Sensex और Nifty में गिरावट की संभावना
भारत के घरेलू बेंचमार्क सूचकांक Sensex और Nifty में सोमवार को गिरावट की संभावना जताई जा रही है। एशियाई बाजारों की कमजोरी, अमेरिका के कमजोर श्रम बाजार के आंकड़ों और वैश्विक मंदी के डर से यह गिरावट संभव है। पिछले गिनती में GIFT Nifty फ्यूचर्स में 356.55 अंक या 1.44 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
शुक्रवार को डॉव के 610 अंकों की गिरावट और Nasdaq के 418 अंकों की गिरावट के महत्वपूर्ण ट्रिगर हैं, जो बाजार पर असर डाल सकते हैं। वैश्विक बाजारों में गिरावट जारी है, जिसमें निक्केई द्वारा 2000 अंकों की गिरावट शामिल है। कच्चे तेल की कीमत $ 77 प्रति बैरल से नीचे आ गई है और डॉलर इंडेक्स 103 के करीब गिर गया है। इसके साथ ही, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने शुक्रवार को 13,000 करोड़ रुपये बेचे।
कंपनियों पर दबाव
ब्रिटानिया, एसबीआई, और Divi's Laboratories के Q1 परिणामों के बाद इन शेयरों में विशेष ध्यान दिया गया है। टाइटन कंपनी, जो गहने और घड़ी बनाने वाली कंपनी है, पर भी दबाव हो सकता है, क्योंकि जून तिमाही के मुनाफे में उम्मीद से कम वृद्धि के कारण गहनों की मांग में कमी आई है।
शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद जारी आंकड़ों में दिखाया गया कि जुलाई में अमेरिका के नौकरी के वृद्धि में अपेक्षाकृत धीमा हुआ, जिससे आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ गई और वैश्विक इक्विटी पर दबाव पड़ा। भारतीय बाजारों में भी शुक्रवार के सत्र में वैश्विक कमजोरी से भावनाओं पर प्रभाव पड़ा। Nifty 1 प्रतिशत या 293.2 अंक घटकर 24,717.7 पर बंद हुआ, जबकि Sensex 1.08 प्रतिशत या 885.59 अंक घटकर 80,981.95 पर बंद हुआ।
सभी सेक्टरों में गिरावट
सभी सेक्टरों में गिरावट देखी गई, क्योंकि अमेरिकी आर्थिक वृद्धि से संबंधित चिंताओं ने बाजार में अस्थिरता बढ़ा दी। साथ ही, मध्य पूर्व में उच्च तनाव से भी जोखिम घटाने की भावना बढ़ी। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और डॉलर की कमजोरी भी बाजार की स्थिति को प्रभावित कर रही है।
आने वाले दिनों में बाजार की स्थिति को और प्रमुख आर्थिक आंकड़े, वैश्विक बाजारों की दिशा, और विभिन्न कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर देखा जा सकेगा। निवेशकों को सतर्कता से काम करना होगा और बाजार की हर चाल को बारीकी से देखना होगा।
गतिविधियों पर नजर
आर्थिक मापदंडों और वैश्विक घटनाओं पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है। बाजार पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों और निवेशकों को मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों का सावधानीपूर्वक निरीक्षण करना होगा, ताकि वे अपने निवेश पोर्टफोलियो को अनुकूल बना सकें।
आदान-प्रदान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि वे निवेशकों के विश्वास को बदल सकते हैं और बाजार की दिशा तय कर सकते हैं।