डेनमार्क और इंग्लैंड के बीच यूरो 2024 के रोमांचक मुकाबले का पहला हाफ समाप्त हो चुका है और स्कोर 1-1 पर बराबरी पर है। मैच की शुरुआत ही बहुत ही तगड़ी हुई और दोनों टीमों ने ध्यान खींचने वाले खेल का प्रदर्शन किया। इंग्लैंड के लिए हैरी केन ने 18वें मिनट में जबरदस्त स्किल्स दिखाते हुए पहला गोल किया। केन ने एक डिफ्लेक्टेड बॉल को बॉक्स के अंदर से टैप किया जो गोल में बदल गया।
वहीं, डेनमार्क ने भी अपनी फॉर्म को बनाए रखा और 34वें मिनट में ह्युमलैंड ने एक लंबे शॉट के जरिए 30 गज की दूरी से गोल कर मैच को बराबरी पर ला दिया। यह शॉट बाएं पोस्ट से टकराकर अंदर चला गया। इस गोल ने वास्तव में खेल में जोश भर दिया और दर्शकों को उठाकर खड़ा कर दिया। स्पोर्ट्सप्रेमियों ने देखा कि इंग्लैंड की टीम ने शार्क शुरुआत के बावजूद मिडफ़ील्ड पर अपना नियंत्रण खो दिया, और डेनमार्क की टीम ने इसे अच्छे से भुनाया।
इंग्लैंड की ओर से जॉर्डन पिकफोर्ड का महत्वपूर्ण योगदान
इस मुकाबले में इंग्लैंड के जॉर्डन पिकफोर्ड ने भी एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। उन्होंने प्रमुख टूर्नामेंटों में सबसे ज्यादा उपस्थिति दर्ज करने का रिकॉर्ड बना लिया। उनकी यह भागीदारी इंग्लैंड के फुटबॉल इतिहास में हमेशा याद रखी जाएगी।
डेनमार्क के समर्थकों की धूम
मैच से पहले डेनमार्क के समर्थकों का उत्साह भी देखने लायक था। वे सड़कों पर झंडे और बैनरों के साथ जश्न मना रहे थे, और उनके चेहरे पर था अपने टीम के लिए गर्व और हर्ष।
प्रतियोगिता का प्रारम्भ
डेनमार्क की प्रारंभिक लाइनअप में कुछ महत्वपूर्ण खिलाड़ी शामिल थे, जैसे कि क्रिश्चियन एरिक्सन, जिन्होंने राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी की। इस मैच में एरिक्सन ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का शानदार प्रदर्शन किया और दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। इसी प्रकार, इंग्लैंड ने अपनी विजयी प्रारंभिक लाइनअप को बनाए रखा।
यह रोमांचक मुकाबला सोनी स्पोर्ट्स टेन पर विभिन्न भाषाओं में लाइव प्रसारित किया गया और इसे SonyLIV ऐप और वेबसाइट पर भी लाइव-स्ट्रीम किया गया। दोनों टीमों का यह मुकाबला उनके ग्रुप सी के अंतर्गत हुआ, जिसमें इंग्लैंड ने अपने पिछले 13 मुकाबलों में 4 जीत और 5 ड्रॉ के साथ प्रमुख स्थान पर रही है।
अपेक्षित बदलते मौसम और खिलाड़ियों की उर्जा को ध्यान में रखते हुए, उम्मीद की जा रही है कि मैच का दूसरा हाफ और भी अधिक रोमांचक होगा। फुटबॉल प्रेमियों को इस मैच से कई उम्मीदें हैं।
Vasudev Singh
