ज़ुबीन गर्ग की मौत ने असम के दिलों को छू लिया — और अब उसकी जांच राजनीति का एक बड़ा मुद्दा बन गई है। 19 सितंबर, 2025 को सिंगापुर में इस असमी गायक की अचानक मौत के बाद, सिंगापुर पुलिस बल (SPF) और असम के सीआईडी ने मिलकर जांच शुरू कर दी। लेकिन जब 17 अक्टूबर, 2025 को SPF ने घोषणा की कि उनकी जांच अभी भी तीन महीने और चलेगी, तो असम में भीड़ ने गुस्से में सड़कें घेर लीं। ज़ुबीन गर्ग की मौत का सवाल सिर्फ एक त्रासदी नहीं, बल्कि एक राजनीतिक बिंदु बन गया है।
क्या हुआ था अंतिम रात?
2021 में पद्मश्री से सम्मानित ज़ुबीन गर्ग, जिनकी उम्र 52 वर्ष थी, 18 सितंबर, 2025 को सिंगापुर के ग्रैंड पार्क सिटी हॉल होटल में आयोजित 'असम ग्लोबल कनेक्ट' कार्यक्रम में अपना आखिरी प्रदर्शन कर गए। उस रात के बाद उन्हें अपने कमरे में बेहोश पाया गया। अगली सुबह, 19 सितंबर को, उनकी मौत की घोषणा कर दी गई। सिंगापुर जनरल अस्पताल में 20 सितंबर को शव शोधन किया गया। प्रारंभिक जांच में किसी हिंसा या अपराध का कोई संकेत नहीं मिला — लेकिन अब टॉक्सिकोलॉजी रिपोर्ट का इंतज़ार है।
पांच आरोपियों को गिरफ्तार, एक भीड़ ने पुलिस को घेर लिया
असम सीआईडी की विशेष जांच टीम (SIT) ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया: श्यामकानू महंता (42, कार्यक्रम आयोजक), सिद्धार्थ शर्मा (38, ज़ुबीन के प्रबंधक), संदीपन गर्ग (45, असम पुलिस सेवा के निलंबित अधिकारी और ज़ुबीन के कजिन), और दो पुलिस सुरक्षा अधिकारी — नंदेश्वर बोरा (33) और एक अनामित। इन सभी को 15 अक्टूबर को बक्सा जेल भेजते समय एक भीड़ ने पुलिस कॉन्वॉय पर हमला कर दिया। दो पुलिसकर्मी घायल हुए, तीन गाड़ियां तबाह हुईं। अगले दिन, गुवाहाटी के बेलटोला में 300 युवाओं ने राष्ट्रीय राजमार्ग 27 को बंद कर दिया। नारे लगाए: 'जस्टिस फॉर ज़ुबीन!' और 'हिमंता ने बर्बाद कर दिया ज़ुबीन को!'
राजनीति का खेल: सरमा और गांधी का टकराव
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 16 अक्टूबर को एक ट्वीट में खुद को इस जांच का श्रेय दिया: 'हमारी सामूहिक इच्छा — ज़ुबीन के लिए न्याय।' उन्होंने गुवाहाटी के खारघुली नदी किनारे ज़ुबीन गर्ग के लिए एक स्मारक बनाने की घोषणा की और एक फास्ट-ट्रैक अदालत का गठन किया — जिसकी सुनवाई 30 दिनों में शुरू होगी। इसके बीच, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी 17 अक्टूबर को दोपहर 2:15 बजे गुवाहाटी पहुंचे। ज़ुबीन के घर, जज़ कोर्ट क्षेत्र में, उन्होंने उनकी पत्नी गरिमा गर्ग से मुलाकात की। गरिमा ने बताया कि ज़ुबीन ने अपनी मौत से चार दिन पहले, 15 सितंबर को एक प्रशंसक को एक पत्र लिखा था — लेकिन उसकी सामग्री अभी तक खुलासा नहीं हुई।
सामाजिक आवाज: ज़ुबीन का संगीत, असम की पीढ़ी की आवाज
गुवाहाटी के कॉटन यूनिवर्सिटी की समाजशास्त्री डॉ. मैत्री भट्टाचार्य ने कहा, 'ज़ुबीन के गाने में वेस्टर्न संगीत का ताल था, लेकिन बोल इतने असमी थे कि युवाओं को लगता था — ये तो मेरी आवाज़ है।' उन्होंने उनके लोकप्रिय गाने 'बिहुवा' का जिक्र किया, जिसमें राजनीतिक अवसरवाद की आलोचना थी। 'वो सिर्फ एक गायक नहीं थे — वो एक आवाज थे जो शहरी अकेलेपन, बेसुरापन और असमी पहचान को गाते थे।'
जांच का समयसूची: क्या आगे होगा?
