हम सबको पता है कि आजकल पर्यावरण के मुद्दे हर जगह छाए हुए हैं। लेकिन अक्सर हमें समझ नहीं आता कि रोज़मर्रा की छोटी‑छोटी चीज़ों से कैसे बड़ा फर्क पड़ सकता है। इस लेख में हम सीधे बात करेंगे: क्या हो रहा है, क्यों जरूरी है और आप घर पर क्या कर सकते हैं।
पिछले महीने भारत में हवा की गुणवत्ता कई बड़े शहरों में ‘असुरक्षित’ सीमा पार कर गई। दिल्ली, कोलकाता और अहमदाबाद में PM2.5 स्तर 150 µg/m³ से ऊपर रहे। यही नहीं, समुद्री तापमान बढ़ने के कारण बंगाल की खाड़ी में मछलियों का नुकसान तेज़ी से हो रहा है। इन आँकड़ों ने सरकार को कड़े नियम बनाने पर मजबूर किया—जैसे कि नई कारों पर उत्सर्जन मानकों को 2026 तक 30% कम करना।
वहीं, सकारात्मक समाचार भी हैं: राजस्थान में सोलर ऊर्जा का उपयोग 40% बढ़ा और गुजरात के कुछ ग्रामीण इलाकों ने अब पूरी तरह से जल शोधन प्लांट लगा लिए हैं। इस तरह की पहलें न सिर्फ पर्यावरण बचाती हैं बल्कि रोजगार भी पैदा करती हैं।
सबसे बड़ा असर रोज़मर्रा की आदतों से आता है। उदाहरण के लिए, अगर आप एक साल में केवल 30 % प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल कम करें तो लगभग 1.5 टन कचरा बच सकता है। साथ ही, LED लाइट्स या सौर पैनल वाले चार्जर लगवाने से बिजली बिल पर 50% तक बचत हो सकती है।
कुड़ेदानी को अलग‑अलग बॉक्स में रखें और कंपोस्ट बनाकर घर के बगीचे को पोषित करें—यह न केवल कचरा घटाता है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी बढ़ाता है। अगर आपके पास छोटा बालकनी या छत है तो उसमें पॉटिंग करके स्थानीय जड़ी‑बूटीं उगाएँ; इससे वायु शुद्ध होगी और आपका मन भी हल्का होगा।
पानी बचाने के लिए नल को ठीक से बंद रखें, दो बाथरूम में एक ही समय पर नहीं चलाएँ और धोलने वाले कपड़े को आधा भर कर धोएँ—इन छोटे‑छोटे बदलावों से सालाना लाखों लीटर पानी बच सकता है।
अंत में याद रखें, बड़े परिवर्तन छोटी‑छोटी कोशिशों का जमावड़ा होते हैं। चाहे आप कारपूलिंग चुनें या साइकिल पर ऑफिस जाएँ, हर कदम पर्यावरण को थोड़ा बेहतर बनाता है। इस टैग पेज पर हम नियमित रूप से नई खबरें और आसान टिप्स डालते रहेंगे—तो वापस आते रहें और अपनी हरित यात्रा में साथ दें।
दिल्ली में लद्दाख भवन के बाहर प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक और 20 अन्य प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। यह समूह लद्दाख को संविधान के छठे शेड्यूल में शामिल करने के समर्थन में प्रदर्शन कर रहा था। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के पास विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं थी। पुलिस ने इन्हें कुछ समय बाद छोड़ने का आश्वासन दिया। हाल में यह समूह लेह से दिल्ली तक मार्च कर चुका है।