काशी, हिंदू धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल, जहाँ गंगा के किनारे कई प्राचीन मंदिर और घाट बसे हैं। Also known as बनारस, it draws millions of pilgrims every year. शहर में गंगा, पवित्र नदी के तट पर काशी विश्वनाथ मंदिर, शिव को समर्पित सबसे बड़े मंदिरों में से एक स्थित है, जो काशी के धार्मिक परिप्रेक्ष्य को सुदृढ़ करता है।
काशी की पहचान सिर्फ धार्मिक स्थलों से नहीं, बल्कि उसकी सांस्कृतिक विरासत, संगीत, साहित्य, कलाओं में समृद्ध से भी है। यहाँ के बनारसी साड़ी, हाथी की सवारी, और गंगा अरोहण जैसी परम्पराएँ हर साल शहर को जीवंत बनाती हैं। अगर आप काशी में रास्ता बनाते हैं, तो आसपास के घाटों – अस्सी घाट, दाशाश्वमेध घाट, काशी वैष्णव घाट – भी देखेंगे, जहाँ स्थानीय कलाकार कलात्मक शिल्प और मोमबत्ती की रोशनी में पूजा करते हैं।
काशी की सैर शुरू होती है गंगा अरोहण से, जहाँ सुबह की धुंध में मंदिरों की घंटी सुनाई देती है। अस्सी घाट पर कपिल मुनि का आश्रम, सुभद्र काली मंदिर, और द्वारकाधीश मंदिर भी अवश्य देखे जाने वाले स्थल हैं। शाम को घाटों पर लगी जलती बेलियों की रोशनी, संगीत और भजन सुनकर मन को शांति मिलती है।
काशी में शैक्षिक और आध्यात्मिक केंद्र भी नहीं कम हैं। सनातन धोत्री अकादमी, काशी विश्वनाथ विश्वविद्यालय और कई आश्रम निरंतर योग, आयुर्वेद और बौद्ध शिक्षाओं को लोकप्रिय बना रहे हैं। ये संस्थान स्थानीय और विदेशी छात्रों को भारत की प्राचीन विज्ञान और दर्शन से परिचित कराते हैं। इसी दौरान, काशी की रसोई में मिलने वाले लदी प्राश, कचौरी, और काशी की विशेष कचौरी-भुजिया का स्वाद, आपके यात्रा अनुभव को और यादगार बनाता है।
काशी की यात्रा में मौसम भी एक अहम भूमिका निभाता है। सर्दियों में ठंडी हवा में गंगा का कुहासा और धुंध आपके फ़ोटोग्राफ़ को सत्या प्रकृति की कला में बदल देता है। गर्मियों में आप नदी के किनारे थारू—आकर्षक बोट राइड का आनंद ले सकते हैं। चाहे धूप हो या बरसात, काशी हमेशा अपने आपको नई शैलियों में प्रस्तुत करता है।
इस पेज पर आप काशी से जुड़ी ताज़ा ख़बरें, विशेष कार्यक्रम, धार्मिक उत्सव और स्थानीय कहानियों की पूरी श्रृंखला पाएँगे। नीचे दी गई सूची में आप खेल, राजनीति, विज्ञान, और जीवनशैली से संबंधित लेख भी देखेंगे, जो काशी के विभिन्न पहलुओं को उजागर करेंगे। आइए, काशी की दुनिया में डुबकी लगाएँ और जानें कि यह प्राचीन शहर आज कैसे बदल रहा है।
अहोई अष्टमी 2024 को 24 अक्टूबर को काशी में शुभ मुहूर्त के साथ मनाया जाएगा। व्रत कथा, पूजा विधि और विशेषज्ञों की राय इस लेख में।