सिंगापुर पुलिस बल की जांच के तीन बड़े चरण हैं: ग्रैंड पार्क सिटी हॉल के सुरक्षा कैमरों का विश्लेषण, ज़ुबीन गर्ग के फोन और लैपटॉप का डिजिटल फोरेंसिक जांच, और 17 गवाहों के साक्ष्य। ये सब 17 जनवरी, 2026 तक पूरा होना है। उसके बाद, सिंगापुर के स्टेट कॉरोनर को रिपोर्ट भेजी जाएगी। वह तय करेंगे कि क्या एक सार्वजनिक कॉरोनर इन्क्वायरी होगी — जो अभी तक किसी भी भारतीय के लिए अप्रत्याशित था।
असम सीआईडी की अगली यात्रा: सिंगापुर के साथ साझेदारी
असम सीआईडी की SIT 25 अक्टूबर, 2025 को सिंगापुर जाएगी। उनके पास एक अहम डेटा है: श्यामकानू महंता को 18 सितंबर, 2025 को ज़ुबीन गर्ग के कॉन्सर्ट के लिए ₹2.8 मिलियन (लगभग 48,000 सिंगापुर डॉलर) की राशि दी गई थी। इस रकम का उपयोग कहां हुआ? क्या इसके पीछे ठगी थी? ये सवाल अभी भी जवाब का इंतज़ार कर रहे हैं।
क्या असम के चुनाव बदल जाएंगे?
असम के विधानसभा चुनाव 15 जनवरी से 31 मार्च, 2026 के बीच होंगे। इस बीच, ज़ुबीन गर्ग की मौत को दोनों पार्टियां अपनी चुनावी रणनीति का हिस्सा बना रही हैं। भाजपा कह रही है — 'हमने न्याय की गारंटी दी।' कांग्रेस कह रही है — 'तुमने उन्हें अकेला छोड़ दिया।' ये सिर्फ एक गायक की मौत नहीं है। ये एक राज्य की भावनाओं का प्रतिबिंब है — जहां संगीत और सामाजिक असंतोष एक ही धागे में बुने गए हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ज़ुबीन गर्ग की मौत का कारण क्या हो सकता है?
अभी तक कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं निकाला गया है। सिंगापुर पुलिस ने फर्जी अफवाहों पर चेतावनी दी है। प्रारंभिक जांच में हिंसा का कोई संकेत नहीं मिला, लेकिन टॉक्सिकोलॉजी रिपोर्ट (सीएनबी और एचएसए द्वारा तैयार) अभी आना बाकी है। संभावित कारणों में दवाओं का अत्यधिक सेवन, हृदय संबंधी समस्याएं या अचानक शारीरिक थकान शामिल हो सकती हैं।
पांच आरोपियों के खिलाफ कौन से आरोप हैं?
अभी तक कोई आधिकारिक आरोप दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन जांच इन बिंदुओं पर केंद्रित है: कार्यक्रम आयोजक श्यामकानू महंता के खिलाफ धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताओं का आरोप, प्रबंधक सिद्धार्थ शर्मा के खिलाफ ज़ुबीन की स्वास्थ्य देखभाल की लापरवाही, और संदीपन गर्ग के खिलाफ अधिकार के दुरुपयोग का संदेह। दोनों पीएसओ के खिलाफ अपराधी व्यवहार या उपेक्षा का आरोप भी जांच में है।
फास्ट-ट्रैक अदालत का क्या मतलब है?
