सुप्रीम कोर्ट में राकेश किशोर ने जूता फेंका, बीआर गवई पर अतिरेकी हमला

सुप्रीम कोर्ट में राकेश किशोर ने जूता फेंका, बीआर गवई पर अतिरेकी हमला

जब बीआर गवई, मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट की बेंच में वकीलों के मामलों की सुनवाई चल रही थी, तभी राकेश किशोर, 71‑वर्षीय अधिवक्ता, ने जूता उतारकर फेंकने की कोशिश की। सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया, लेकिन वह हताशा में "सनातन का अपमान नहीं सहेंगे, नहीं सहेंगे" का नारा लगाते रहे।

घटना का क्रम और तुरंत हुई प्रतिक्रियाएँ

रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपी वकील ने जज के डेस्क के पास पहुँचकर अपने जूते को हटाया और हवा में फेंकने की कोशिश की। दो सुरक्षा गार्ड ने उसे पकड़ते ही हथियार बना ली, लेकिन वह लगातार चिल्लाते रहे। सुरक्षा कर्मियों ने उसे कोर्ट हॉल की बाहर ले जाकर जमा कर दिया।

इसी बीच, भारतीय विधि परिषद (Bar Council of India) ने तत्काल कार्रवाई करते हुए बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने राकेश किशोर को सस्पेन्शन दिया। यह सस्पेन्शन अगले 30 दिनों तक प्रभावी रहेगा और उनका लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

राजनीतिक और सार्वजनिक प्रतिक्रिया

नई दिल्ली में इस घटना की खबर फैलते ही विभिन्न राजनीतिक नेताओं ने तीखी निंदा की। नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, ने कहा, "मैंने सीजेआई गवई से बात की है, इस तरह के हमले से हर भारतीय नाराज़ है।" उन्होंने न्यायपालिका को मजबूत रखने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे "संविधान पर सीधा हमला" कहा और सभी दलों से तुरंत कार्रवाई की माँग की। विभिन्न बार एसोसिएशन और सिविल सोसाइटी ग्रुप भी इस कृत्य को लोकतंत्र के लिए घातक मानते हुए कार्यवाही की मांग कर रहे हैं।

न्यायालय की आधिकारिक प्रतिक्रिया

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने घटना के बाद एक संक्षिप्त बयान जारी किया: "इसे अनदेखा कर दीजिए, इससे विचलित नहीं होऊँगा। न्यायपालिका की गरिमा सुरक्षित रहेगी।" उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी अतिवादी कार्य अदालत की कार्यवाही को बाधित नहीं कर सकता।

गवई जी ने 14 मई 2025 को 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी, और अपने शपथ लेते ही अपने माँ के पैर छूने की भावना को सार्वजनिक किया था। यह घटना उनकी प्रतिष्ठा पर अकल्पनीय आघात का कारण बनी।

व्यापक प्रभाव और विशेषज्ञ विश्लेषण

व्यापक प्रभाव और विशेषज्ञ विश्लेषण

इंसिडेंट से पहले, सुप्रीम कोर्ट में प्रतिदिन लगभग 30,000 वकील उपस्थित रहते थे, और कोर्ट के भीतर अनुशासनात्मक मामलों की संख्या धीरे‑धीरे बढ़ रही थी। बार काउंसिल ने 2023‑2024 में 5,000 से अधिक अधिवक्ताओं को निलंबित किया था, जबकि इस साल अभी तक 12 अनुशासनात्मक फैसले हुए हैं।

कश्मीर में एक कानूनी विशेषज्ञ ने कहा, "अदालत में शारीरिक या प्रतीकात्मक हिंसा का कोई भी रूप न्यायपालिका की स्वायत्तता को कमजोर करता है। इस तरह की घटनाओं को सख्त सजा के तहत लाया जाना चाहिए, नहीं तो भविष्य में और अतिरेकी कदम उठाए जा सकते हैं।"

भविष्य की दिशा और संभावित कदम

सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना के बाद सुरक्षा उपायों को कड़ा करने की घोषणा की है। नई सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत कैमरा कवरेज बढ़ाने और कोर्ट हॉल में सुरक्षा बाड़ें स्थापित करने की योजना है। इसके साथ ही, बार काउंसिल ने वकीलों के लिए अनैतिक आचरण पर एक विशेष प्रशिक्षण प्रोग्राम लॉन्च करने का प्रस्ताव रखा है।

यदि इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो सार्वजनिक भरोसा और न्यायिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को गंभीर नुकसान हो सकता है। इस कारण, सभी राजनीतिक और विधिक संस्थाओं के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह मिलकर इस प्रकार की उकसाने वाली घटनाओं को रोकने के लिए सामूहिक रूप से कार्य करें।

मुख्य तथ्य

मुख्य तथ्य

  • घटना: राकेश किशोर ने जूता फेंकने की कोशिश की
  • स्थान: सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली
  • मुख्य न्यायाधीश: बीआर गवई
  • निलंबन: बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने तुरंत लागू किया
  • राजनीतिक प्रतिक्रिया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सोनिया गांधी ने कड़ी निंदा की

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या राकेश किशोर को स्थायी निलंबन मिलेगा?

बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने 30 दिनों की सस्पेन्शन के साथ साथ एक जांच समिति भी गठित की है। यदि समिति के निष्कर्ष में गंभीर अनैतिकता सिद्ध होती है, तो स्थायी निलंबन या लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा में किस तरह बदलाव किया?

कोर्ट ने त्वरित रूप से एक नई सुरक्षा प्रोटोकॉल जारी किया जिसमें प्रवेश द्वार पर बायो‑मेट्रिक स्कैन, हाई‑डेफ़िनिशन कैमरे और अदालत के भीतर अतिरिक्त सुरक्षा बाड़ें स्थापित करना शामिल है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर क्या कहा?

मोदी ने बताया कि उन्होंने सीधे सीजेआई गवई से बात की है और बताया कि इस तरह के हमले से सभी भारतीय दुखी हैं। उन्होंने न्यायपालिकीय स्वायत्तता को सुरक्षित रखने की अपील की।

क्या यह पहला ऐसा मामला है?

ऐसे अभूतपूर्व हिंसक इशारों की रिपोर्ट पहले बहुत कम हुई है। 2020 में एक वकील द्वारा जज के मंच पर अवैध हस्तक्षेप की सूचना मिली थी, पर जूता फेंकना पहली बार है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर इसका क्या असर हो सकता है?

यदि सुरक्षा को सुदृढ़ नहीं किया गया तो वकीलों की उपस्थिति में अनावश्यक तनाव बढ़ सकता है, जिससे मामलों की सुनवाई में देरी और न्याय की पहुँच पर असर पड़ सकता है। इसलिए इस घटना को एक चेतावनी संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

1 Comments

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    Jay Baksh

    अक्तूबर 7, 2025 AT 20:59

    क्या देश की इज्जत को जूते से थामते हैं लोग?

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