जब द्रौपदी मुर्मू ने 28 नवंबर, 2025 को नई दिल्ली में चाणक्य रक्षा संवाद के तीसरे संस्करण के उद्घाटन सत्र में भाषण दिया, तो दुनिया ने सुना — भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी सबसे निर्णायक कार्रवाई की है। ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक नीतिगत क्रांति थी। यह वह पल था जब भारत ने साबित किया कि वह न सिर्फ ताकतवर है, बल्कि नैतिक रूप से स्पष्ट भी है।
क्यों शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर?
2025 की 30 अप्रैल को पहलगाम, कश्मीर में एक आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिक मारे गए। आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिजबुल मुजाहिदीन (HuM) के लिए यह एक निशान था — और भारत ने इसे एक लाल रेखा मान लिया। चार दिन बाद, 7 मई की रात, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। एक निश्चित, सटीक और नियंत्रित कार्रवाई के तहत, भारतीय वायु सेना और आर्टिलरी ने पाकिस्तान प्रशासित आज़ाद कश्मीर और पंजाब के नौ स्थानों पर मिसाइल और हवाई हमले किए। कोई सैन्य बेस नहीं, कोई नागरिक इमारत नहीं — सिर्फ आतंकवादी इंफ्रास्ट्रक्चर।
क्या हुआ आकाश में?
उस रात लगभग 125 लड़ाकू विमान दोनों ओर की सीमा पर तैनात थे। यह अब तक का सबसे बड़ा चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का विमानन संघर्ष था। भारत ने अपने घरेलू सिस्टम — ब्रह्मोस मिसाइल, अकाशतीर वायु रक्षा इकाइयाँ और लॉइटरिंग म्यूनिशन्स — का इस्तेमाल किया। कोई अमेरिकी उपकरण नहीं, कोई विदेशी लॉजिस्टिक्स नहीं। अगले चार दिनों तक तनाव बना रहा। एयरफोर्स मंथली की जून 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पाकिस्तान के पांच लड़ाकू विमान और एक शीर्ष चेतावनी विमान गिराया, जबकि खुद तीन विमान खो दिए। फिर भी, यह एक नियंत्रित प्रतिक्रिया थी।
क्यों यह इतना अलग है?
सामान्य अनिल चौहान, रक्षा सेवाओं के मुख्याधिकारी, जुलाई 2025 में कहते हैं — "ऑपरेशन सिंदूर ने पारंपरिक सैन्य कार्रवाई के लिए महत्वपूर्ण स्थान बनाया।" इसका कारण? भारत की न्यूक्लियर नो-फर्स्ट-यूज पॉलिसी। पाकिस्तान ने पहले सैन्य लक्ष्यों पर हमला किया — इसलिए आगे के तनाव का बोझ उन पर था। भारत ने कोई जमीन नहीं पकड़ी, कोई शहर नहीं घेरा। बस आतंकवाद के घरों को तोड़ दिया। यह न केवल ताकत का प्रदर्शन था, बल्कि नैतिकता का भी।
राष्ट्रपति का संदेश: शक्ति और सभ्यता का संगम
द्रौपदी मुर्मू ने कहा — "दुनिया ने न केवल भारत की सैन्य क्षमता देखी, बल्कि शांति की खोज में कठोर, लेकिन जिम्मेदार ढंग से कार्रवाई करने की भारत की नैतिक स्पष्टता भी।" वह वासुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को याद दिलाती हैं — जब भारत लड़ता है, तो वह दुनिया को एक परिवार मानता है। उनका कहना है कि भारत की रक्षा नीति अब सिर्फ ताकत पर नहीं, बल्कि स्वावलंबन, भविष्य की तैयारी और बहु-प्रायोगिक क्षमता पर आधारित है। वह भारतीय सेना के युवाओं के प्रति दृढ़ विश्वास को भी रेखांकित करती हैं — NCC का विस्तार, खेलों को बढ़ावा, और महिला अधिकारियों की भूमिका का विस्तार।
भारत की रक्षा सुधार: भविष्य के लिए नींव
मुर्मू ने तीन बातों पर जोर दिया: संरचनाओं को सुधारना, रणनीतियों को पुनर्संरचित करना, और क्षमताओं को पुनर्परिभाषित करना। यह सिर्फ अस्त्र-शस्त्रों का मामला नहीं, बल्कि विचारधारा का है। भारत अब अपने अंदर की ताकत पर भरोसा कर रहा है — ब्रह्मोस, अकाशतीर, नेशनल इंटीग्रेटेड डिफेंस सिस्टम। अमेरिकी या रूसी उपकरणों के बिना भी भारत अब एक बड़ी कार्रवाई कर सकता है। यह एक नई दिशा है — न केवल आतंकवाद के खिलाफ, बल्कि एक ऐसे भविष्य के लिए जहाँ भारत एक अनुमान नहीं, बल्कि एक निर्णायक शक्ति होगा।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने दावा किया कि भारतीय हमलों में मस्जिदें और नागरिक क्षेत्र निशाने पर आए। लेकिन कोई स्वतंत्र जाँच नहीं हुई, और अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक जैसे जॉन स्पेंसर और विंसेंट वियोला ने छोटे युद्धों के जर्नल में लिखा — "यह सिर्फ एक त्वरित प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक रणनीतिक मोड़ था।" दुनिया ने देखा कि भारत ने अपनी ताकत का इस्तेमाल नियंत्रित तरीके से किया — न तो बड़ा हमला, न ही भारी नुकसान। यही वजह है कि इसे एक "मोरल क्लैरिटी" के रूप में समझा गया।
क्या अब क्या?