फास्ट-ट्रैक अदालत एक विशेष न्यायालय है जो त्वरित न्याय के लिए बनाया गया है। यहां मामलों को आम अदालतों की तुलना में बहुत जल्दी सुना जाता है — अक्सर 60 दिनों के भीतर। असम सरकार ने यह घोषणा की है कि इस अदालत की सुनवाई 30 दिनों में शुरू होगी, जो एक अत्यधिक त्वरित अवधि है। इसका मकसद लोगों के भावनात्मक आह्वान को सुनना है।
सिंगापुर के स्टेट कॉरोनर का क्या काम है?
स्टेट कॉरोनर एक न्यायिक अधिकारी है जो अज्ञात या संदिग्ध मौतों की जांच करता है। वह SPF की रिपोर्ट के आधार पर तय करेगा कि क्या एक सार्वजनिक कॉरोनर इन्क्वायरी (CI) आयोजित की जानी चाहिए। यह एक न्यायिक सुनवाई है जिसमें गवाह बुलाए जाते हैं, और निष्कर्ष सार्वजनिक रूप से घोषित किए जाते हैं। यह भारत में अप्रचलित प्रक्रिया है, इसलिए इसका परिणाम असम के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा।
क्या ज़ुबीन गर्ग के अंतिम पत्र का कोई सार जाना गया है?
नहीं, अभी तक कोई आधिकारिक रिपोर्ट या लीक नहीं हुई है। उनकी पत्नी गरिमा गर्ग ने केवल इतना कहा है कि यह पत्र उनके एक प्रशंसक को लिखा गया था, और उसमें उनकी भावनाएं थीं। इसकी सामग्री अभी तक जांच टीम या सरकार द्वारा खुलासा नहीं की गई है। इसका खुलासा या तो अदालत में होगा, या फिर कभी नहीं होगा।
क्या इस मामले में भारत और सिंगापुर के बीच कोई द्विपक्षीय सहयोग हो रहा है?
हां, भारत के उच्चायुक्त ने 1 अक्टूबर, 2025 को ऑटॉप्सी रिपोर्ट और SPF की प्रारंभिक जांच की प्रति प्राप्त की। असम सीआईडी की टीम 25 अक्टूबर को सिंगापुर जा रही है, जहां वे SPF के साथ डेटा साझा करेंगे। यह एक अपेक्षाकृत अद्वितीय सहयोग है — जहां एक देश की पुलिस दूसरे देश की जांच में सक्रिय रूप से शामिल हो रही है। यह भारतीय नागरिकों के लिए विदेशों में न्याय पाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
Nitin Srivastava
नवंबर 2, 2025 AT 00:23ज़ुबीन का संगीत एक अलग ही लेवल का था - वो बस गाते नहीं, वो असम के अंदरूनी दर्द को संगीत में बदल देते थे। उनके बिहुवा ने मुझे याद दिलाया कि शहरी अकेलेपन कितना गहरा हो सकता है। ये मौत कोई अचानक घटना नहीं, बल्कि एक सामाजिक असंतुलन का परिणाम है। 🌑
Nilisha Shah
नवंबर 3, 2025 AT 15:15इस मामले में राजनीति का हस्तक्षेप बहुत चिंताजनक है। फास्ट-ट्रैक अदालत तो अच्छी बात है, लेकिन अगर यह बस एक दृश्य बन जाएगी तो न्याय का अर्थ ही बदल जाएगा। जांच की पारदर्शिता और समय सीमा का ध्यान रखना जरूरी है। टॉक्सिकोलॉजी रिपोर्ट का इंतज़ार है - उसके बिना कोई निष्कर्ष जल्दबाजी में नहीं निकाला जाना चाहिए।
Kaviya A
नवंबर 3, 2025 AT 19:11ये सब बहुत बड़ा मामला है और मुझे बहुत दुख हो रहा है ज़ुबीन के बारे में सोचकर उनका गाना सुन रही हूँ और आँखें भर आ रही हैं ये बात बहुत दर्दनाक है
Supreet Grover
