नवरात्रि का दूसरा दिन और माँ चंद्रघंटा की महिमा
भारत में नवरात्रि का पर्व अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह नौ दिन का त्योहार देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों को समर्पित है। नवरात्रि का दूसरा दिन विशेष रूप से माँ चंद्रघंटा को समर्पित है, जिन्हें देवी दुर्गा का तीसरा रूप माना जाता है। उनका नाम चंद्रमा के आकार की घंटा के समान माथे पर सुशोभित होकर मिलता है। यह देवी का यह रूप शांति और सौम्यता का प्रतीक है, लेकिन साथ ही जब उनके भक्तों पर संकट आता है तो यह दुष्टों का संहार करने वाली होती हैं। उनकी पूजा से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि
नवरात्रि के इस दिन श्रद्धालुओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद, स्वच्छ वस्त्र धारण करना महत्वपूर्ण है। माँ चंद्रघंटा की मूर्ति या प्रतिमा के सामने एक शांत और शुद्ध स्थान पर बैठकर पूजा आरंभ करें। सबसे पहले दीप प्रज्वलित करें और माँ की आरती उतारें। उन्हें फूल, फल और मिठाई अर्पित करें। इस दौरान माँ चंद्रघंटा के मंत्र 'ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः' का जाप करें। जाप पूरा होने के बाद माँ की आरती करें। यह प्रक्रिया भक्त को आंतरिक और बाहरी शांति दोनों प्रदान करती है।
माँ चंद्रघंटा के प्रसन्नता के उपाय
माँ चंद्रघंटा की प्रसन्नता के लिए कुछ विशिष्ट उपाय भी बताए गए हैं। ऐसा कहा गया है कि इस दिन सफेद कपड़े पहनना शुभ होता है, क्योंकि यह शांति का प्रतीक है। माँ को दूध और मिठाई का भोग लगाना विशेष लाभकारी माना जाता है और वही दूध और मिठाई जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। यह कर्म हमें दया भाव और करुणा की ओर प्रेरित करता है। इसके अलावा, 'ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः' मंत्र का 108 बार जाप करने से भक्त अपने जीवन के अनेक कष्टों से मुक्त हो सकता है।
माँ चंद्रघंटा की आराधना का महत्व
माँ चंद्रघंटा की पूजा उनके भक्तों के लिए अत्यंत फलदायक मानी जाती है। उनकी आराधना से नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और सकारात्मकता का संचार होता है। जब भक्त ध्यान करते हैं, तो वे आंतरिक शांति अनुभव करते हैं और उनका आत्मविश्वास प्रबल होता है। माँ चंद्रघंटा की कृपा से भक्त को जीवन में आने वाले सभी प्रकार के अवरोधों से मुक्ति मिलती है। इस प्रकार, नवरात्रि के दूसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा विधिपूर्वक करने से जीवन में खुशहाली और समृद्धि का आगमन होता है।
नवरात्रि के दौरान देवी के प्रत्येक रूप की पूजा का अपना अलग महत्व है, और माँ चंद्रघंटा का रूप साहसिकता और शांति का मिलाजुला स्वरूप माना जाता है। उनकी पूजा से व्यक्ति के मन में अध्यात्मिकता और शक्ति का संचार होता है। इसी कारण यह दिन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है और श्रद्धालुओं को इस दिन का पूरा लाभ उठाने में प्रमाद नहीं करना चाहिए।
