विकेटकीपर‑बल्लेबाज: क्यों है ये खेल का दोहरा हीरो?

क्रिकेट में बहुत सारे रोल होते हैं, लेकिन विकेटकीपर‑बल्लेबाज शायद सबसे दिलचस्प है। एक ही खिलाड़ी को बॉल पकड़नी होती है, रन बचाने होते हैं और साथ ही बैटिंग पे भी दबाव बनता है। यही कारण है कि कई टीमों की जीत का रहस्य अक्सर इस जॉब में छुपा होता है। अगर आप क्रिकेट देखते‑समझते समय कभी सोचते थे कि ये दो काम कैसे एक साथ होते हैं, तो पढ़िए आगे।

विकेटकीपर‑बल्लेबाज के लिये चाहिए कौन‑से कौशल?

सबसे पहला सवाल – क्या हर विकेटकीपर बैटिंग में अच्छा हो सकता है? जवाब है नहीं, पर सही ट्रेनिंग से बहुत फर्क पड़ता है। तेज़ रिफ्लेक्स, फुटवर्क और आँख‑हाथ का कॉर्डिनेशन बुनियादी चीजें हैं। साथ ही, स्कोरबोर्ड के सामने दबाव सहन करने की ताकत चाहिए, क्योंकि कभी‑कभी आप को 10 रन बचाने के बाद तुरंत बैटिंग के लिये तैयार होना पड़ता है।

दूसरा महत्वपूर्ण पहलू – पोजिशनिंग। जब बॉल मारने वाला बल्लेबाज़ राउंड द वर्ल्ड में रहता है, तो विकेटकीपर की स्थिति बदलती रहती है। इसे समझना और सही समय पर शॉट्स की प्रीडिक्शन करना आपके बैटिंग टाइम को भी बेहतर बनाता है क्योंकि आप पहले ही पिच के व्यवहार को पढ़ चुके होते हैं।

बेस्ट भारतीय विकेटकीपर‑बल्लेबाज कौन हैं?

भारत ने कई शानदार किपर पैदा किए हैं, लेकिन कुछ ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके नाम हमेशा सुनाई देते हैं – महेंद्र सिंह धोनी, रवींद्र जैन और अब नया चेहरा है अजिंक्य रहाणे। धोनी की बैटिंग में जबरदस्त फ़्लेक्सिबिलिटी थी, वह जल्दी‑जल्दी 30‑40 रन बना लेता था और फिर भी बॉल पकड़ने में कड़ी मेहनत करता था। रवींद्र जैन ने टेस्ट में कई बार मैच बचाए हैं जबकि उनका स्कोरिंग इम्प्रूवमेंट लगातार बढ़ रहा है।

आज के युवा खिलाड़ियों जैसे कि ऋषभ पंत, जो कभी‑कभी विकेटकीपर की जगह भी ले लेते हैं, दिखाते हैं कि मल्टी‑स्ट्रोक प्लेयर बनना अब रिवर्सी नहीं रहा। अगर आप अपनी टीम में इस रोल को कवर कर रहे हैं तो इनका एसेट देखिए – तेज़ हेड मोशन, शॉर्ट सिंगल और बैकफ़ुट से मारने की आदत।

अगर आप खुद एक विकेटकीपर‑बल्लेबाज बनना चाहते हैं, तो अभ्यास के कुछ आसान तरीके आज़माएँ: 1) हर प्रैक्टिस में कम से कम 20 मिनट फील्डिंग ड्रिल्स रखें, 2) बैटिंग नेट में स्कोर बनाने की कोशिश करें लेकिन सिर्फ सिंगल नहीं, क्विक डबल या ट्रिपल पर ध्यान दें। इससे आपके मसल मेमरी बनती है और मैच के दौरान आप तेज़ी से रन बना पाते हैं।

आखिर में एक बात याद रखें – विकेटकीपर‑बल्लेबाज की सबसे बड़ी ताकत उनका माइंडसेट है। जब टीम को दबाव होता है, तो आपका शांत रहना पूरे इन्फिल्ड को सुकून देता है। इसलिए हर मैच के बाद खुद से पूछें: "मैंने कितनी बार बॉल पकड़ते हुए भी पॉज़िटिव सोचा?" अगर जवाब हाँ में आया, तो आप सही रास्ते पर हैं।

तो अगली बार जब क्रिकेट का रोमांच देखेंगे, ध्यान रखें कि विकेटकीपर‑बल्लेबाज सिर्फ एक फ़ील्डर नहीं है, वह बैटिंग के साथ दोहरी भूमिका निभा कर टीम को जीत की ओर ले जाता है। इस ज्ञान को अपनी खेल शैली में लागू करें और देखें कैसे आपके स्कोरबोर्ड पर अंक बढ़ते हैं।

एम.एस. धोनी का वनडे मैच में सर्वाधिक रन बनाने का रिकॉर्ड: 2005 से अब तक का सफर

इस लेख में एम.एस. धोनी की एकदिवसीय मैच में विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में सबसे अधिक रन बनाने की उपलब्धि पर चर्चा की गई है। धोनी की बेहतरीन बल्लेबाजी और कप्तानी के चलते भारत ने कई महत्वपूर्ण जीत हासिल की है। उनके क्रिकेट कैरियर और भारतीय क्रिकेट पर उनके प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है।