जब बात अफ़ग़ानिस्तान, एक ऐसा देश जहाँ राजनीतिक अस्थिरता, सुरक्षा खतरे और मानवीय संकट रोज़ नया रूप लेता है की आती है, तो सबसे पहले काबुल, देश की राजधानी, प्रमुख राजनीतिक मंच और अंतर्राष्ट्रीय दूतावासों का केंद्र का ज़िक्र ही हो जाता है। इसी तरह तालिबान, वर्तमान शासन शक्ति, जो सुरक्षा प्रोटोकॉल और सामाजिक नीतियों को तय करती है को समझना अनिवार्य है। इन तीनों के बीच गहरा संबंध है: तालिबान की नीतियां काबुल में उठाए गये फैसलों को सीधे प्रभावित करती हैं, और काबुल के राजनीतिक बदलाव तालिबान की विधि‑कारवाई को बाध्य बनाते हैं। यह अफ़ग़ानिस्तान का सुरक्षा‑राजनीति‑प्रभाव त्रिकोण है जो दैनिक खबरों को आकार देता है।
सुरक्षा के अलावा, आर्थिक स्थिति पर भी नज़र रखना ज़रूरी है। तालिबान के नियंत्रण में रहने के कारण विदेशी निवेश घटा, कर संग्रह में कमी आई और मौद्रिक नीति अस्थिर रही। परिणामस्वरूप बाजार में महंगाई की दर लगातार बढ़ती रही, जिससे आम जनता की खरीद शक्ति घट गई। साथ ही, शरणार्थी संकट, सीमाओं पर लाखों विस्थापित लोग, जिनको भोजन, स्वास्थ्य सेवा और आवास की तत्काल जरूरत है ने पड़ोसी देशों पर दबाव डाला है। भारत, पाकिस्तान और इरान जैसे राष्ट्र लगातार मानवीय सहायता भेज रहे हैं, जबकि विश्व के विभिन्न संघों से अंतरराष्ट्रीय सहायता, वित्तीय वंता, चिकित्सा सप्लाई और पुनर्निर्माण परियोजनाओं के रूप में प्रदान की जा रही है। यह त्रिपक्षीय गतिशीलता—सुरक्षा, आर्थिक संकट और मानवीय मदद—एक दूसरे को निरंतर प्रेरित करती है। उदाहरण के तौर पर, जब काबुल में सुरक्षा अस्थिर होती है, तो शरणार्थी प्रवाह तेज़ होता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय सहायता के पैमाने में इजाफ़ा आता है; वही सहायता स्थानीय बाजार में नई मांग पैदा करके आर्थिक गति को थोड़ी राहत देती है।
इन जटिल परस्पर संवादों को समझना हमारे पाठकों को अफ़ग़ानिस्तान की वर्तमान स्थिति का सटीक चित्र देता है। नीचे आप ऐसी ख़बरें पाएँगे जो काबुल के राजनीतिक बदलाव, तालिबान की नई नीतियों, शरणार्थियों की ताज़ा आँकड़े, तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों की सहायता योजनाओं को गहराई से विश्लेषण करती हैं। चाहे आप नीति‑निर्माता हों, मानवीय कार्यकर्ता हों या सिर्फ़ यह जानना चाहते हों कि अफ़ग़ानिस्तान में क्या चल रहा है—हमारा संग्रह आपके लिए एक सार्थक संसाधन बनकर उभरेगा। अब आगे बढ़कर उन लेखों को देखें जो इन सभी पहलुओं को विस्तार से कवर करते हैं।
अफ़्गानिस्तान ने बांग्लादेश के विरुद्ध 1-0 सीरीज़ लीड के साथ शेख़ ज़ायेद स्टेडियम में दूसरा ODI खेला, जहाँ कप्तान हशमतुल्लाह शहिदी की टीम जीत के हकदार बनी, जिससे श्रृंखला का नतीजा तय हुआ।