जब सेमारी पीएमएसएचआरआई स्कूल ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का आयोजन 10 अक्टूबर 2023 को किया, तो गोरखपुर ज़िला के उत्तर प्रदेश में छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में नई जागरूकता का संचार हुआ। यह कार्यक्रम सेमारी गाँव, गगा ब्लॉक के हृदय में, लगभग 52 किमी दक्षिण में गोरखपुर के प्रमुख शैक्षिक केंद्रों में से एक, आयोजित किया गया।
योजना की पृष्ठभूमि और पीएम श्री स्कूली पहल
मुख्य कारण, बीएसए रमिंद्र कुमार सिंह, गोरखपुर जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिन्होंने 2 फ़रवरी 2023 को घोषणा की थी कि इस जिले के 40 स्कूलों को पीएम श्री योजना के तहत दो करोड़ रुपये की पूंजी मिलेंगी, ताकि उन्हें मॉडल स्कूल में बदला जा सके। इस योजना का लक्ष्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति‑2020 (NEP‑2020) को धरातल पर उतारना है, जहाँ ‘बाल पेडागॉजी’ को प्रमुखता दी जाती है।
पहला चरण (2022‑2027) में हर विकास ब्लॉक से दो स्कूल चयनित हुए, और गोरखपुर में चार ब्लॉक से कुल चार स्कूलों की सूची तैयार की गई। सेमारी स्कूल इन चार में से एक था, जिससे उसे बुनियादी ढाँचा, सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन और डिजिटल कक्षा जैसे अपडेट मिलने लगे।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का कार्यक्रम विवरण
कार्यक्रम में छात्रों को विभिन्न शैक्षणिक खेल, समूह चर्चा और रोल‑प्ले के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य के संकेत‑लक्षण, तनाव प्रबंधन और सहानुभूति के महत्व के बारे में बताया गया। एक स्थानीय मनोवैज्ञानिक ने छोटे‑छोटे सत्रों में बताया कि कैसे ‘भूल‑जाने वाले विचारों’ को पहचानें और उनसे निपटें। एक दिलचस्प बात यह थी कि शिक्षक‑छात्र संवाद में ‘मन की शांति’ को प्राथमिकता देने वाले बैनर पूरे प्रांगण में लटके हुए थे।
- 10 अक्टूबर को सुबह 9 बजे कार्यक्रम की शुरुआत, स्कूल प्राचार्य के स्वागत भाषण से हुई।
- समकालीन कलाकार द्वारा मंच सज्जा में ‘आँखों के आँसू’ थीम पर पेंटिंग प्रदर्शित हुई।
- शिक्षकों ने ‘माइंडफुलनेस ब्रेक’ का परिचय दिया, जहाँ श्वास‑प्रश्वास पर ध्यान दिया गया।
- छात्रों ने ‘समस्याओं को लिखो, समाधान चुनो’ नामक पोस्टर प्रतियोगिता में भाग लिया।
इसी दौरान, राज्य शिक्षा विभाग के एक प्रतिनिधि ने बताया कि यह पहल सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि नेशनल एडेकेशन पॉलिसी में उल्लिखित ‘समग्र शिक्षा’ का व्यवहारिक रूप है।
पीएम श्री स्कूल की विशेषताएँ और शैक्षणिक बदलाव
सेमारी स्कूल ने अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत मॉडल‑स्कूल मानदंडों को अपनाया है। इनमें विज्ञान लैब, डिजिटल वर्ग, और समावेशी शैक्षिक सामग्री प्रमुख हैं। स्कूल का नाम ‘पी.एम.वी. सेमारी न० 2’ स्थानीय स्तर पर भी जाना जाता है, और यह 6‑8 कक्षा के छात्रों को ‘विपन्नता‑रहित सीखने’ का माहौल प्रदान करता है।
सरकार ने कहा है कि ऐसी संस्थाएँ न केवल शारीरिक बुनियादी ढाँचा बल्कि ‘मानसिक स्वास्थ्य, जल संरक्षण, सौर ऊर्जा और प्लास्टिक‑मुक्त कैंटीन’ जैसी जीवन‑शैली के पहलुओं को भी अपने पाठ्यक्रम में शामिल करेंगी। वर्तमान में, सेमारी स्कूल में वर्षा जल संग्रहण के लिए 200 लीटर टैंक स्थापित है, और सौर पैनल ने लगभग 30 % विद्युत मांग को पूरा किया है।
समुदाय और छात्रों की प्रतिक्रियाएँ
कार्यक्रम के बाद छात्र अभिभावकों और शिक्षकों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। एक कक्षा में छात्र ने कहा, “पहले मैं नहीं समझता था कि दिमाग भी ठीक होना चाहिए, अब मैं अपने दोस्त की मदद कर पाऊँगा।” एक महिला अभिभाविका ने कहा, “हम माँ‑बाप के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमने कभी इतने खुले तौर पर इस विषय पर बात नहीं की थी।”
