बिहार स्कूल अवकाश कैलेंडर 2025 जारी: दुर्गा पूजा से लेकर दीपावली तक 72 दिन की छुट्टियां

बिहार स्कूल अवकाश कैलेंडर 2025 जारी: दुर्गा पूजा से लेकर दीपावली तक 72 दिन की छुट्टियां

जब बिहार शिक्षा विभाग ने 2025 का स्कूल अवकाश कैलेंडर आधिकारिक तौर पर प्रकाशित किया, तो हलचल सी मच गई। राज्य‑भर के 50,000 सार्वजनिक एवं निजी स्कूलों में कुल 72 दिन की छुट्टियां तय हो गईं, जिसमें दुर्गा पूजा, दीपावली, छठ पूजा और शीतकालीन वार्षिक अवकाश शामिल हैं। बिहार के छात्रों की संख्या लगभग 16 मिलियन होने के कारण यह कैलेंडर उनकी पढ़ाई‑जीवन को सीधे प्रभावित करेगा। कैलेंडर में प्रमुख तिथियों के साथ‑साथ विभिन्न जिलों में कुछ विशेष विस्तार भी बताया गया है, जिससे माता‑पिता और शिक्षकों को पहले से योजना बनाने में मदद मिलेगी।

इतिहासिक पृष्ठभूमि और पिछले सालों की तुलना

हर साल शिक्षा विभाग को राज्य के विविध सांस्कृतिक तिव्रताओं को समायोजित करने के लिए छुट्टियों की सूची तैयार करनी पड़ती है। 2024‑25 शैक्षणिक वर्ष में दुर्गा पूजा के लिए 5‑दिन की छुट्टियां तय थीं, जबकि 2025 में इसे 6‑दिन तक बढ़ाया गया है, क्योंकि कई जिलों में नवरात्रि की परम्परा अधिक विस्तृत मनाई जाती है। पिछले वर्ष 2024 में कुल 68 दिन की छुट्टियां थीं, जबकि इस बार 72 दिन तय किए गए हैं – यह वृद्धि मुख्यतः शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन अवकाश की लम्बाई में हुई बदलाव के कारण है।

मुख्य अवकाश तिथियों का विस्तृत विवरण

दुर्गा पूजा 2025 का समय-निर्धारण इस प्रकार है:

  • घटस्थापना (नवरात्रि की शुरुआत): 22 सितम्बर 2025 (सोमवार)
  • महा सप्तमी: 29 सितम्बर 2025 (सोमवार)
  • महा अष्टमी: 30 सितम्बर 2025 (मंगलवार)
  • महा नवमी: 1 अक्टूबर 2025 (बुधवार)
  • विजय दशमी (दुर्गा पूजा समाप्ति): 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) – यह दिन गांधी जयंती के साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी अवकाश है।
  • कुछ जिलों (पटना, गया, मुजफ्फरपुर) में 5 अक्टूबर तक का अतिरिक्त आवंटन किया गया है, जिससे स्थानीय त्योहारों का विस्तार संभव हो सके।

दुर्गा पूजा के बाद दीपावली की छुट्टियां 20‑21 अक्टूबर (सोम‑मंगल) निर्धारित हैं, जिसके बाद भाई दूज 23 अक्टूबर (गुरुवार) एवं छठ पूजा 27‑28 अक्टूबर (सोम‑मंगल) की छुट्टियां हैं।

शीतकालीन अवकाश 30 दिसंबर 2025 से 4 जनवरी 2026 तक रहेगा, जबकि ग्रीष्मकालीन ब्रेक 11 मई से 15 जून तक निर्धारित है, जिसमें 5 रविवार शामिल हैं, कुल 36 दिन की अवधि बनती है।

जिला‑विशिष्ट भिन्नताएँ और स्थानीय प्रशासनिक निर्णय

कैलेंडर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पटना, गया और कुछ सीमा‑पार क्षेत्रों में दुर्गा पूजा के अतिरिक्त दो‑तीन दिन जोड़े जा सकते हैं, क्योंकि स्थानीय सांस्कृतिक संगठनों ने विस्तारित समारोहों का प्रस्ताव रखा था। जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि "हम स्थानीय मांगों को देखते हुए लचीलापन बनाए रखेंगे, ताकि छात्रों को अपने परिवारों के साथ अवसर मिल सके।" इस तरह के लचीलापन का अर्थ है कि हर स्कूल स्वयं निर्णय लेगा कि किस अवधि में बंद रहेगा, बशर्ते वह राज्य‑स्तर के अनुपालन में रहे।

