जब भी आप किसी मंदिर या घर में कदम रखते हैं, सबसे पहले सुनाई देने वाली आवाज़ आरती होती है। यह सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि दिल की धड़कन को शांत करने वाला मंत्र है जो हमारे मन‑और‑आत्मा को जोड़ता है। अगर आपने कभी सोचा हो कि रोज़ाना पाँच मिनट की आरति आपके दिन को कैसे बदल सकती है, तो ये लेख आपकी मदद करेगा।
आरती की जड़ें प्राचीन वैदिक समय से जुड़ी हैं, लेकिन आजकल यह हर भाषा‑भाषी के घर में अलग‑अलग शैली में गाई जाती है। उत्तर भारत में ध्वनि वाले बेलनाकार ‘धूप’ और दक्षिण में फूलों का उपयोग आम है। छोटे‑बड़े त्यौहारों पर गाए जाने वाली आरती अक्सर वही गीत होते हैं जो बचपन से ही सुने जाते थे, इसलिए ये हमारे दिल की यादों में बसी रहती हैं।
आरती को रोज़ाना करना आसान है, बस कुछ छोटे‑छोटे नियम अपनाएँ: सबसे पहले साफ‑सुथरा स्थान बनायें, फिर दीपक या मोमबत्ती जलाईँ। हाथ में धूप या चंदन रख कर ‘ॐ’ की ध्वनि से आरम्भ करें। फिर मनपसंद भजन या श्लोक के साथ धीरे‑धीरे गाएँ—ध्यान रहे आवाज़ तेज़ नहीं होनी चाहिए, ताकि घर का माहौल शांत बना रहे। अंत में दीपक को दो मिनट तक बुझने दें; यह ऊर्जा को घर में फैलाता है।
अगर आपके पास समय कम है तो 2‑3 मिनट की छोटी आरती भी काफी असरदार होती है। बस एक छोटा बांसुरी या मोबाइल ऐप से रिवाज के अनुसार ध्वनि चलाएँ, फिर आँखें बंद कर मन ही मन धन्यवाद कहें। इस छोटे‑से अभ्यास से तनाव घटता है और दिन भर का ऊर्जा स्तर बढ़ता है।
आरती सिर्फ धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाती है। कई शोध बताते हैं कि संगीत के साथ श्वास‑प्रश्वास नियंत्रण करने पर डोपामिन की रिहाई होती है, जिससे खुशहाली महसूस होती है। इसलिए जब आप घर में या ऑफिस में थकान महसूस करें, तो एक मिनट की आरती आपके मूड को तुरंत बदल देगी।
भक्तों के लिए ये एक सामुदायिक जुड़ाव का जरिया भी है। अक्सर लोग अपने पड़ोसियों या दोस्तों को साथ बुला कर समूह में आरती गाते हैं—इससे आपसी बंधन मजबूत होते हैं और सामाजिक समर्थन मिलता है। अगर आपका कोई दोस्त अलग‑धर्म वाला हो, तो आप उसकी संस्कृति से सीखते हुए नई धुनें जोड़ सकते हैं।
आजकल ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर कई प्रकार की आरती उपलब्ध हैं। यूट्यूब, Spotify या विशेष धार्मिक ऐप्स में विभिन्न भाषा और शैली की रिकॉर्डिंग मिलती है। इनको डाउनलोड करके अपने फोन में रखिए; जब भी मन करे, बस प्ले कर लें। इस तरह आप यात्रा के दौरान या काम के बीच भी अपनी आध्यात्मिक रूटीन जारी रख सकते हैं।
समाप्त करने से पहले याद रखें—आरती का असली मकसद दिल को शुद्ध करना है, न कि दिखावे की। इसलिए जब भी गाएँ, तो पूरी तरह अपने मन में भावनाओं को झलकेँ और भगवान या शक्ति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें। इस सादगी भरे अभ्यास से आप हर दिन एक नई ऊर्जा के साथ शुरू करेंगे, चाहे वह काम का हो या घर का मामला।
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ चंद्रघंटा की आराधना की जाती है, जो देवी दुर्गा का तीसरा रूप है। इस दिन की पूजा विधि में सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनना, दीप जलाना, फूल, फल और मिठाई अर्पित करना शामिल है। माँ चंद्रघंटा का मंत्र 'ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः' का जाप और आरती करना आवश्यक है। यह पूजा शांति, समृद्धि और खुशहाली लाती है।