अगर आप कैलेंडर देख रहे हैं तो शायद आपने देखा होगा कि इस साल देवशयनि एकादशी 31 मार्च, शाम को नज़र आएगी. यह दिन भगवान विष्णु के शेष स्वरूप – देवशयन (स्लिप) से जुड़ा है. साधारण लोग इसे अक्सर नहीं जानते, पर जो जान लेते हैं वही आध्यात्मिक ऊर्जा का भरपूर लाभ उठाते हैं.
यह एकादशी विष्णु के सातवें अवतार शेषनाशी (शत्रुओं को नष्ट करने वाले) से संबंधित है. कहा जाता है कि इस दिन यदि आप सही मन से उपवास रखें और भगवान की कथा सुनें, तो आपके जीवन में कई बाधाएँ हट जाएँगी. खासकर वित्तीय समस्या, स्वास्थ्य‑सम्बंधी कठिनाइयाँ या रिश्तों में तनाव कम हो सकता है.
साथ ही, यह दिन आत्मशुद्धि का भी समय माना जाता है. शाकाहारी भोजन, हल्का फल-सब्ज़ी वाला आहार और जल पर ध्यान रखने से शरीर की डिटॉक्स प्रक्रिया तेज़ होती है. कई लोग इस अवसर को योग‑ध्यान के साथ जोड़ते हैं, जिससे मन शांत रहता है.
उपवास: सुबह उठकर नहाने के बाद शुद्ध जल से मुंह धोएँ. फिर हल्का फल (केला, पपीता) या कच्चा नारियल पानी लें. दिनभर में दो‑तीन बार सादा जल पीते रहें और कोई भारी भोजन न करें.
पूजा सामग्री: एक साफ थाल पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र रखें. सफेद कपड़ा, धूपबत्ती, चंदन और गुलाबजल तैयार रखें. अगर आप चाहें तो हल्का नारियल तेल से पूजन स्थल को पोंछ सकते हैं.
पूजा विधि: पहले शुद्ध जल से हाथ‑पैर धोएँ, फिर भगवान के सामने दीपक जलाएँ. तीन बार "ॐ नमो विष्णुये" का जप करें. इसके बाद कथा सुनें या स्वयं पढ़ें – “देवशयन” की कहानी इंटरनेट पर आसानी से मिल जाएगी.
पूजन समाप्त होने पर प्रसाद में शक्कर, खजूर और कच्चा नारियल रख सकते हैं. यह सब चीज़ें पाचक तंत्र को भी मदद करती हैं.
अगर आप इस एकादशी को विशेष बनाना चाहते हैं तो परिवार या मित्रों के साथ मिलकर सामूहिक प्रार्थना कर सकते हैं. समूह में जप करने से ऊर्जा का गुणा‑गुना प्रभाव मिलता है.
सिर्फ उपवास नहीं, बल्कि अपने मन में सकारात्मक विचार रखें. यह दिन आपके इरादे को सशक्त बनाता है – चाहे नया व्यवसाय शुरू करना हो या पुराने रिश्ते को सुधारना.
संक्षेप में: देवशयनि एकादशी 2024 का सही उपयोग करने के लिए तिथि याद रखें, हल्का उपवास रखें, सरल पूजा करें और सकारात्मक मनोवृत्ति बनायें रखें. इस तरह आप न सिर्फ आध्यात्मिक शांति पाएँगे बल्कि जीवन की कई कठिनाइयों से भी मुक्त रहेंगे.
देवशयनी एकादशी, जो हिन्दू धर्म में एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है, 17 जुलाई 2024 को पड़ रहा है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की नींद में जाते हैं। भक्तगण व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और विशिष्ट अनुष्ठान का पालन करते हैं। इस व्रत का उद्देश्य मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त करना और पापों से छुटकारा पाना होता है।