प्रभाव, प्रतिक्रिया और विशेषज्ञों का विश्लेषण

प्रभाव, प्रतिक्रिया और विशेषज्ञों का विश्लेषण

व्यापार और कई निजी शैक्षणिक संस्थानों ने कहा कि बड़े अवकाश अवधि से परीक्षाओं के समय‑सारिणी में थोड़ा बदलाव आएगा, लेकिन यह छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होगा। शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. रवीना सिंह (बिहार विश्वविद्यालय) ने टिप्पणी की, "जब छात्र अपने धर्म‑संस्कृति से जुड़े उत्सवों में भाग ले पाते हैं, तो उनका सामाजिक विकास भी तेज़ होता है। कैलेंडर में इन छुट्टियों को व्यवस्थित रूप से सम्मिलित करना एक संतुलित नीति दर्शाता है।"

दुर्गा पूजा के दौरान कई विद्यालयों ने लेखन‑परीक्षाओं को पूर्व‑या‑पश्चात सप्ताह में पुनर्निर्धारित करने की योजना बनाई है, जिससे शैक्षणिक प्रगति में कोई बाधा न आए। साथ ही केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) ने भी अपना अलगीकृत कैलेंडर जारी किया है, जिसमें 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा को प्रतिबंधित अवकाश (RH) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

भविष्य की दृष्टि और संभावित संशोधन

शिक्षा विभाग ने संकेत दिया है कि अगले वर्ष के लिए भी समान संरचना अपनाई जाएगी, लेकिन यदि कोविड‑19 जैसी अप्रत्याशित स्थितियां उत्पन्न होती हैं, तो औसत छुट्टियों की संख्या में समायोजन किया जा सकता है। विभाग की एक सार्वजनिक घोषणा में कहा गया कि "हम निरंतर निगरानी करेंगे और आवश्यकतानुसार डिजिटल शिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों को सपोर्ट देंगे।"

सामान्य प्रश्न

दुर्गा पूजा के दौरान स्कूल बंद रहने से पढ़ाई पर क्या असर पड़ेगा?

छुट्टियों के दौरान शिक्षकों को वैकल्पिक पाठ्यक्रम तैयार करने की आज़ादी मिलती है, इसलिए अधिकांश स्कूल परीक्षा‑शेड्यूल को पुनः व्यवस्थित कर देते हैं। इस तरह छात्र उत्सव का आनंद लेते हुए पढ़ाई में कोई कमी नहीं आती।

क्या सभी निजी स्कूल भी इस कैलेंडर का पालन करेंगे?

निजी स्कूल आधिकारिक कैलेंडर को मानक मानते हैं, लेकिन यदि वे अलग व्यवस्था चाहते हैं, तो उन्हें राज्य शिक्षा विभाग की अनुमति लेनी होगी। अधिकांश बड़े निजी संस्थान इस दिशा‑निर्देश का पालन कर रहे हैं।

छठ पूजा की छुट्टियां कब से कब तक होंगी?

छठ पूजा 27‑28 अक्टूबर 2025 (सोम‑मंगल) को निर्धारित है, और इन दो दिनों में सभी सरकारी और कई निजी विद्यालय बंद रहेंगे।

ग्रीष्मकालीन अवकाश की कुल अवधि कितनी है?

गर्मी की छुट्टी 11 मई से 15 जून 2025 तक चलेंगी, जिसमें 5 रविवार शामिल हैं, कुल मिलाकर 36 दिन बनते हैं।

यदि कोई स्कूल कैलेंडर में बदलाव चाहता है तो प्रक्रिया क्या है?

स्कूल को अपने जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित अनुरोध भेजना होगा। जिला स्तर पर समीक्षा के बाद, यदि आवश्यक समझा गया तो राज्य शिक्षा विभाग से अंतिम मंजूरी ली जाएगी।

16 Comments

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    Rahuk Kumar

    अक्तूबर 9, 2025 AT 02:23

    कैलेंडर का विस्तार, शैक्षणिक दृष्टि से सहज।

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    Chaitanya Sharma

    अक्तूबर 10, 2025 AT 03:23

    विगत सालों की तुलना में इस कैलेंडर में छुट्टियों की संख्या में स्पष्ट वृद्धि देखी गई है। स्कूल प्रशासन को अब शैक्षणिक कैलेंडर को पुनः नियोजित करने में थोड़ा लचीलापन बरतना पड़ेगा, विशेषकर परीक्षा‑शेड्यूल को समायोजित करने के लिए। इस अवधि में शिक्षक परिषद द्वारा वैकल्पिक पाठ्यक्रम तैयार करने की अनुमति दी गई है, जिससे छात्रों के शैक्षणिक नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।