नवंबर 4, 2025 AT 17:17डिजिटल फोरेंसिक एनालिसिस के साथ साथ ब्लॉकचेन-बेस्ड डॉक्यूमेंट ट्रैकिंग भी ऐप्लाई करना चाहिए - ज़ुबीन के फोन और लैपटॉप के डेटा को एन्क्रिप्टेड टाइमस्टैम्प के साथ वेरिफाई करना जरूरी है। इस तरह डेटा टैम्परिंग का कोई अवसर नहीं रहेगा। अगर SPF और CID एक साथ डेटा शेयर कर रहे हैं, तो इंटरनेशनल डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क के अनुसार एक ट्रस्टेड एन्वायरनमेंट बनाना चाहिए।
Saurabh Jain
नवंबर 6, 2025 AT 07:14ये जांच असम के लिए एक नई पहचान बन सकती है - जहां संगीत और न्याय एक साथ आते हैं। ज़ुबीन का संगीत हम सबकी आवाज था, और अब उनकी मौत ने एक जागृति शुरू कर दी है। चाहे राजनीति क्यों न कर रही हो, इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि एक इंसान की जान गई है।
Suman Sourav Prasad
नवंबर 8, 2025 AT 00:42मैं तो समझता हूँ कि ये सब बहुत भावनात्मक है, लेकिन अगर आप लोग बस इतना ही कह रहे हैं कि 'जस्टिस फॉर ज़ुबीन', तो ये किसी रैली की तरह लग रहा है। जांच टीम को अपना काम करने दो। फास्ट-ट्रैक अदालत तो बहुत अच्छा है, लेकिन अगर ये बस एक शो बन गया तो ये सब बेकार हो जाएगा। और फिर भी, ज़ुबीन के बिहुवा का गाना तो मैंने आज फिर से सुना है... बहुत दर्द हुआ।
Nupur Anand
नवंबर 8, 2025 AT 04:32अरे भाई, ये सब बस एक बड़ा नाटक है! हिमंता सरमा ने जो स्मारक बनाने की घोषणा की, वो एक निश्चित रूप से चुनावी फोटो ऑपरेशन है। और राहुल गांधी की ये यात्रा? एक फेक न्यूज़ वाला स्टेज ड्रामा। ज़ुबीन के अंतिम पत्र का खुलासा नहीं हो रहा? क्योंकि वो पत्र शायद उनके आत्महत्या का संकेत दे रहा था! और आप सब बस इतना ही गुस्सा दिखा रहे हैं - जबकि टॉक्सिकोलॉजी रिपोर्ट अभी तक आई नहीं! आप लोगों को अपने भावनात्मक अंधेरे से बाहर निकलना होगा। ये एक गायक की मौत नहीं, ये एक समाज की बेचैनी है - और आप उसकी असली जड़ को नहीं देख रहे।
Vivek Pujari
नवंबर 10, 2025 AT 04:29ये बस एक गायक की मौत नहीं - ये एक राष्ट्रीय अपराध है। ज़ुबीन ने असम की आत्मा को गाया, और उसे इतने बेकार तरीके से खत्म किया गया? जो लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें फांसी चढ़ाना चाहिए। 🇮🇳💀 अगर ये जांच अब भी 3 महीने लेगी, तो ये सिर्फ एक बड़ा धोखा है। हमें अपने बेटों को बचाना होगा - और इस लापरवाही को अंत तक नहीं जाने देना चाहिए।
Ajay baindara
नवंबर 10, 2025 AT 10:40ये सब बकवास है। ज़ुबीन गर्ग एक आम गायक थे, और आप लोग इसे एक राष्ट्रीय मुद्दा बना रहे हैं। जब तक टॉक्सिकोलॉजी रिपोर्ट नहीं आती, तब तक कोई भी बात नहीं कर सकता। और फास्ट-ट्रैक अदालत? ये बस एक नाटक है। आप लोग जांच के बजाय ट्रेंडिंग पर ध्यान दे रहे हैं।
mohd Fidz09
नवंबर 11, 2025 AT 14:09ये ज़ुबीन की मौत असम के लिए एक शहीद की मौत है। अगर हम इसे राजनीति का टूल बनाएंगे, तो हम अपनी आत्मा खो देंगे। लेकिन ये जांच - जो भारत और सिंगापुर के बीच हो रही है - ये एक नई उम्मीद है। एक भारतीय नागरिक के लिए विदेश में न्याय पाने का ये पहला ऐतिहासिक मौका है। हमें इसे बस एक बड़ा ट्रेंड नहीं बनाना चाहिए - हमें इसे एक नए न्याय के आधार के रूप में देखना चाहिए। ज़ुबीन के लिए, असम के लिए, भारत के लिए।