FCRA – विदेशी योगदान विनियम अधिनियम

जब बात FCRA, विदेशी योगदान विनियम अधिनियम (Foreign Contribution Regulation Act) का उल्लेख आती है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि यह कानून भारत में विदेशी फंडिंग पर नियंत्रण रखता है। अक्सर इसे विदेशी योगदान नियम भी कहा जाता है। यह अधिनियम NGOs, धार्मिक संस्थानों और अन्य नॉन‑प्रॉफिट संगठनों को विदेश से मिलने वाले दान को ट्रैक और नियमन करने के लिए बनाया गया है।

एक प्रमुख NGO, गैर‑सरकारी संगठन जो विभिन्न सामाजिक कार्यों में संलग्न होते हैं को FCRA के तहत रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में दस्तावेज़ जमा करना, फाइलिंग शुल्क भरना और मंत्रालय को आवश्यक जानकारी देना शामिल है। जब कोई NGO रजिस्ट्रेशन प्राप्त कर लेता है, तो उसे फंड प्राप्त करने के लिए मंत्रालय (MHA), भारतीय गृह मंत्रालय, जो FCRA के कार्यान्वयन की देखरेख करता है की मंजूरी लेनी पड़ती है। इस प्रकार, FCRA के अनुपालन में NGO, मंत्रालय और विदेशी दाता के बीच एक स्पष्ट समन्वय स्थापित होता है।

FCRA का मुख्य उद्देश्य दो बातें हैं: पहला, विदेशी धन का दुरुपयोग रोकना और दूसरा, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से संभावित जोखिमों को कम करना। इस अधिनियम के तहत हर विदेशी योगदान का विवरण वार्षिक रिपोर्ट में शामिल करना पड़ता है, जिसे ऑडिट, व्यवस्थात्मक जांच जो फंड के उपयोग की सत्यता सुनिश्चित करती है द्वारा सत्यापित किया जाता है। उचित ऑडिट न होने पर लाइसेंस रद्द या प्रतिबंधित हो सकता है, इसलिए कई NGOs अपने वित्तीय प्रबंधन को सख्त बनाते हैं।

कई प्रमुख घटनाओं ने हाल के वर्षों में FCRA को और अधिक कठोर बना दिया है। उदाहरण के तौर पर, 2020 में सरकार ने कुछ बड़े धार्मिक संस्थानों के लाइसेंस को रद्द किया, जिससे राष्ट्रीय मुद्दों में FCRA की भूमिका स्पष्ट हुई। साथ ही, 2023 में नियमों में यह बदलाव आया कि विदेशी फंड की क्लॉर क्लॉगिंग के लिए विस्तृत समय सीमा निर्धारित की गई, जिससे NGOs को ट्रांसफ़र के पहले अनुमोदन लेना ज़रूरी हो गया। यही कारण है कि अब सभी संबंधित पक्ष—NGO, दाता, मंत्रालय—को पहले से बेहतर समन्वय और प्रलेख तैयार रखने पड़ते हैं।

FCRA से जुड़ी compliance प्रक्रिया में अक्सर दो मुख्य चुनौतियां आती हैं: दस्तावेज़ीकरण और समयसीमा का पालन। कई NGOs को रिपोर्टिंग के लिए डाटा संग्रह में कठिनाई होती है, खासकर जब कई छोटे दाताओं से विभिन्न देशों से फंड आता है। इस समस्या का समाधान अक्सर एक विशेष सॉफ़्टवेयर, डिजिटल टूल जो फंड ट्रैकिंग और रिपोर्ट जनरेशन को आसान बनाते हैं के प्रयोग से किया जाता है। ऐसे टूल्स के माध्यम से NGOs अपना रिकॉर्ड सुरक्षित रख सकते हैं और MHA को समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकते हैं।

तो अब आप समझ सकते हैं कि FCRA सिर्फ एक क़ानूनी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि NGOs और विदेशी दाताओं के बीच पारदर्शिता, जवाबदेही और सुरक्षा का पुल है। नीचे आप देखेंगे कि इस टैग से जुड़े विभिन्न लेखों में कैसे विदेशी फंडिंग, राष्ट्रीय सुरक्षा, और सामाजिक कार्यों के बीच संतुलन बनाते हुए नवीनतम खबरें और विश्लेषण प्रस्तुत किए गए हैं। इन लेखों को पढ़कर आप FCRA के अपडेट्स, अनुपालन टिप्स और वास्तविक केस स्टडीज़ से खुद को अपडेट रख सकते हैं।

CBI ने Sonam Wangchuk के संस्थानों पर FCRA उल्लंघन की जांच शुरू की

लेखक तमनाया शर्मा ने CBI द्वारा Sonam Wangchuk के HIAL और SECMOL संस्थानों पर FCRA उल्लंघन की प्रारंभिक जांच को विस्तार से बताया है। मंत्रालय ने SECMOL की FCRA लाइसेंस भी रद्द कर दी है। इस कदम का समय Ladakh में राज्यhood के लिये हुए दंगे से जुड़ा है। Wangchuk ने भी आरोपों को ‘witch‑hunting’ कह कर खारिज किया है।