CBI ने Sonam Wangchuk के संस्थानों पर FCRA उल्लंघन की जांच शुरू की

CBI ने Sonam Wangchuk के संस्थानों पर FCRA उल्लंघन की जांच शुरू की

CBI जांच का पृष्ठभूमि

जब Ladakh में राज्यhood के लिये लाखों लोगों ने सड़कों पर उतरना शुरू किया, तब केंद्र के प्रमुख जांच एजेंसी CBI ने भी एक नया प्रकरण शुरू कर दिया। एजेंसी ने Ladakh‑based शिक्षाविद् और जलवायु कार्यकर्ता Sonik Wangchuk के दो संस्थानों – Himalayan Institute of Alternatives Ladakh (HIAL) और Students' Educational and Cultural Movement of Ladakh (SECMOL) – में संभावित FCRA उल्लंघन की प्रारम्भिक जांच शुरू की है।

CBI की टीम ने लेह में लगभग एक सप्ताह तक वित्तीय दस्तावेज़ों की बारीकी से जाँच की। शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने विदेश से प्राप्त फंडों के लिये आवश्यक FCRA स्पष्टता नहीं मिलने का आरोप लगाया है। इस बीच, जांच के दौरान कोई FIR दर्ज नहीं हुआ है, लेकिन एजेंसी ने पहले ही Ministry of Home Affairs (MHA) को अपनी शुरुआती निष्कर्षों की सूचना दे दी थी।

जांच के मुख्य बिंदु ये रहे:

  • सेक्यूलर फंड ट्रांसफर की प्रक्रिया में FCRA मानकों के अनुपालन की कमी।
  • 2021 में 3.35 लाख रुपये की विदेशी दान राशि – जिसे Wangchuk ने एक पुराने ऋण के रूप में बताया।
  • स्वीडन से आये फंड का ट्रांसफर, जिसे MHA ने "राष्ट्रीय हित के खिलाफ" कहा।
राजनीति और प्रोटेस्ट के बीच का संगम

राजनीति और प्रोटेस्ट के बीच का संगम

जाँच की शुरुआत के कुछ दिन पहले, लेह में राज्यhood की माँग को लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों में हिंसा भड़क उठी। 24 सितंबर को चार लोग मारे गए और कई जाँच अधिकारी घायल हुए। विरोधियों ने एक BJP कार्यालय और CRPF की गाड़ी को आग लगा दी, जिससे सुरक्षा बलों को तीखा गैस व गोलीबारी तक करनी पड़ी।

इन घटनाओं के बाद MHA ने सार्वजनिक रूप से Sonam Wangchuk पर “उत्साही बयानों” के जरिए युवाओं को हिंसा की ओर धकेलने का आरोप लगाया। जबकि Wangchuk ने बताया कि वह हमेशा शांतिपूर्ण रैली का समर्थन करता रहा है और 15‑दिन तक चलने वाले हंगर स्ट्राइक का समापन भी इसी शर्त पर किया था। लद्दाख के लटवर्ड लाइटगवर्नर Kavinder Gupta ने भी कहा कि असली उकसाने वाले “मिसक्रेक्ट” हैं, न कि सामाजिक कार्यकर्ता।

इसी बीच, Union Home Ministry ने 25 सितंबर को SECMOL की FCRA लाइसेंस को रद्द कर दिया। यह कदम संस्थान के खाते में कई अनियमितताओं की रिपोर्ट पर आधारित था, विशेष तौर पर विदेशी फंड के प्रयोग को लेकर सवाल उठे थे।

Wangchuk ने सरकार के इस कदम को “witch‑hunting” कह कर खारिज किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से एक नया बस खरीदा और बाद में 17 लाख रुपये की कीमत वाला उसी बस को संस्थान को दान कर दिया, जिससे पहले का ऋण पूरी तरह माफ हो गया। वह यह भी मानते हैं कि यह पूरी प्रक्रिया राजनीतिक दबाव का हिस्सा है, ना कि कोई वास्तविक वित्तीय दुष्प्रयोग।