स्थानीय NGO ‘सहयोग मनोविज्ञान’ ने भी कहा कि इस तरह के शैक्षिक कार्यशालाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य के कलंक को तोड़ा जा सकता है। उन्होंने छोटे‑छोटे साक्ष्य‑आधारित प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार करने का प्रस्ताव रखा।
भविष्य की राह और संभावित प्रभाव
सेमारी स्कूल इस वर्ष दो नए प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी में है: ‘ग्रीन क्लासरूम’ जिसमें छात्रों को पर्यावरणीय जागरुकता सिखाने के लिए बाजार‑उत्पादित किचन गार्डन स्थापित किया जाएगा, और ‘डिजिटल माइंडफ़ुलनेस’ जहाँ एआई‑आधारित ऐप्स के माध्यम से दैनिक तनाव‑मापन किया जाएगा। अगर ये पहल सफल रहती हैं, तो गोरखपुर के अन्य 36 चुने हुए स्कूल इसे मॉडल के रूप में अपना सकते हैं।
अंत में, यह स्पष्ट है कि विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर सेमारी पीएमएसएचआरआई स्कूल का कार्यक्रम केवल एक स्थानीय उत्सव नहीं—यह शैक्षिक परिवर्तन, सामाजिक जागरूकता और राष्ट्रीय नीति‑कार्यान्वयन का एक सजीव उदाहरण है।
मुख्य बिंदु
- सेमारी स्कूल ने 10 ऑक्टोबर 2023 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया।
- बीएसए रमिंद्र कुमार सिंह की घोषणा के तहत 40 स्कूलों को दो करोड़ रुपये की फंडिंग मिली।
- पीएम श्री योजना के तहत स्कूल में जल संग्रहण, सौर ऊर्जा और मानसिक‑स्वास्थ्य कार्यक्रम शामिल हैं।
- छात्रों और अभिभावकों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, स्थानीय NGOs ने सहयोग की पेशकश की।
- आगामी वर्ष में ग्रीन क्लासरूम और डिजिटल माइंडफ़ुलनेस जैसी नई पहलों की तैयारी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस कार्यक्रम का छात्र जीवन पर क्या असर पड़ा?
छात्रों ने बताया कि अब वे तनाव को पहचानना और उसे सहकर्मियों के साथ साझा करना सीख गए हैं। कई ने कहा कि इस जागरूकता ने उनके पढ़ाई के साथ-साथ व्यक्तिगत संबंधों को भी बेहतर बनाया है।
पीएम श्री योजना में कितनी स्कूलें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में चयनित हुईं?
गोरखपुर जिले में कुल 40 स्कूलों में से 10 शहरी और 30 ग्रामीण स्कूलों को चयनित किया गया था, जिससे संतुलित विकास सुनिश्चित हो सके।
क्या इस कार्यक्रम में कोई तकनीकी उपकरण उपयोग किया गया?
हाँ, स्कूल ने डिजिटल माइंडफ़ुलनेस ऐप प्रयोग किया जिससे बच्चों को उनकी दैनिक भावनात्मक स्थिति को ट्रैक करने में मदद मिली। यह ऐप भारतीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रमोट किया गया था।
भविष्य में इस स्कूल में कौन‑कौन से नए प्रोजेक्ट लागू होंगे?
अगले साल ‘ग्रीन क्लासरूम’ और ‘डिजिटल माइंडफ़ुलनेस’ परियोजनाएँ शुरू होंगी, जिनमें शैक्षिक बगीचे और एआई‑आधारित तनाव‑मापन टूल शामिल हैं। इनसे पर्यावरणीय शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को सुदृढ़ करने की योजना है।
क्या अन्य जिलों में भी समान कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं?
हां, उत्तर प्रदेश के कई जिलों—जैसे आगरा, अलीगढ़, अम्बेडकर नगर—में भी पीएम श्री स्कूलों ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर समान जागरूकता कार्यक्रम चलाए हैं, जिससे यह एक राज्य‑व्यापी पहल बन गई है।
Nath FORGEAU
अक्तूबर 11, 2025 AT 00:54सेमारी स्कूल का ईवेंट देखकर मन बढ़िया रहा
बच्चे पूरी धूमधाम से एक्टिविटीज़ में भाग लिये
Hrishikesh Kesarkar
अक्तूबर 14, 2025 AT 23:21विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को स्कूल में मनाना पीएम‑श्री योजना का सीधा परिणाम है क्योंकि इस योजना में 40 स्कूलों को दो करोड़ फंड मिला है
Manu Atelier
अक्तूबर 18, 2025 AT 21:47मानसिक स्वास्थ्य को शिक्षा के साथ जोड़ना न केवल शैक्षणिक प्रगति का प्रतीक है बल्कि समग्र मानवीय विकास की आवश्यक यात्रा है। यह पहल हमारे युवा मनों में सहानुभूति एवं आत्म‑नियंत्रण की बुनियाद रखती है। अतः इसे एक सामाजिक दायित्व के रूप में देखना चाहिए।