Sandesh Gawade
अक्तूबर 6, 2024 AT 20:14भाई ये चंद्रघंटा की पूजा तो हर साल वही बातें हैं जो किताबों में लिखी हैं। कोई नया टिप नहीं? असली शक्ति तो तुम्हारे अंदर है न कि घंटे में।
Pooja Tyagi
अक्तूबर 8, 2024 AT 12:29अरे यार! मैंने आज सुबह सफेद साड़ी पहनी और दूध-लड्डू दान किए! 😍 और जाप भी 108 बार किया! अब तो मेरी नौकरी तो बदल ही जाएगी! 🙏🙏
chirag chhatbar
अक्तूबर 9, 2024 AT 21:38चंद्रघंटा? ये कौन सी नई बात है? मैंने तो दुर्गा ही पूजी है सालों से। ये रूप तो बाजार में बेचे जा रहे हैं।
Roy Roper
अक्तूबर 10, 2024 AT 05:36मंत्र जाप करने से पहले तो अपने घर की बात सुधारो भाई। बाहर की पूजा तो बहुत हो रही है अंदर तो बर्बरता है।
Snehal Patil
अक्तूबर 10, 2024 AT 10:16तुम सब दूध देते हो लेकिन अपने बच्चे को खाना नहीं देते। ये दान बस इमेजिंग है। 😒
Vikash Yadav
अक्तूबर 11, 2024 AT 03:44भाई ये चंद्रघंटा की बात तो सुनकर लगा जैसे कोई शांति की बारिश हो रही हो। मैंने तो आज सुबह एक फूल चढ़ाया और आंख बंद करके सिर्फ सांस ली। वो शांति जो मिली... बस बोल नहीं सकता। 🌿
Hemant Saini
अक्तूबर 11, 2024 AT 16:06असल में ये सब पूजा-विधि तो बस एक तरह की धार्मिक रूटीन है। अगर तुम्हारा दिल शांत है तो चंद्रघंटा तुम्हारे साथ हैं बिना घंटे के।
Kulraj Pooni
अक्तूबर 11, 2024 AT 23:13ये दान करने का नियम? अगर तुम अपने बहन को दूध नहीं देते तो फिर दूसरों को क्यों देना? ये सब नकली धार्मिकता है।
Nabamita Das
अक्तूबर 12, 2024 AT 09:21सफेद कपड़े पहनना शुभ है? ये तो बस एक परंपरा है। अगर तुम अपने काम में ईमानदारी से लग जाओ तो देवी खुद आपके साथ होती हैं।
sunil kumar
अक्तूबर 12, 2024 AT 17:39ये जाप तो एक अद्भुत न्यूरोलॉजिकल बीट एंट्रेनमेंट है! 108 बार जाप से आपका ब्रेन रिसेट हो जाता है! इसे डेल्टा-वेव मेडिटेशन के साथ कॉम्बाइन करो और तुरंत लाइफ-कॉच एनर्जी अपग्रेड होगा! 🔥🧠
Arun Kumar
अक्तूबर 13, 2024 AT 15:05तुम सब ये जाप करते हो लेकिन अपने बाप के साथ बात नहीं करते। वो तो तुम्हारी असली देवी है।
sivagami priya
अक्तूबर 13, 2024 AT 17:56मैंने तो आज सुबह चंद्रघंटा की आरती गाई... और फिर अपने बच्चे को बुखार लग गया! 😭 क्या मैंने कुछ गलत किया?!
MANOJ PAWAR
अक्तूबर 14, 2024 AT 20:35देवी का रूप तो हमारे अंदर है। जब तुम किसी की मदद करते हो, जब तुम अपने डर को चुनौती देते हो, तब तुम चंद्रघंटा को जीते हो। ये सब घंटे-दीप-फूल बस निशानी हैं।
Anuj Poudel
अक्तूबर 15, 2024 AT 20:17मैंने इस दिन एक गरीब बच्चे को किताबें दीं। उसने मुस्कुराया। अब मैं समझ गया कि चंद्रघंटा की आराधना बाहर नहीं, अंदर होती है। ये शांति और दया का संदेश है।
Aman Sharma
अक्तूबर 17, 2024 AT 00:39ये सब पूजा विधि तो बस एक ब्राह्मणवादी नियंत्रण तंत्र है। तुम लोग इतने आसानी से क्यों मान जाते हो? अपने दिमाग का इस्तेमाल करो।