जाँच के चलते अब दो बड़े प्रश्न सामने हैं: क्या ये जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष है, या राज्यhood आंदोलन को दबाने का साधन? और अगर संस्थान ने वास्तव में FCRA नियमों का उल्लंघन किया है, तो इसका Ladakh के शैक्षणिक व पर्यावरणीय कार्यों पर क्या असर पड़ेगा? इन सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिल पाए हैं, लेकिन इस मामले की आगे की दिशा दोनों ही क्षेत्रों—राजनीति और सामाजिक कार्य—को प्रभावित कर सकती है।

18 Comments

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    sivagami priya

    सितंबर 26, 2025 AT 18:34

    ये सब बस एक बड़ा धोखा है! जब लद्दाख के बच्चों को शिक्षा मिल रही है, तो अब FCRA का नाम लेकर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है? क्या ये सरकार का असली लक्ष्य है? ये जांच बिल्कुल भी निष्पक्ष नहीं है! 😡

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    Anuj Poudel

    सितंबर 27, 2025 AT 16:19

    सच तो ये है कि जब कोई व्यक्ति इतना बड़ा आंदोलन चला रहा हो, तो उसके संस्थानों पर नजर डालना जरूरी है। लेकिन अगर वहां कोई गलती है, तो उसे सही करने का रास्ता निष्पक्ष जांच है, न कि राजनीतिक दबाव।

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    Aishwarya George

    सितंबर 28, 2025 AT 19:03

    मैंने HIAL के बारे में काफी जानकारी एकत्र की है। उनकी शिक्षा प्रणाली बेहद प्रभावी है, और विदेशी फंड का उपयोग पूरी तरह पारदर्शी था। जो राशि आई थी, उसका हर रुपया बच्चों की पढ़ाई और ऊर्जा उत्पादन पर खर्च हुआ। अगर इसे FCRA उल्लंघन कहा जा रहा है, तो फिर देश के 90% NGO गिरफ्तार हो जाएंगे।

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    Vikky Kumar

    सितंबर 29, 2025 AT 19:16

    यह जांच बिल्कुल भी अनुचित नहीं है। यदि कोई संस्था विदेशी धन प्राप्त करती है और उसका उपयोग राष्ट्रीय हित के खिलाफ करती है, तो यह एक आतंकवादी गतिविधि के समान है। Sonam Wangchuk ने एक विदेशी फंड को ऋण के रूप में छिपाया है। यह अपराध है, न कि नागरिक अधिकार।

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    manivannan R

    सितंबर 30, 2025 AT 07:41

    फ्रेंड्स, ये सब बहुत टेंशन है। मैंने भी SECMOL के बारे में सुना है - वो बच्चे जो बर्फ से बने घरों में पढ़ते हैं, उन्हें बस दिया गया था। अब ये बस खरीदने के लिए विदेशी पैसे लगे? ये तो बहुत बेसिक बात है। अगर ये गलत है, तो फिर हमारी सभी NGO की जिंदगी क्या होगी? 😅

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    Uday Rau

    अक्तूबर 2, 2025 AT 07:29

    लद्दाख की धरती पर जो भी काम होता है, वो न सिर्फ शिक्षा है - वो एक जीवन शैली है। Sonam ने बर्फ के गुम्बद बनाकर ऊर्जा बचाई, बच्चों को डिजिटल लर्निंग दी, और उन्हें अपनी पहचान दी। अब ये विदेशी फंड का मामला? ये तो वो है जब दिल डर जाता है और बुद्धि बंद हो जाती है।

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    sonu verma

    अक्तूबर 3, 2025 AT 04:17

    मैंने एक बार HIAL के छात्रों के साथ बात की थी। वो बता रहे थे कि वो कैसे अपने गांव में बिजली लाए। वो बस एक बच्चा था, जिसने अपने घर के बाहर बर्फ से बना गुम्बद देखा और सोचा - इसे मैं बना सकता हूं। ये जांच उन सपनों को मार रही है।

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    Siddharth Varma

    अक्तूबर 4, 2025 AT 02:00

    क्या ये सच में FCRA उल्लंघन है या बस एक तरह का डर? क्योंकि अगर ये सिर्फ एक बस खरीदने के लिए फंड लिया गया था, तो ये तो बहुत छोटी बात है। अगर वो बस अपने नाम पर थी, और बाद में दान कर दी, तो फिर क्या गलत है?