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अपनी रक्षा नीति को और भी तेज कर दिया है। अब भारतीय सेना में महिला अधिकारियों की संख्या बढ़ाने के लिए नए प्रोग्राम शुरू हुए हैं। अगले दो साल में 30% नए ऑफिसर्स महिलाएं होंगी। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने अब लॉइटरिंग ड्रोन्स के लिए एक नया एआई-आधारित टारगेटिंग सिस्टम विकसित किया है। अगला बड़ा कदम? संभावित आतंकवादी नेटवर्क के लिए डिजिटल निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल फॉरेंसिक यूनिट।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ऑपरेशन सिंदूर किसने तैयार किया और कैसे?
ऑपरेशन सिंदूर की योजना भारतीय सशस्त्र बल के तीनों सेवाओं और DRDO द्वारा मिलकर बनाई गई। इसके लिए 2024 में ही आतंकवादी स्थानों का डिजिटल मैपिंग शुरू किया गया था। ब्रह्मोस मिसाइल्स, अकाशतीर रडार और लॉइटरिंग ड्रोन्स का उपयोग करके, इस ऑपरेशन को चार दिनों में तैयार किया गया। कोई विदेशी सहायता नहीं ली गई।
पाकिस्तान के दावों की सच्चाई क्या है?
पाकिस्तान ने नागरिक क्षति का दावा किया, लेकिन कोई भी अंतरराष्ट्रीय निगरानी दल या स्वतंत्र मीडिया ने इसे सत्यापित नहीं किया। भारत ने सभी लक्ष्यों को आतंकवादी बुनियादी ढांचे तक सीमित रखा। एयरफोर्स मंथली और स्मॉल वॉर्स जर्नल जैसे स्रोतों ने भारत की नियंत्रित कार्रवाई को प्रशंसा की है।
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की रक्षा नीति को कैसे बदला?
इस ऑपरेशन ने भारत को एक नई रणनीति दी — त्वरित, सटीक और घरेलू तकनीक पर आधारित आतंकवाद विरोधी कार्रवाई। अब भारत को अमेरिकी या रूसी उपकरणों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। यह भारत की स्वावलंबी रक्षा नीति का पहला बड़ा सफल प्रमाण है।
महिला सैनिकों की भूमिका इस ऑपरेशन से कैसे जुड़ी है?
ऑपरेशन सिंदूर में महिला अधिकारी नियंत्रण केंद्र, ड्रोन ऑपरेशन और सूचना विश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थीं। राष्ट्रपति मुर्मू ने इसे एक नए युग का संकेत कहा — जहाँ महिलाएँ सिर्फ समर्थन नहीं, बल्कि नेतृत्व भी करेंगी। अगले दो साल में भारतीय सेना में महिला अधिकारियों की संख्या 30% तक पहुँचने का लक्ष्य है।
क्या यह भारत-पाकिस्तान संघर्ष का अंत है?
