आजकल हर कोई फ़ेसबुक, ट्विटर या इंस्टाग्राम पर कुछ ना कुछ शेयर करता है। कभी‑कभी वही पोस्ट अचानक बहुत चर्चा में आ जाती है और लोगों की बातें टॉक्सिक हो जाती हैं। इसे हम सोशल मीडिया ट्रोलिंग कहते हैं। आसान शब्दों में, जब कोई व्यक्ति जान‑बूझ कर दूसरों को चिढ़ाता या गुस्से में लाकर जवाब देता है, तो वह ट्रोल बन जाता है।
पहला कारण है अज्ञातापन. ऑनलाइन पहचान छुपी रहती है, इसलिए लोग ज़्यादा बोलते‑बोलते बेफ़िकीर हो जाते हैं। दूसरा, कुछ लोगों को लाइक या फॉलोर्स की संख्या बढ़ाने के लिए ध्यान खींचना पसंद आता है। अक्सर एक छोटी‑सी टिप्पणी बड़ी बहस में बदल जाती है और ट्रेंड बन जाता है। हमारी साइट पर भी ऐसे कई केस हुए हैं – जैसे युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा का तलाक मामला, जहाँ दोनों ने सोशल मीडिया पर अपनी बात रखी, लेकिन网友ों के ट्रोल्स की बौछार ने सबको उलझा दिया था।
ट्रॉल सिर्फ मज़ाक नहीं होते; उनका असर व्यक्तिगत आत्म‑सम्मान से लेकर ब्रांड इमेज तक हो सकता है। जब कोई सेलिब्रिटी या कंपनी पर ट्रोल हमला होता है, तो उसका राजस्व भी गिर सकता है। उदाहरण के तौर पर, "Pathaan" फिल्म की रिलीज़ पर सोशल मीडिया में SRK‑Salman का मिलन बहुत चर्चा बना, लेकिन साथ ही कई फेक न्यूज़ और नकारात्मक टिप्पणियाँ भी फैल गईं। ऐसी स्थिति में सही जवाब देना जरूरी है।
1. **इमोशन कूल रखें** – गुस्सा आए तो तुरंत रेस्पॉन्ड ना करें। थोड़ा समय लें, फिर सोच‑समझ कर reply दें। 2. **ब्लॉक/रिपोर्ट फ़ीचर इस्तेमाल करें** – अगर कोई लगातार ट्रोलिंग करे तो उसे ब्लॉक या रिपोर्ट करके प्लेटफ़ॉर्म को सूचित करें। 3. **फैक्ट चेक करें** – किसी भी वायरल पोस्ट की सच्चाई जांचें, फिर शेयर करें। गलत जानकारी फैलाने से बचें। 4. **पॉज़िटिव कंटेंट बनाएं** – नकारात्मक टिप्पणियों के जवाब में सकारात्मक सामग्री डालें, इससे दर्शक का नजरिया बदल सकता है। 5. **प्रोफ़ाइल प्राइवेसी सेटिंग्स मजबूत करें** – अपने अकाउंट को पब्लिक या प्राइवेट रखने से अनचाहे लोग कम ट्रोल कर पाएँगे।
अगर आप किसी कंपनी के सोशल मीडिया मैनेजर हैं, तो एक स्पष्ट टॉलरेंस पॉलिसी बनाएं और सभी कर्मचारियों को उसका पालन सिखाएँ। इससे टीम में कोई भी नकारात्मक स्थिति जल्दी संभाली जा सकेगी। व्यक्तिगत उपयोगकर्ता भी ऊपर बताए गए कदमों से अपना ऑनलाइन अनुभव सुरक्षित रख सकते हैं।
अंत में, याद रखें कि सोशल मीडिया एक मंच है जहाँ हर आवाज़ सुनाई देती है, लेकिन हमें अपनी बात समझदारी से रखनी चाहिए। ट्रोलिंग को बढ़ावा देना या उसमें फँस जाना दोनों ही नुकसानदेह है। सही जानकारी, धैर्य और सकारात्मक रवैये से हम इस डिजिटल युग में स्वस्थ बातचीत बना सकते हैं।
भारतीय क्रिकेटर हार्दिक पांड्या को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे T20 मैच के दौरान अर्शदीप सिंह को दिए गए 'दूसरे छोर से लुफ्त उठाओ' संदेश के लिए जोरदार ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। फैंस ने पांड्या के स्ट्राइक न घुमाने और अर्शदीप को मौका न देने की रणनीति पर सवाल उठाए, जिससे मैच के परिणाम पर प्रभाव पड़ सकता था।