नवरात्री भारत का एक बड़ा त्यौहार है, जहाँ नौ रातों और दस दिनों तक देवी दुर्जा के विभिन्न रूपों की पूजा होती है। लोग घर‑घर दीप जलाते, माँ दुर्गा को अन्न‑पानी चढ़ाते और रंग‑बिरंगी पोशाकें पहनते हैं। यह समय परिवार के साथ मिलकर रिवाज निभाने का भी होता है, चाहे वो गरबा हो या दांडीया।
हर रात माँ दुर्गा के अलग‑अलग रूप की पूजा होती है—शैलपुत्री से लेकर काली तक। कई शहरों में गरबा और दांडीया की थिरकती धुनें गूँजती हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजन का जश्न बड़े परेड और पंडाल में होता है।
भोजन भी खास होता है; सात फसलें, फल‑साबूदाने, और मिठाइयाँ इस उत्सव के मुख्य हिस्से हैं। लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हुए ‘गुज़रिए’ या ‘शुभ नवरात्रि’ कहते हैं।
इस साल नवरात्री 1 अक्टूबर से शुरू होगी, इसलिए अभी से योजना बनाना फायदेमंद है। यदि आप बड़े पंडाल देखना चाहते हैं तो दिल्ली‑मुंबई‑कोलकाता जैसे शहरों में पहले से ही टिकट उपलब्ध हैं। घर पर पूजा करने वालों के लिए ऑनलाइन काला-धूप और फूलों की डिलीवरी भी आसान हो गई है।
सुरक्षा का ध्यान रखना ज़रूरी है—भीड़भाड़ वाले स्थानों में मास्क पहनें, हाथ धोएँ और सामाजिक दूरी रखें। अगर आप गरबा या दांडीया सीखना चाहते हैं तो स्थानीय सांस्कृतिक केंद्र में ऑनलाइन क्लासेज़ बुक कर सकते हैं; कई ट्यूटर्स मुफ्त वीडियो भी शेयर करते हैं।
नवरात्री के अंत में विजयादशमी (दसवाँ दिन) को ‘दुर्गा पूजा’ का समापन होता है, जहाँ माँ दुर्गा को विस्मरण किया जाता है और घर‑घर साफ़‑सुथरा करके नया साल स्वागत किया जाता है। इस दिन मिठाईयों की भरमार होती है—‘शरबत’, ‘लड्डू’, ‘पायसम’ आदि।
आप चाहे कहीं भी हों, नवरात्री का असली मतलब अपने भीतर शांति और शक्ति को जागृत करना है। इसलिए इस साल इसे बड़े जोश के साथ मनाएँ, लेकिन हमेशा अपने और दूसरों की सेहत का ख़याल रखें।
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ चंद्रघंटा की आराधना की जाती है, जो देवी दुर्गा का तीसरा रूप है। इस दिन की पूजा विधि में सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनना, दीप जलाना, फूल, फल और मिठाई अर्पित करना शामिल है। माँ चंद्रघंटा का मंत्र 'ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः' का जाप और आरती करना आवश्यक है। यह पूजा शांति, समृद्धि और खुशहाली लाती है।