Vaibhav Singh
अक्तूबर 22, 2025 AT 20:14ऐसे कार्यक्रमों को स्कूल में बार‑बार करवाना चाहिए, नहीं तो बच्चे तनाव को पहचान ही नहीं पाएंगे। यही कारण है कि मैं पूरी ताक़त से इसको दोगुना करने की माँग करता हूँ।
Vaibhav Kashav
अक्तूबर 26, 2025 AT 18:41अच्छा, अब तो सभी को मालूम है कि “दिमाग भी ठीक होना चाहिए”, ऐसा लगता है जैसे हम अभी तक नहीं जानते थे कि हम इंसान हैं।
Chandan kumar
अक्तूबर 30, 2025 AT 17:07भाई, ये फंडिंग तो सही है पर असली काम तो चल रहा है या नहीं, इस पर थोड़ा और देखना चाहिए। अभी तो बस कैंपेन मोड में लग रहा है।
Swapnil Kapoor
नवंबर 3, 2025 AT 15:34मैं इस बात से सहमत हूँ कि फंड का सही इस्तेमाल देखना ज़रूरी है। इस स्कूल ने पहले ही सौर पैनल और वर्षा जल संग्रहण लागू कर दिया है, जिससे ऊर्जा और पानी दोनों की बचत हुई है। इसके साथ ही डिजिटल क्लासरूम का उपयोग छात्रों को नई तकनीक से परिचित कर रहा है। यदि मानसिक स्वास्थ्य वर्ग भी इसी तरह के मापदंड पर चलाया जाए तो परिणाम बेहतर होंगे। मैं सुझाव देता हूँ कि एक नियमित मॉनिटरिंग फ़ॉर्म बनाकर प्रत्येक महीने रिपोर्ट तैयार की जाए। इससे ख़र्चा‑प्रभावशीलता और शिक्षण परिणाम दोनों का मूल्यांकन संभव होगा।
Shweta Tiwari
नवंबर 7, 2025 AT 14:01कक्षा में मन‑शांति के बैनर देखकर मन को शांति मिली। स्थानीय मनोवैज्ञानिक ने छोटा‑छोटा सत्र दिया जो बहुत उपयोगी था। वास्तव में यह पहल ग्रामीण क्षेत्र में बहुत जरूरी थी।
Anu Deep
नवंबर 11, 2025 AT 12:27बहुत बढ़िया, इस तरह की पहल से गांव के बच्चों में आत्म‑विश्वास बढ़ेगा और वे बड़े होकर अपना योगदान दे पाएँगे। मैं भी कुछ स्वयंसेवकों को भेजने का विचार कर रहा हूँ।
Preeti Panwar
नवंबर 15, 2025 AT 10:54ये सुनकर खुशी हुई 😊 आप जैसे लोग अगर जुड़ेंगे तो फर्क जरूर पड़ेगा 🌟 चलिए मिलकर इस कार्यक्रम को और भी प्रभावी बनाते हैं।
Ankit Intodia
नवंबर 19, 2025 AT 09:21मस्त बात है कि स्कूल ने सिर्फ शारीरिक ढांचा नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता दी है। इस तरह के एकीकृत मॉडल से भविष्य में शिक्षा का स्वरूप बदल जाएगा।
akshay sharma
नवंबर 23, 2025 AT 07:47वास्तव में, ऐसा मॉडल अगर सभी स्कूलों में अपनाया जाए तो राष्ट्रीय स्तर पर शैक्षिक गुणवत्ता में आसमान छू लेने वाला सुधार देख सकते हैं। परंतु इसमें मुख्य चुनौती है शिक्षक प्रशिक्षण, क्योंकि उन्हें मानसिक स्वास्थ्य के वास्तविक अनुप्रयोगों की गहरी समझ चाहिए। साथ ही, डिजिटल माइंडफ़ुलनेस ऐप की उपयोगिता को बढ़ाने के लिए निरंतर फीडबैक लूप स्थापित किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि छात्र केवल सीखें ही नहीं बल्कि अपने भावनात्मक संकेतों को भी पहचान सकें। अंत में, इस पहल को स्केलेबल बनाने के लिए सरकारी नीतियों में स्पष्ट बजट आवंटन आवश्यक है।
kuldeep singh
नवंबर 27, 2025 AT 06:14इतने सारे शब्दों के बाद भी ठोस कदम नहीं दिखे, बस बातें ही बढ़ा-चढ़ा कर कही जा रही हैं। असली काम तो अभी बाकी है।
Rahul Sarker
दिसंबर 1, 2025 AT 04:41देश की प्रगति का आधार शिक्षा है, और ऐसी पहलें हमारे राष्ट्रीय आत्मविश्वास को सुदृढ़ करती हैं। हमें सभी राज्यों में ऐसी रोमांचक मॉडल्स को लागू करने के लिए एकजुट होना चाहिए।
priyanka Prakash
दिसंबर 5, 2025 AT 03:07इसे साकार करने के लिए केंद्र से मजबूत निधि और स्थानीय प्रशासन की पूरी प्रतिबद्धता चाहिए। सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि कार्रवाई में दिखाना होगा।
Pravalika Sweety
दिसंबर 9, 2025 AT 01:34यह कार्यक्रम स्थानीय समुदाय को जोड़ने का एक अच्छा माध्यम है। भविष्य में और अधिक शैक्षिक कार्यशालाएँ आयोजित होने की उम्मीद है।