मध्य-पूर्व के तनाव के बीच कच्चे तेल की कीमतों में तेजी
कच्चे तेल की दुनिया में एक बार फिर से हलचल मच गई है। ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 13 जून 2025 को 74.56 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच गई, जो पिछले दिन की तुलना में करीब 7.5% की बड़ी छलांग है। ये उठाव अचानक नहीं आया, वजह है मध्य-पूर्व तनाव और स्ट्रेट ऑफ होरम्ज़ जैसी अहम रणनीतिक जगह पर चिंता। इस इलाके से गुजरने वाला लगभग एक तिहाई समुद्री कच्चा तेल दुनिया के बाज़ारों तक पहुँचता है। इस बार तनाव का बड़ा कारण इजराइल और ईरान के रिश्तों में आई नई तकरार है। जैसे-जैसे दोनों देशों के सैनिक कार्रवाई की खबरें आईं, बाज़ार में आपूर्ति बाधित होने का डर पनप गया।
अगर स्ट्रेट ऑफ होरम्ज़ में थोड़ी देर भी रुकावट आती है, तो सिर्फ एशियाई ही नहीं, पूरी दुनिया के पेट्रोलियम बाज़ारों में हड़कंप मच सकता है। विश्लेषकों की मानें तो पिछले एक हफ्ते से ट्रेडर्स की सबसे बड़ी चिंता यही रही कि कहीं तेल की सप्लाई सच में ठप न हो जाए। यही वजह थी कि गिरावट के तीन दिनों के बाद अचानक ब्रेंट क्रूड में इतनी तेजी आई।
अनिश्चितता के बीच बाजार की चाल और भावी कयास
इस अस्थिरता का असर सिर्फ कीमतों पर नहीं, बल्कि आगे की भविष्यवाणी पर भी पड़ा है। अमेरिका की एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन (EIA) ने 2025 के लिए ब्रेंट क्रूड के औसत भाव का अनुमान बढ़ाकर 65.97 डॉलर प्रति बैरल कर दिया है। वहीं, आईसीआईसीआई बैंक ने कच्चे तेल के दाम 60 से 70 डॉलर के दायरे में रहने की उम्मीद जताई है। उनकी रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही मध्य-पूर्व का संकट तुरंत नहीं सुलझा, लेकिन हाल के महीनों में ओपेक देशों का उत्पादन स्तर और वैश्विक मांग– दोनों ही अनिश्चित हैं। यानी बाजार एक तरफ सप्लाई कटौती के डर से ऊपर जा सकता है, तो दूसरी तरफ ओवर-सप्लाई या मांग में कमी से नीचे भी फिसल सकता है।
ट्रेडर्स के लिए दुविधा यही है कि किस पहलू पर ज्यादा भरोसा किया जाए। कुछ एक्सपर्ट्स सप्लाई में रुकावट की आशंका को तूल दे रहे हैं, तो कुछ मांग में कमी के संकेत देख रहे हैं। दिलचस्प है कि इस असमंजस में हेज फंड्स और निवेशकों का जोखिम लेने का तरीका भी बदल रहा है। हर छोटे-बड़े संकेत के साथ कीमतें या तो तेजी से ऊपर, या फिर उतनी ही फुर्ती से गिर रही हैं।
- स्ट्रेट ऑफ होरम्ज़: दुनिया के करीब 30% समुद्री कच्चे तेल की सप्लाई इसी रास्ते से होती है।
- ओपेक का रोल: प्रोडक्शन में कटौती या बढ़ोतरी—दोनों ही वैश्विक दामों को प्रभावित करते हैं।
- बाजार की नजर: हर नई जानकारी पर रिएक्शन तेज, ट्रेडिंग वॉल्यूम भी ऊपर।
तेल की ये उथल-पुथल सिर्फ कारोबारी हलकों तक सीमित नहीं, इसका असर आम आदमी तक महसूस हो सकता है—चाहे ट्रांसपोर्ट का किराया हो या घरेलू गैस के दाम। अब सबकी नजर अगले कुछ हफ्तों की घटनाओं और ओपेक की अगली रणनीति पर टिकी है।
Dev pitta
जून 15, 2025 AT 07:58praful akbari
जून 15, 2025 AT 17:20kannagi kalai
जून 16, 2025 AT 05:16Roy Roper
जून 16, 2025 AT 07:18Sandesh Gawade
जून 16, 2025 AT 19:39MANOJ PAWAR
जून 18, 2025 AT 05:04Pooja Tyagi
जून 19, 2025 AT 00:02Kulraj Pooni
जून 19, 2025 AT 09:46Hemant Saini
जून 21, 2025 AT 07:21Nabamita Das
जून 22, 2025 AT 09:17chirag chhatbar
जून 23, 2025 AT 13:36Aman Sharma
जून 24, 2025 AT 20:16sunil kumar
जून 25, 2025 AT 18:24Arun Kumar
जून 26, 2025 AT 20:06Snehal Patil
जून 28, 2025 AT 18:57Vikash Yadav
जून 30, 2025 AT 06:30sivagami priya
जुलाई 2, 2025 AT 05:51