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    Riddhi Kalantre

    अक्तूबर 11, 2025 AT 04:23

    बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देने के लिए यह विस्तारित दुर्गा पूजा अवकाश एक बड़ी जीत है। जब हर बच्चे को अपने पारिवारिक उत्सव में भाग लेने का मौका मिलता है, तो उनका राष्ट्रीय भावना और सामाजिक सहभागिता दोनों ही प्रबल होते हैं। इस कैलेंडर में छठ पूजा और दीपावली के लिए भी उचित विश्राम दिया गया है, जिससे हमारे युवा पीढ़ी की मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होगा। इस प्रकार की नीति, वास्तव में, राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक विविधता को सुदृढ़ करती है।

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    Jyoti Kale

    अक्तूबर 12, 2025 AT 05:23

    कट्टरता से कहूँ तो, यह कैलेंडर अनावश्यक रूप से विस्तारशील है। प्रशासन ने बिना गहन विश्लेषण के कई अतिरिक्त दिन जोड़े हैं, जिससे शैक्षणिक निरंतरता बाधित होगी। छात्रों को अब लम्बी अवकाश के बाद फिर से रिदम में आना कठिन हो सकता है।

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    Ratna Az-Zahra

    अक्तूबर 13, 2025 AT 06:23

    विचार करने लायक है कि इस विस्तार का वास्तविक प्रभाव क्या होगा। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में नियोजन की सुगमता पर प्रश्न उठता है।

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    Nayana Borgohain

    अक्तूबर 14, 2025 AT 07:23

    अवकाश का विस्तार छात्रों के भीतर नयी ऊर्जा का संचार करता है 😊
    परन्तु स्कूलों को समय‑सारिणी में समायोजन करना पड़ेगा।

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    Abhishek Saini

    अक्तूबर 15, 2025 AT 08:23

    सपोर्ट करने वाला कोच की तरह, मैं कहूँगा कि इस कैलेंडर से छात्रों को एक ब्रेक मिल रहा है, जो रिफ्रेश करने में मददगार होगा। थोड़ा टाइपो हो गया, पर मुख्य बात समझ में आ गई।

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    Parveen Chhawniwala

    अक्तूबर 16, 2025 AT 09:23

    जैसा कि प्रोटोकॉल में बताया गया है, यदि कोई स्कूल अतिरिक्त बदलाव चाहता है तो उसे जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित आवेदन भेजना होगा। ये प्रक्रिया काफी स्पष्ट है, बस समय पर सबमिट करना आवश्यक है।

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    Saraswata Badmali

    अक्तूबर 17, 2025 AT 10:23

    बिहार के शैक्षणिक कैलेंडर का विस्तृत विश्लेषण करने पर स्पष्ट हो जाता है कि 2025 का संस्करण मात्र एक काल्पनिक टेम्पलेट नहीं, बल्कि एक सामरिक शैक्षिक पुनर्गठन का प्रतिक है। प्रथम, कुल 72 दिवस की अवकाश अवधि, जिसका वितरण धार्मिक, सामाजिक और जलवायु‑आधारित कारकों के आधार पर संतुलित किया गया है। द्वितीय, दुर्गा पूजा के लिए अतिरिक्त दो‑तीन दिन, विशेषकर पटना‑गया‑मुजफ्फरपुर क्षेत्रों में, स्थानीय सांस्कृतिक संस्थाओं की अनुशंसा के अनुरूप है, जिससे सामाजिक समरसता को बल मिलता है। तृतीय, शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन ब्रेक की अवधि का पुनर्गठन, शैक्षणिक निरंतरता के साथ विद्यार्थी‑शारीरिक स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखता है। चतुर्थ, जिला‑विशिष्ट लचीलापन, जैसा कि उल्लेखित है, स्थानीय प्रशासन को अनुकूलन की आज़ादी देता है, परन्तु यह राज्य‑स्तर के फ्रेमवर्क के भीतर ही सीमित है। पंचम, इस कैलेंडर में 'वैकल्पिक पाठ्यक्रम' की संभावना, शिक्षकों को नवाचारी शैक्षिक सामग्री तैयार करने का अवसर देती है, जो छात्र‑सक्रियता को बढ़ावा देती है। षष्ठ, परीक्षा‑शेड्यूल में संभावित पुनःनिर्धारण, छात्रों के तनाव को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। सप्तम, इस विस्तृत दस्तावेज़ में तकनीकी दृष्टिकोण से स्पष्ट रूप से डिजिटल शिक्षा का उल्लेख, दूरस्थ शिक्षा के संभावित विस्तार को संकेत करता है। अष्टम, प्रक्रिया की पारदर्शिता, जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित आवेदन और राज्य स्तर पर अनुमोदन की आवश्यकता है, व्यवस्था को उत्तरदायी बनाता है। नवम, कुल मिलाकर, यह कैलेंडर सामाजिक‑सांस्कृतिक विविधता को सम्मानित करते हुए शैक्षिक अखंडता को बनाए रखने का संतुलन प्रस्तुत करता है, जो भविष्य के शैक्षिक नीतियों के लिए एक मॉडल बन सकता है।