जून 22, 2024 AT 07:37ये मैच तो बस एक बार देख लोगे तो दिल भर जाएगा। केन का गोल तो फिल्मी लगा, उसने बस एक झटके में बॉल को गोल में डाल दिया, जैसे कोई डॉक्टर सर्जरी कर रहा हो। और ह्युमलैंड का वो लंबा शॉट? वो तो बस एक आर्टिस्ट की ब्रश स्ट्रोक था, बाएं पोस्ट से टकराकर अंदर चला गया, जैसे बारिश की बूंद खिड़की के शीशे से टकराकर अंदर आ जाए। डेनमार्क की टीम ने दूसरे हाफ की शुरुआत में ही मिडफील्ड पर कब्जा कर लिया, इंग्लैंड का मिडफील्ड तो बिल्कुल खाली लग रहा था। पिकफोर्ड का रिकॉर्ड भी बहुत बड़ी बात है, उनकी लगातार उपस्थिति ने इंग्लैंड को स्थिरता दी है। एरिक्सन का आत्मबल भी देखने लायक था, जिसने अपने कैरियर के बाद भी इतना बड़ा योगदान दिया। ये मैच बस फुटबॉल का नहीं, बल्कि इंसानी जीवन का भी एक उदाहरण है-कभी आप आगे रहते हैं, तो कभी पीछे, लेकिन जब तक दिल जुड़ा है, तब तक हार नहीं माननी पड़ती।
Akshay Srivastava
जून 23, 2024 AT 17:09ह्युमलैंड का गोल 30 गज की दूरी से बाएं पोस्ट से टकराकर आया, यह तकनीकी रूप से असंभव नहीं है, लेकिन इसकी संभावना 0.7% से कम है। फुटबॉल में ऐसे गोल जब होते हैं, तो वे एक त्रुटि का परिणाम होते हैं-या तो गोलकीपर की असमर्थता, या बॉल की वायुगतिकी का अनुमान न हो पाना। पिकफोर्ड का रिकॉर्ड अच्छा है, लेकिन उनकी रक्षा की दक्षता नहीं, बल्कि उनकी लगातार उपस्थिति ही इसे संभव बनाती है। इंग्लैंड का मिडफील्ड अस्थिर था क्योंकि उनके डिफेंडर्स ने बॉल को अत्यधिक उच्च ऊर्जा के साथ बाहर भेज दिया, जिससे डेनमार्क को एक बार फिर रिवर्स एटैक का मौका मिला। यह एक विश्लेषणात्मक रूप से उचित गोल नहीं, बल्कि एक असंयमित अवसर था।
Amar Khan
जून 23, 2024 AT 19:58ये मैच तो बस देख के लगा jaise koi movie chal rhi ho… keman kya baat hai… maine toh bas 10 min dekha aur dil chala gaya… pichle match mein bhi kuch aisa hi hua tha… phir bhi main yahi hu… kya karu yaar… ye football… ye love… ye pain…
Roopa Shankar
जून 25, 2024 AT 09:09देखिए, ये मैच सिर्फ दो टीमों के बीच नहीं, बल्कि दो अलग-अलग फुटबॉल फिलॉसफी के बीच है। इंग्लैंड ने शुरुआत में ताकत दिखाई, लेकिन डेनमार्क ने धैर्य और रणनीति से जवाब दिया। ये वो बात है जो हम सभी के जीवन में भी होती है-जब आप तेज़ शुरुआत करते हैं, तो लोग आपको बाहर से देखते हैं, लेकिन जब आप धीरे-धीरे अपनी राह बनाते हैं, तो वो आपको समझने लगते हैं। पिकफोर्ड की लगातार उपस्थिति भी एक शिक्षा है-अनुशासन और निरंतरता का। और हां, डेनमार्क के समर्थक बहुत खुश लग रहे थे, उनका जश्न देखकर लगा जैसे वो जीत चुके हों। लेकिन अभी तो दूसरा हाफ बाकी है… अभी तक कुछ नहीं तय हुआ।
shivesh mankar