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    chayan segupta

    अक्तूबर 4, 2025 AT 02:09

    भाईयों, इस जांच को रोको! ये बस एक बड़ा शोर है। Sonam ने तो अपना खुद का पैसा भी दान किया है। अगर ये भी गलत है, तो देश में कोई अच्छा इंसान नहीं बचा है। जल्दी से इसे बंद करो, नहीं तो लद्दाख के बच्चे बिल्कुल बेसहारा हो जाएंगे। 🙏

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    King Singh

    अक्तूबर 5, 2025 AT 01:09

    मैं एक छोटे गांव से हूं। हमारे बच्चे भी अब वहीं पढ़ते हैं जहां Sonam ने शुरुआत की। उनकी बस और बर्फ के गुम्बद ने हमारे गांव को बदल दिया। अगर ये जांच बंद नहीं हुई, तो हम भी डर जाएंगे।

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    Dev pitta

    अक्तूबर 6, 2025 AT 13:20

    मुझे लगता है कि ये सब बहुत जटिल है। लेकिन एक बात स्पष्ट है - अगर कोई व्यक्ति बच्चों के लिए काम कर रहा है, तो उसका इरादा अच्छा होता है। अगर फंड का उपयोग गलत हुआ, तो उसे सुधारो। लेकिन उसकी नीयत को नहीं तोड़ो।

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    praful akbari

    अक्तूबर 8, 2025 AT 06:42

    एक व्यक्ति जो बर्फ के गुम्बद बनाता है, वो राष्ट्र का दुश्मन नहीं हो सकता। जांच तो हो सकती है, लेकिन दिल से नहीं।

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    kannagi kalai

    अक्तूबर 8, 2025 AT 17:00

    मुझे लगता है ये सब बहुत ज्यादा बड़ा मामला बना दिया गया है।

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    Roy Roper

    अक्तूबर 9, 2025 AT 11:18

    FCRA उल्लंघन है तो कानून लागू करो। बहस नहीं।

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    Sandesh Gawade

    अक्तूबर 11, 2025 AT 03:47

    ये जांच बिल्कुल भी निष्पक्ष नहीं है! ये तो बस एक राजनीतिक शोर है। लद्दाख के लोगों को राज्य चाहिए, और वो बस इसीलिए लड़ रहे हैं। अगर तुम एक शिक्षक को डरा रहे हो, तो तुम देश को नहीं बचा रहे हो - तुम उसे मार रहे हो।

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    MANOJ PAWAR

    अक्तूबर 11, 2025 AT 11:26

    मैंने एक बार लेह में एक बर्फ के गुम्बद के अंदर बैठकर बच्चों को पढ़ाते देखा था। उनकी आंखों में एक ऐसी चमक थी जो मैंने कभी नहीं देखी। अगर ये जांच उन आंखों को बुझा देती है, तो देश का भविष्य क्या बचेगा?

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    Pooja Tyagi

    अक्तूबर 11, 2025 AT 17:30

    अरे भाई, ये तो बस एक बस खरीदने की बात है! और फिर इतना बड़ा शोर? अगर वो बस अपने नाम पर थी और बाद में दान कर दी, तो ये तो बहुत अच्छी बात है! अब जांच करो, लेकिन इसे राजनीति मत बनाओ! 🙄

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    Kulraj Pooni

    अक्तूबर 12, 2025 AT 04:31

    क्या आप जानते हैं कि एक व्यक्ति जो विदेशी धन का उपयोग राष्ट्रीय हित के खिलाफ करता है, वो देशद्रोही होता है? यह नहीं कि वो बच्चों को पढ़ाता है - यह तो बस एक छल है। आप जिसे अच्छा समझते हैं, वो असल में बहुत बुरा हो सकता है। जांच बंद नहीं होनी चाहिए।

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