नहीं। यह एक नए दौर की शुरुआत है। अब भारत की रणनीति आतंकवाद के खिलाफ जीतने की है, न कि युद्ध लड़ने की। यह एक अलग तरह का संघर्ष है — जहाँ ताकत का इस्तेमाल नियंत्रित और नैतिक ढंग से किया जाता है। पाकिस्तान के लिए अब आतंकवाद को सुरक्षित रखना मुश्किल हो गया है।
Alok Kumar Sharma
नवंबर 30, 2025 AT 10:43ये सब बकवास है। कोई ऑपरेशन सिंदूर नहीं हुआ। ये फिक्शन है, जैसे कोई नया बॉलीवुड फिल्म।
Tanya Bhargav
नवंबर 30, 2025 AT 18:33मैंने इसे पढ़ा और आँखें भर आईं। जब तक हम अपनी ताकत को नैतिकता के साथ जोड़ेंगे, तब तक दुनिया हमें सम्मान देगी। धन्यवाद, भारत।
Sanket Sonar
दिसंबर 1, 2025 AT 17:15ऑपरेशन सिंदूर का असली जीत ये है कि ये एक डिजिटल-एआई-ब्रह्मोस-एक्सीक्यूशन मॉडल है। न कोई जमीन, न कोई नागरिक नुकसान, बस सिस्टम का टारगेटेड डिसेम्बलिंग। ये नई वॉरफेयर है।
pravin s
दिसंबर 1, 2025 AT 20:31अगर ये सच है तो बहुत बढ़िया। मैं बस उम्मीद करता हूँ कि इसका असर सीमा पर बच्चों के खेलने के मौकों पर भी पड़े।
Bharat Mewada
दिसंबर 2, 2025 AT 15:46वासुधैव कुटुम्बकम का मतलब है - जब तुम लड़ते हो, तो दुश्मन को भी इंसान मानो। ये ऑपरेशन उसी की अभिव्यक्ति है। ताकत के साथ दया।
Ambika Dhal
दिसंबर 3, 2025 AT 18:34इतनी सारी चीजें बताईं गईं, लेकिन किसी ने नहीं बताया कि जिन 26 नागरिकों की मौत हुई - उनके परिवारों को क्या मिला? ये सब बकवास तो बस नारे हैं।
Vaneet Goyal
दिसंबर 4, 2025 AT 21:35इसे मोरल क्लैरिटी कहना बहुत बड़ी बात है। आपको पता है कि जब आप लड़ते हैं, तो आपकी नीति अक्सर आपके अहंकार की छलांग होती है? ये नहीं लगता।
Amita Sinha
दिसंबर 6, 2025 AT 12:42ये सब बहुत अच्छा है 😍 पर क्या आपने कभी सोचा कि इस तरह के ऑपरेशन ने बच्चों के दिमाग में युद्ध को गेम बना दिया है? 😔
Bhavesh Makwana
दिसंबर 7, 2025 AT 08:49इस ऑपरेशन ने भारत को एक नए दौर की ओर ले जाया। अब हम न सिर्फ ताकतवर हैं, बल्कि समझदार भी। इसकी जिम्मेदारी हम सबकी है - इसे बरकरार रखना है।
Vidushi Wahal
दिसंबर 7, 2025 AT 15:02महिलाओं की भूमिका बहुत अच्छी लगी। लेकिन अगर ये सिर्फ प्रचार के लिए है तो ये खाली शब्द हैं। वास्तविकता क्या है?
Narinder K
दिसंबर 9, 2025 AT 14:25तो अब हमारे पास ब्रह्मोस है, अकाशतीर है, लॉइटरिंग ड्रोन्स हैं... और अभी भी हर दिन 500 लोग ट्रैफिक जाम में फंसे हैं। क्या ये भी एक ऑपरेशन है?
Narayana Murthy Dasara
दिसंबर 10, 2025 AT 19:01मैंने इसे एक दोस्त के साथ चर्चा की। उसने कहा - अगर भारत इतना स्पष्ट है, तो क्यों नहीं इसे दुनिया के सामने एक नया मॉडल बना देते? एक ऐसा मॉडल जो न तो अमेरिका है, न रूस।
Siddharth Gupta
दिसंबर 11, 2025 AT 18:08ये ऑपरेशन सिंदूर तो बस एक रंग नहीं, एक रिवोल्यूशन है। एक ऐसा रंग जो न केवल खून का है, बल्कि जिम्मेदारी का। अब दुश्मन भी सोचेगा - इस देश के साथ खेलना नहीं चाहिए।
Manoj Rao
दिसंबर 11, 2025 AT 22:46अरे भाई, ये सब एक गूगल जेनरेटेड फिक्शन है। राष्ट्रपति ने ऐसा कुछ नहीं कहा। ये एआई ने लिखा है। देखो तो ब्रह्मोस की स्पीड और अकाशतीर की रेंज को देखो - ये अभी भी टेस्टिंग में हैं। ये सब फेक न्यूज़ है। असली ताकत तो वो है जो आज भी बिना ब्रह्मोस के रोटी कमाती है।
Bharat Mewada
दिसंबर 13, 2025 AT 04:09मैंने ऊपर लिखा था - वासुधैव कुटुम्बकम। अब देखो, ये फिक्शन को असली बनाने की कोशिश है। लेकिन अगर ये एक भावना है, तो इसे बनाना चाहिए, न कि लिखना।