पाकिस्तान क्रिकेट: नाराजगी का उधोग
पाकिस्तान क्रिकेट की दुनिया में इन दिनों केवल हार और निराशा ही नहीं बल्कि एक नया उधोग, नाराजगी का उधोग, भी देखने को मिल रहा है। टी20 वर्ल्ड कप में अमेरिका और भारत से मिली हार ने क्रिकेट प्रशंसकों और विशेषज्ञों में आग सी लगा दी है। इस आक्रोश और गुस्से का केंद्र बिंदु बने हैं कप्तान बाबर आज़म, जिनके प्रदर्शन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। लेकिन यहां केवल प्रशंसक ही नहीं, बल्कि पूर्व क्रिकेटर भी इस नाराजगी को भुनाने में लगे हुए हैं।
पूर्व क्रिकेटर का आक्रोश
अहमद शहजाद, पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर, अपने टीवी उपस्थिति के दौरान काफी नाटकीय होते हैं। बाबर आज़म के प्रदर्शन पर उनका गुस्सा और आक्रोश खुलेआम देखा जा सकता है। यही नहीं, एक और पूर्व क्रिकेटर, बासित अली, अपने यूट्यूब चैनल पर अत्यधिक आक्रामक टिप्पणियाँ करते रहते हैं। उनमें जातिवादी अपशब्दों का भी प्रयोग होता है, जो इशारा करता है कि यह गुस्सा केवल हार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई अन्य मुद्दे भी निहित हैं।
सोशल मीडिया का लाभ
व्यापारिक दृष्टि से देखा जाए तो यह गुस्सा बहुत लाभकारी साबित हो रहा है। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और यूट्यूबर इस नाराजगी को भुनाने में पीछे नहीं हैं। क्रिकेट प्रशंसकों की भावनाओं का दोहन करके ये लोग 'लाइक, शेयर, सब्सक्राइब' की दौड़ में आगे बढ़ रहे हैं। नाराजगी और क्रोध की इस अर्थव्यवस्था ने न केवल पाकिस्तान बल्कि भारत के क्रिकेट प्रशंसकों को भी आकर्षित किया है। पाकिस्तानी आउटलेट्स द्वारा भारतीय खिलाड़ियों की प्रशंसा करना और पाकिस्तानी खिलाड़ियों की आलोचना करना इस व्यापार मॉडल का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
मनोरोगियों की दृष्टि
मनोवैज्ञानिक और समाजशास्त्री इस नाराजगी को पाकिस्तान के समाज में अधिक गहराई से देखते हैं। क्रिकेट, जो कभी पाकिस्तान के लिए गर्व और खुशी का स्रोत था, अब निराशा और गुस्से का कारण बन चुका है। इस नाराजगी की गहराई में जड़ी पीड़ा और हताशा को समझना बेहद महत्वपूर्ण है। खेल का यह बदलता हुआ चेहरा समाज के बदलते मूल्यों और प्राथमिकताओं को भी दर्शाता है।
किक्रेट किंवदंतियों की दोहरी बात
सिर्फ वर्तमान खिलाड़ियों को ही नहीं, बल्कि पूर्व किक्रेट किंवदंतियों को भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। वसीम अकरम जैसे दिग्गज जिन्होंने टीम की स्थिति पर बातें रखी हैं, उनकी खुद की करियर में मैच-फिक्सिंग जैसी कांड जुड़े रहे हैं। ऐसे वक्तव्यों की सच्चाई की जांच अब आवश्यक हो गई है।
अर्थव्यवस्था की व्यापक प्रभाव
यह नाराजगी और इसके आसपास की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान के राष्ट्रीय मनोविज्ञान पर भी बड़ा प्रभाव डाल रही है। सामाजिक और आर्थिक ढांचे पर भी इस गुस्से का असर देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही, क्रिकेट प्रेमियों का प्रतिक्रियाओं का बदलता स्वरूप, और इसकी तुलना करने का एक नया रूप सामने आ रहा है।
कुल मिलाकर, पाकिस्तान में क्रिकेट के इर्द-गिर्द उठने वाली यह नाराजगी अब केवल एक खेल की प्रतिक्रिया नहीं रह गई है। यह अब एक नया व्यवसाय बन गया है, जो सोशल मीडिया और ट्रेडिशनल मीडिया दोनों पर अपने पैर पसार चुका है। इस नाराजगी की जड़ों में जाने और इसके व्यापारिक और सामाजिक पहलुओं को समझना अब जरूरी हो गया है। यह केवल क्रिकेट की हार नहीं, बल्कि एक देश की निराशा और उसकी आर्थिक तंत्र की बदलती हुई तस्वीर है।
Snehal Patil
जून 16, 2024 AT 23:20Vikash Yadav
जून 17, 2024 AT 12:09Vikky Kumar
जून 18, 2024 AT 06:34Uday Rau
जून 19, 2024 AT 05:18sonu verma
जून 20, 2024 AT 01:53sivagami priya
जून 21, 2024 AT 09:03Arun Kumar
जून 22, 2024 AT 01:27Aishwarya George
जून 23, 2024 AT 14:54Anuj Poudel
जून 23, 2024 AT 16:08Aman Sharma
जून 24, 2024 AT 05:46manivannan R
जून 25, 2024 AT 18:50chayan segupta
जून 26, 2024 AT 00:07Dev pitta
जून 26, 2024 AT 04:15Siddharth Varma
जून 26, 2024 AT 12:17King Singh
जून 26, 2024 AT 16:22sunil kumar
जून 27, 2024 AT 10:54