भारतीय शेयर बाज़ार, जिसमें नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) शामिल हैं, आज सोमवार, 20 मई को लोकसभा चुनाव 2024 के कारण बंद रहेंगे। यह 2024 के अवकाश कैलेंडर के अनुसार है, जिसमें आम चुनावों को बाज़ार अवकाश के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
इक्विटी सेगमेंट, इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट, SLB सेगमेंट और करेंसी डेरिवेटिव्स सेगमेंट सभी आज बंद रहेंगे। इसके अतिरिक्त, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (MCX) भी सुबह के सत्र के दौरान बंद रहेगा लेकिन शाम 5 बजे से रात 11:30 बजे/11:55 बजे तक के शाम के सत्र के लिए फिर से खुलेगा।
सुबह 9:00 बजे से शुरू होने वाले 15 मिनट के प्री-ओपनिंग सत्र के बाद मंगलवार, 21 मई को सुबह 9:15 बजे ट्रेडिंग के सामान्य रूप से फिर से शुरू होने की उम्मीद है। कैलेंडर वर्ष 2024 के लिए, BSE द्वारा इक्विटी, इक्विटी डेरिवेटिव्स और SLB सेगमेंट के लिए 15 अवकाश सूचीबद्ध किए गए हैं, जिनमें गणतंत्र दिवस, महाशिवरात्रि, होली और अन्य शामिल हैं।
शेयर बाज़ार में अवकाश का मतलब है कि निवेशक और ट्रेडर उस दिन किसी भी प्रकार का लेनदेन नहीं कर पाएंगे। हालांकि, वैश्विक बाजारों में कारोबार जारी रहेगा और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम भारतीय बाजारों को प्रभावित कर सकते हैं।
चुनावों के दौरान शेयर बाजार को बंद रखने का मुख्य कारण यह है कि इससे बाजार में अस्थिरता और अनिश्चितता को कम किया जा सके। चुनावी नतीजों से पहले अफवाहों और अटकलों का बाजार पर काफी असर पड़ सकता है। ऐसे में निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए बाजार बंद रखा जाता है।
भारतीय शेयर बाजार पर चुनावों का प्रभाव
भारत में आम चुनाव का शेयर बाजार पर बड़ा असर देखा जाता है। चुनावी नतीजों और नई सरकार की नीतियों से बाजार की दिशा तय होती है। अक्सर चुनाव के बाद बाजार में या तो तेजी आती है या फिर गिरावट देखने को मिलती है।
पिछले कुछ आम चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो:
- 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई वाले UPA गठबंधन की जीत के बाद सेंसेक्स में 8% की बढ़त देखी गई थी।
- 2009 में फिर से UPA की वापसी हुई और इस बार सेंसेक्स 18% चढ़ा।
- 2014 में जब पहली बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में NDA सत्ता में आई तो सेंसेक्स ने 6% का उछाल दिखाया।
- 2019 के आम चुनाव में BJP की प्रचंड जीत पर सेंसेक्स 4% उछला था।
हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि हर बार चुनावी नतीजों का बाजार पर सकारात्मक असर ही हो। कई बार अनिश्चित नतीजों या अप्रत्याशित घटनाक्रमों से बाजार धड़ाम हो जाता है।
उदाहरण के लिए, 2004 में जब सर्वे में NDA की जीत का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन नतीजों में UPA को बहुमत मिला तो शेयर बाजार एकदम से टूट गया। उस दिन सेंसेक्स 842 अंक गिरकर बंद हुआ था।
निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत
शेयर बाजार में निवेश करने वालों को चुनावी माहौल में सतर्क रहने की जरूरत होती है। घटनाक्रम और नतीजों पर पैनी नजर बनाए रखनी चाहिए। अफवाहों और भ्रामक खबरों से बचना चाहिए।
साथ ही, अगर आप लंबी अवधि के निवेशक हैं तो चुनावी उथल-पुथल से ज्यादा प्रभावित होने की जरूरत नहीं है। अनुभवी निवेशकों का कहना है कि चुनावों का असर अल्पकालिक होता है। लंबे समय में बाजार का रुख कंपनियों और अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन पर निर्भर करता है।
हालांकि, शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स को चुनावी अवधि में सावधानी बरतनी चाहिए। जोखिम कम रखें और स्टॉप-लॉस का इस्तेमाल करें। विशेषज्ञों की सलाह है कि चुनाव के दौरान शेयरों में निवेश से बेहतर है बॉन्ड या फिर सोने जैसी सुरक्षित संपत्तियों पर ध्यान दें।
कुल मिलाकर, लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर आज शेयर बाजार बंद रहेगा। निवेशकों को इस अवधि में सतर्क रहने की जरूरत है। हालांकि, लंबे समय में राजनीतिक घटनाक्रमों का असर सीमित ही रहता है। बाजार का रुख तय करने में कंपनियों और अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन की अहम भूमिका होती है।