मशहूर पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी का मामला
रविवार को दिल्ली पुलिस ने लद्दाख भवन के बाहर हुए एक प्रदर्शन में 20 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया। गिरफ्तारी किए गए लोगों में प्रमुख पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक भी शामिल थे। यह घटना उस समय हुई जब समूह शांतिपूर्ण तरीके से भवन के बाहर बैठा था। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों के पास इस स्थान पर एकत्र होने की अनुमति नहीं थी।
सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों ने लद्दाख के लिए छठे शेड्यूल की मांग करते हुए लेह से दिल्ली तक मार्च किया था। उनका कहना है कि भारतीय संविधान के छठे शेड्यूल में लद्दाख को शामिल किया जाए ताकि वहां के लोगों को स्वायत्तता मिल सके। छठा शेड्यूल असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम जैसी पूर्वोत्तर राज्यों में आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के लिए प्रावधान करता है। इसका उद्देश्य इन क्षेत्रों को स्वायत्त परिषदों के माध्यम से प्रशासनिक शक्तियां प्रदान करना है।
प्रदर्शनकारियों की अन्य मांगें
सोनम वांगचुक और उनके समर्थक इस मांग के साथ ही लद्दाख के लिए अलग राज्य और सार्वजनिक सेवा आयोग की स्थापना की भी मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, यह समूह लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटों की भी मांग कर रहा है। प्रदर्शनकारी शीर्ष नेताओं से मुलाकात करना चाहते हैं ताकि उनकी मांगे सुनी जाएं और उचित कार्रवाई की जा सके।
वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारी समय निकालकर लद्दाख के मुद्दों पर ध्यान दें। उनकी मांग है कि लद्दाख के लोगों के इतिहास, संस्कृति और रहन-सहन की विशेषताओं को पहचान कर उन्हें संवैधानिक सुरक्षा मिले।
प्रशासन का जवाब
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने स्पष्ट किया कि प्रदर्शनकारियों को इस स्थान पर इकट्ठा होने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने कहा कि समूह ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने के लिए आवेदन दिया था, जिसका अभी विचार किया जा रहा है। लेकिन लद्दाख भवन के बाहर उनका प्रदर्शन अनुचित था। जिसकी वजह से उन्हें हिरासत में लिया गया। हालांकि, अधिकारी का यह भी कहना है कि हिरासत में लिए गए सभी लोग जल्द ही रिहा कर दिए जाएंगे।
प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से भारी संख्या में पुलिस बल वहां तैनात किया गया था। यह सुनिश्चित किया गया कि किसी प्रकार की अशांति न फैले और कानून व्यवस्था बनाए रखी जा सके।
सोनम वांगचुक का कदम
सोनम वांगचुक, जो कि एक प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी कदमों के लिए जाने जाते हैं, का कहना है कि लद्दाख की सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए यह जरूरी कदम है। वह लद्दाख की विशिष्ट संस्कृति और यहां के पर्यावरण के संरक्षण के लिए अलग अमूल्य योगदान दे चुके हैं। उनकी पहलें लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में कामयाब हो चुकी हैं।
उनके इस आंदोलन का उद्देश्य लद्दाख के लोगों को उचित राजनीतिक और सामाजिक अधिकार प्रदान करना है जिससे उनकी आवश्यकताओं और इच्छाओं को सही प्लेटफॉर्म मिल सके।
वांगचुक की पहलें मानव अधिकारों और पर्यावरणीय स्थिरता को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने अपनी शिक्षण विधियों और टिकाऊ विकास के लिए विकसित किए गए मॉडल के माध्यम से पूरी दुनिया में पहचान बनाई है।