवरी में हौथी द्वारा केंद्रित तेल अवीव पर एक लंबी दूरी के ड्रोन हमले के प्रतिशोध में किया गया था। इस ड्रोन हमले में एक व्यक्ति की जान गई और चार अन्य लोग घायल हुए। यह घटनाएँ साबित करती हैं कि गाज़ा में चल रहे युद्ध ने क्षेत्रीय संघर्ष की संभावनाओं को और भी गहरा कर दिया है।
क्षेत्रीय संघर्ष की आशंका
यह घटनाएँ मुख्य रूप से गाज़ा में 7 अक्टूबर को हमास के नेतृत्व में इजराइल पर हुए हमले से उत्पन्न हुए संघर्षों का परिणाम हैं। इस संघर्ष की आग अब अन्य पड़ोसी देशों और धड़ों में भी फैलने लगी है। होदेइदाह पोर्ट के पास किए गए इजराइली हमलों ने क्षेत्रीय स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दोनो पक्षों के बीच लगातार जारी हिंसा और जवाबी कार्रवाईयों का क्रम न केवल इन दोनों देशों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इससे वैश्विक स्तर पर भी चिंताएँ बढ़ी हैं।
भविष्य की चिंता
अगर इस संघर्ष की जल्द ही कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया तो यह स्थिति और भी खराब हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की जा रही है कि वे इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों को वार्ता और संवाद के मार्ग पर लाने में मदद करें। यह जरूरी हो गया है कि क्षेत्रीय शांति स्थायी रूप से स्थापित करने के लिए एक संगठित प्रयास किया जाए।
Hemant Saini
जुलाई 22, 2024 AT 07:52इस सबके पीछे सिर्फ एक बात है - लोगों की जिंदगी बर्बाद हो रही है, और हम सब बस इसे टीवी पर देख रहे हैं। क्या हम असल में कुछ बदल सकते हैं? या फिर हम सिर्फ एक और लड़ाई के लिए नए नए तरीके सोच रहे हैं? मुझे लगता है कि जब तक हम अपने दिलों में दुश्मन नहीं छोड़ेंगे, तब तक ये चक्र नहीं टूटेगा।
हम अपने देश में भी अक्सर एक दूसरे को दुश्मन समझ लेते हैं - धर्म, भाषा, राजनीति के नाम पर। क्या हम यहां भी एक ही गलती दोहरा रहे हैं?
Nabamita Das
जुलाई 23, 2024 AT 17:05इजराइल के पास एरो-3 सिस्टम है, लेकिन हौथी के पास क्या है? बस ड्रोन और मिसाइलें जो बच्चों के खिलाफ लगती हैं। ये सब बस एक बड़े नेता के घमंड का नतीजा है। कोई भी नेता जो अपने लोगों को मारकर अपनी शक्ति दिखाना चाहता है, वो असली नेता नहीं, बल्कि एक अपराधी है।
chirag chhatbar
जुलाई 23, 2024 AT 19:54ye sab kuchh bs drama hai… kya tumne kabhi socha ki yemen ke log bhi apni zameen ke liye lad rahe hain? israel ke paas bombs hai, hamare paas kya? bas internet aur memes 😅
aur haan, israel ki missile system ka naam ‘Aero-3’ hai… nahi ‘Aero 3’… yaar kya baat hai spelling ka bhi dhyan rakh lo 😒
Aman Sharma
जुलाई 24, 2024 AT 07:35अगर यह सब गाजा के लिए है, तो फिर यमन क्यों? क्या ये सिर्फ एक तर्क बन गया है - जिसका इस्तेमाल किसी भी अन्य देश पर हमला करने के लिए किया जा सकता है?
ये बात तो बहुत आसान है - अगर तुम एक बार निशाना बना दो, तो दुनिया भर के लोग तुम्हारे नाम के साथ जुड़ जाते हैं। और अब यमन को भी इसी नाम के साथ जोड़ दिया गया है।
क्या ये वाकई सुधार की ओर जा रहा है? या बस एक बड़ा ट्रेडमिल है?
sunil kumar
जुलाई 24, 2024 AT 16:28ये सब एक एक्सपोनेंशियल एस्कलेशन है - एक ड्रोन हमला → रिटालिएशन → एयर डिफेंस सिस्टम → कॉलैटरल डैमेज → ग्लोबल स्टेबिलिटी रिस्क। अगर ये ट्रेंड जारी रहा, तो अगला स्टेप होगा - रेजिम चेंज, फ्लैग चेंज, और फिर ग्लोबल अलायंस रीएलाइन।
हमें इसे एक नेटवर्क थ्रेट के रूप में देखना होगा। न कि एक द्विपक्षीय संघर्ष के रूप में। अगर हम इसे अभी नहीं रोकेंगे, तो अगले 18 महीने में ये एक रीजनल वॉर के रूप में बदल जाएगा।
इंटरनेशनल कम्युनिटी को एक्शन लेना होगा - न कि बस स्टेटमेंट जारी करना।
Arun Kumar
जुलाई 26, 2024 AT 16:04तुम सब बस बहाने बना रहे हो। ये सब बस एक नियमित आतंकवादी राष्ट्र के खिलाफ लड़ाई है। जिन्होंने बच्चों को हथियार दिए, उनकी क्या उम्मीद है कि दुनिया उन्हें गले लगाएगी? ये लोग नहीं बदलेंगे - बस डराए जाने चाहिए।
शांति के लिए बातचीत? ये बातचीत तब होगी जब वो अपनी मिसाइलें बंद कर देंगे - न कि बात करके।
Snehal Patil
जुलाई 28, 2024 AT 06:26