जून 27, 2024 AT 06:02मैच बहुत अच्छा चल रहा है। दोनों टीमों ने अपनी तरफ से बहुत कुछ दिखाया है। केन का गोल तो बस जबरदस्त था, लेकिन ह्युमलैंड का शॉट तो दिल जीत गया। ये फुटबॉल है, जहां हर गोल एक कहानी है। डेनमार्क के समर्थकों का जश्न देखकर लगा जैसे वो इस मैच का हिस्सा हैं। और पिकफोर्ड… वो तो एक लीजेंड हैं। एरिक्सन की वापसी भी दिल को छू गई। अभी दूसरा हाफ बाकी है, और मुझे लगता है कि ये मैच अभी अपनी सबसे अच्छी बात बाकी रखे हुए है। चलिए, अभी तक तो बस बहुत अच्छा था, लेकिन अभी तो बस शुरुआत हुई है।
avi Abutbul
जून 28, 2024 AT 02:49इंग्लैंड का मिडफील्ड तो बिल्कुल गड़बड़ है। केन का गोल तो बस एक लकी शॉट था। डेनमार्क ने अपना बेस्ट दिखाया, लेकिन इंग्लैंड बस फॉर्म में नहीं है। ये टीम तो चैम्पियन बनने के लिए नहीं, बल्कि लॉस्ट बनने के लिए बनी है।
manisha karlupia
जून 29, 2024 AT 14:44क्या कभी सोचा है… कि जब एक खिलाड़ी अपने दिल से खेलता है, तो बॉल भी उसके साथ गाना गाती है? ह्युमलैंड का शॉट… उसकी आंखों में एक अलग चमक थी… जैसे वो जानता हो कि ये गोल सिर्फ जीत नहीं, बल्कि एक वापसी है। और पिकफोर्ड… वो तो अपने दिल के आधार पर खेलते हैं। उनकी उपस्थिति में एक शांति है… जैसे बारिश के बाद की चुप्पी। मैं तो बस इंतज़ार कर रही हूं… कि अगला गोल कौन डालेगा… और क्या वो दिल को छू जाएगा?
vikram singh
जून 30, 2024 AT 04:56ये मैच तो बस एक बार देखो और तुम जीवन बदल जाओगे। केन का गोल? वो तो बस एक ब्रह्मांडीय बिजली की चमक थी-एक बिंदु जहां समय रुक गया। ह्युमलैंड का शॉट? वो तो एक भगवान की आवाज़ थी जो बाएं पोस्ट से टकराकर अंदर आई, जैसे शिव का त्रिशूल जो अंधकार को तोड़कर प्रकाश बन गया। पिकफोर्ड? वो तो एक अमर देवता हैं, जिनकी आंखों में दुनिया का इतिहास छुपा है। डेनमार्क के समर्थक ने तो बस अपने आप को एक धर्म बना लिया है। और एरिक्सन? वो तो एक अमर आत्मा हैं, जिन्होंने मृत्यु को भी फुटबॉल के लिए छोड़ दिया। ये मैच फुटबॉल नहीं… ये तो एक देवताओं का युद्ध है।
Vasudev Singh
जून 30, 2024 AT 17:50हां, वो बात तो बिल्कुल सही है-डेनमार्क की टीम ने दूसरे हाफ की शुरुआत में बिल्कुल अलग तरह से खेलना शुरू कर दिया। वो बस बॉल को एक जगह से दूसरी जगह ले जा रहे थे, जैसे एक बारिश की बूंद जो धीरे-धीरे नदी बन रही हो। इंग्लैंड की टीम तो बस बाहर से देख रही थी, जैसे कोई अपने घर के बाहर बैठा हो। और जब डेनमार्क ने बार-बार बॉल को एक जगह ले जाकर दबाव बनाया, तो इंग्लैंड के डिफेंडर्स की आंखें भी थक गईं। पिकफोर्ड ने एक बार फिर अपनी ताकत दिखाई, लेकिन अब तो वो भी थक रहे हैं। ये मैच अभी तक बहुत अच्छा रहा, लेकिन अगर डेनमार्क इसी तरह आगे बढ़ता है, तो इंग्लैंड के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा।