जब दिल्ली ने 30 सितम्बर 2025 को सुबह 28.2°C का न्यूनतम तापमान दर्ज किया, तो यह स्पष्ट हो गया कि इस साल का सितम्बर कोई साधारण महीना नहीं होगा। यह मान औसत सत्रकालीन तापमान से लगभग पाँच डिग्री अधिक है, और पिछले छह वर्षों में सबसे गर्म सुबह के रूप में डाटा में अंकित है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि यह असामान्य गर्मी दक्षिण‑पश्चिमी मानसूनदिल्ली के पहले हटने से सीधे जुड़ी है।
पृष्ठभूमि एवं मौसमी स्थिति
परम्परागत रूप से, सितंबर के मध्य में दिल्ली में रात का तापमान 23‑24°C के आसपास गिर जाता है, जिससे शहर को थोड़ी राहत मिलती है। इस वर्ष, 24 सितम्बर को दक्षिण‑पश्चिमी मानसून ने आखिरी बार भीगती हुई हवा नहीं छोड़ी—यह 2002 के बाद सबसे जल्दी निकला, जैसा कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने पुष्टि की। जबकि उत्तरी भारत के कई हिस्सों में 42% अतिरिक्त वर्षा दर्ज हुई, दिल्ली को इस मानसून‑आधारित ठंडक का बिल्कुल भी लाभ नहीं मिला।
तापमान रिकॉर्ड और आँकड़े
28.2°C की सुबह का तापमान एक ही स्तर पर दो लगातार दिनों—29 और 30 सितम्बर—के लिए बना रहा। इससे पहले, 12 सितम्बर 2019 को 29.6°C का रिकॉर्ड था, जो अब पुराना हो गया। दिन के दौरान, 29 सितम्बर को अधिकतम तापमान 38.1°C तक पहुंच गया, जबकि 30 सितम्बर को 37.5°C दर्ज किया गया। दोनों ही परिस्थितियों में औसत से लगभग तीन डिग्री अधिक रहे, जिससे यह दो साल में सबसे गर्म सितम्बर दिवस बन गया।
- न्यूनतम तापमान: 28.2°C (30 सितम्बर)
- अधिकतम तापमान: 38.1°C (29 सितम्बर), 37.5°C (30 सितम्बर)
- औसत से विचलन: +5°C (न्यूनतम), +3°C (अधिकतम)
- मानसून निकासी: 24 सितम्बर 2025, 2002 के बाद सबसे जल्दी
कारण और मौसमी विश्लेषण
ऑफलाइन क्लाउड कवर के अभाव ने सूर्य की तेज़ किरणों को जमीन तक सीधा पहुँचाया, जिससे धूप की तीव्रता अधिक हुई। साथ ही, राजस्थान और दक्षिण‑हरियाणा से बहती सूखी, गर्म हवाएँ दिल्ली के ऊपर गहरी गर्मी ले आईं। उच्च आर्द्रता—56% से 76% के बीच—एक ऊष्मा‑रोक थैंब के जैसे काम कर रही थी, जिससे रात में ठंडा होने की प्रक्रिया बाधित रही। विशेषज्ञों का मानना है कि शहरी हीट आयलैंड प्रभाव—असफ़ल्ट, कंक्रीट और ऊँचे इमारतों का गर्मी को अवशोषित करना—इस तापमान को और बढ़ा रहा है।

सरकारी प्रतिक्रिया और चेतावनियाँ
इसी बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने सोमवार को ऑरेंज अलर्ट और अगले दो दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी किया। विभाग की परिभाषा के अनुसार, जब अधिकतम तापमान 40°C से ऊपर हो और औसत से 4.5°C से अधिक अंतर हो, तो इसे हीटवव कहा जाता है; गंभीर हीटवव के लिए 45°C की सीमा तय है। हालांकि इस सप्ताह कोई तापमान 40°C से नहीं पहुँचा, फिर भी लगातार रात‑भर की गर्मी ने स्वास्थ्य अभिभावकों को सतर्क कर दिया।
स्थानीय डॉक्टरों ने विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और एलीमेंटरी रोगियों को जलयोजन बनाए रखने और हल्के कपड़े पहनने की सलाह दी। "यदि हवा में आर्द्रता इतनी अधिक है तो शरीर के वास्पराइज़ेशन में बाधा आती है," एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, "इसलिए समय‑समय पर ठंडे पानी से नहाना मददगार हो सकता है।"
भविष्य की भविष्यवाणी और प्रभाव
आगामी दो हफ्तों में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने हल्की बारिश और धुँधली हवाओं का पूर्वानुमान दिया है। 31 सितम्बर से 5 अक्टूबर तक लगातार बादल छाने की संभावना है, जिससे न्यूनतम तापमान लगभग 23°C और अधिकतम 32°C तक गिर सकता है। यदि यह परिदृश्य बना रहा, तो निचली सत्रकालीन तापमान में गिरावट से ऊर्जा खपत में कमी और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर तनाव घट सकता है। लेकिन अगर धुंध की कमी और पुनः साफ़ आकाश हो गया, तो फिर से तापमान बढ़ने का जोखिम बना रहेगा।
व्यापक संदर्भ: 2025 भारत‑पाकिस्तान हीट वेव
दिल्ली की गर्मी को अकेले नहीं माना जा सकता; यह 2025 की भारत‑पाकिस्तान हीट वेवभारत का हिस्सा है, जो अप्रैल से ही शुरू हुई और प्रचंड तापमान के साथ पूरे उपमहाद्वीप को प्रभावित कर रही है। इस व्यापक लहर ने न सिर्फ ऊर्जा मांग को 15% तक बढ़ा दिया, बल्कि फसल कटाई में भी गंभीर देरी और फसल उत्पादन में गिरावट का कारण बना। स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्मी से जुड़ी बीमारियों में 30% की वृद्धि की सूचना दी, जिससे सरकारी उपायों की तत्परता की मांग तेज हो गई।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या दिल्ली में अब भी गर्मी अलर्ट जारी रहेगा?
अभी के मौसम मॉडल के अनुसार, अगले पाँच दिनों में बादल और हल्की बारिश की संभावना है, जिससे तापमान में धीरे‑धीरे गिरावट आएगी। लेकिन यदि मौसम साफ़ हो गया, तो फिर से ऑरेंज या रेड अलर्ट जारी हो सकता है।
मानसून की इतनी जल्दी वापसी के कारण क्या हैं?
विज्ञानियों का मानना है कि एशिया‑पैसिफिक ओसिनोफ़ॉन में असामान्य उच्च तापमान ने दक्षिण‑पश्चिमी मानसून को सामान्य से पाँच दिन जल्दी हटने पर मजबूर किया। इस बदलाव से शुष्क पवनों का प्रवाह तेज़ हुआ।
आधारभूत स्वास्थ्य मुद्दे क्या हैं?
उच्च आर्द्रता के कारण हाइड्रेशन कम होने, हीट स्ट्रोक, छाती में जलन और पुरानी बीमारियों वाले लोगों में दवा के असर में बदलाव जैसी समस्याएँ प्रमुख हैं। डॉक्टर ने विशेष रूप से बुजुर्गों को अक्सर पानी पीने की सलाह दी है।
क्या यह हीट वेव कृषि को प्रभावित करेगा?
हरियाणा और राजस्थान में धान के धान की फसल पर नकारात्मक असर देखा जा सकता है, क्योंकि तेज़ गर्मी और कम बारिश ने फसल के पकने की अवधि को कम कर दिया। इससे किसानों को उत्पादन घटने और आय में कमी का खतरा है।
क्या भविष्य में ऐसे सत्रकालीन बदलाव की संभावना है?
जलवायु विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि अगले कुछ दशकों में मानसून की अवधि में अनिश्चितता बढ़ेगी और अधिक बार असामान्य तापमान देखे जा सकते हैं। यह प्रवृत्ति जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दर्शाती है।
Ashutosh Kumar Gupta
सितंबर 30, 2025 AT 23:32इतनी अजीब गर्मी को देख कर लगता है अथाह नाडिया का शाप आया है।