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    Deepak Sonawane

    अक्तूबर 18, 2025 AT 11:23

    यहाँ पर विश्लेषण की बात करें तो, कैलेंडर का इतिवृत्त अत्यधिक जटिल हो गया है, जिससे निर्णय‑ग्रहण प्रक्रिया में अनावश्यक बोझ बढ़ेगा। वास्तविक शैक्षणिक प्रभाव को मापना कठिन हो सकता है।

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    Suresh Chandra Sharma

    अक्तूबर 19, 2025 AT 12:23

    अरे भाई, ये कैलेंडर से तो काफी बेहतर होगा, वीरी फन टाइम! बस यूज़र फ्रेंडली बने रहो।

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    sakshi singh

    अक्तूबर 20, 2025 AT 13:23

    मैं समझती हूँ कि कई अभिभावक और शिक्षक इस विस्तारित अवकाश को लेकर चिंतित हो सकते हैं, परन्तु यह भी ध्यान देना आवश्यक है कि लंबे ब्रेक से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस मौके पर स्कूलों को वैकल्पिक शैक्षणिक सामग्री तैयार कर, छात्रों को निरंतर सीखने की प्रक्रिया में शामिल रखने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही, यह अवधि सांस्कृतिक उत्सवों के साथ जुड़ाव को बढ़ाने का उत्तम अवसर भी है, जिससे बच्चों की सामाजिक समझ में वृद्धि होती है। इसलिए, इस कैलेंडर को एक सकारात्मक कदम के रूप में देखना चाहिए, न कि एक बाधा के रूप में।

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    Hitesh Soni

    अक्तूबर 21, 2025 AT 14:23

    प्रस्तावित कैलेंडर में विद्यमान अवधियों के पुनरावृत्तित्व को देखते हुए, यह तर्कसंगत है कि शैक्षणिक निरंतरता के लिये एक सूक्ष्म संतुलन स्थापित किया जाना चाहिए। अत्यधिक विस्तार, शैक्षणिक दक्षता में क्षय का कारण बन सकता है।

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    rajeev singh

    अक्तूबर 22, 2025 AT 15:23

    एक सांस्कृतिक प्रतिनिधि के रूप में, मैं कहना चाहूँगा कि इस कैलेंडर में स्थानीय त्यौहारों को शामिल करना, छात्रों के सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ करता है और सामाजिक समरसता को बढ़ाता है। यह एक संतुलित दृष्टिकोण है।

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    ANIKET PADVAL

    अक्तूबर 23, 2025 AT 16:23

    नैतिक दायित्व के दायरे में देखते हुए, उत्तरदायित्व के साथ कहना पड़ेगा कि यह कैलेंडर केवल एक प्रशासनिक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि सामाजिक अनुशासन की एक मूलभूत अभिव्यक्ति है। यदि इसे सतही तौर पर अपनाया गया, तो शैक्षणिक प्रणाली में गहरी विषमता उत्पन्न हो सकती है। इसलिए, प्रत्येक विद्यालय को इस नीति को लागू करते समय यथार्थवादी परिप्रेक्ष्य से मूल्यांकन करना चाहिए, न कि मात्र आधिकारिक आदेश के रूप में स्वीकार करना चाहिए।

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    Shivangi Mishra

    अक्तूबर 24, 2025 AT 17:23

    वाह! यदि इन छुट्टियों का सही उपयोग किया जाए तो छात्रों की ऊर्जा फिर से नवीनीकरण हो जाएगी-यह निश्चित ही प्रेरणादायक है।

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