Baaghi 4: 23 कट के बाद CBFC का 'A' सर्टिफिकेट, 5 सितंबर की रिलीज से पहले सेंसर पर गरम बहस

Baaghi 4: 23 कट के बाद CBFC का 'A' सर्टिफिकेट, 5 सितंबर की रिलीज से पहले सेंसर पर गरम बहस

CBFC का फैसला: 23 कट, 'A' सर्टिफिकेट और सबसे 'डार्क' बाघी

टाइगर श्रॉफ की Baaghi 4 को आखिरकार सेंसर बोर्ड से हरी झंडी मिल गई, लेकिन सफर आसान नहीं था। सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) की एग्जामिनिंग कमिटी ने 23 कट की मांग की और उसके बाद 26 अगस्त 2025 को फिल्म को 'A' (एडल्ट) सर्टिफिकेट जारी हुआ। 5 सितंबर को थिएटर्स में उतरी इस एक्शन थ्रिलर को फ्रेंचाइज़ की अब तक की सबसे 'डार्क' फिल्म बताया जा रहा है—हिंसा, गोर और कुछ यौन संदर्भों की तीव्रता ने बोर्ड को सख्त संपादन करवाने पर मजबूर किया।

सबसे चौंकाने वाली काट-छांट उस 13 सेकेंड के सीन पर हुई जिसमें कटे हुए हाथ से सिगरेट जलाई जाती दिखती थी—इसे पूरी तरह हटाना पड़ा। इसी तरह एक शॉट में नायक का ताबूत पर खड़ा होना बोर्ड को आपत्तिजनक लगा, इसलिए वह दृश्य भी हटा दिया गया। एक और सीन में 'निरंजन दीया' से सिगरेट सुलगाने को धार्मिक भावनाओं के लिहाज से असंगत माना गया और साफ कट कर दिया गया।

फिल्म में कुछ यौन संकेतक इशारों और न्यूडिटी पर भी कैंची चली। एक सीन में लड़की की कमर पर हाथ रखने वाले इशारे को बदला गया, जबकि फ्रंटल न्यूडिटी को डिजिटल ढंग से ढक दिया गया। बोर्ड ने तर्क दिया कि 'A' रेटिंग का मतलब असीमित छूट नहीं है—अत्यधिक स्पष्ट, अपमानजनक या समाज में असहजता पैदा करने वाले विजुअल्स को कम करना ही नीति का हिस्सा है।

धार्मिक संवेदनशीलता पर भी बोर्ड ने साफ रुख दिखाया। एक सीक्वेंस में जीसस क्राइस्ट की प्रतिमा की तरफ चाकू फेंकने, प्रतिमा पर प्रहार और उसके झुक कर गिरने वाले शॉट्स को हटाया गया। CBFC की गाइडलाइंस ऐसे दृश्यों को कट या बदलने की सलाह देती हैं जो किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकते हैं।

एग्जामिनिंग कमिटी की प्रक्रिया में आम तौर पर दो तरह के बदलाव सुझाए जाते हैं—पूरी तरह डिलीशन और विजुअल-साउंड मॉडरेशन। यहां दोनों लागू हुए: कुछ शॉट काटे गए, कुछ फ्रेम री-कॉम्पोज़ हुए, कहीं रंग और साउंड इफेक्ट नरम किए गए। धूम्रपान संबंधित शॉट्स में स्क्रीन पर स्वास्थ्य चेतावनी तो अनिवार्य होती ही है, लेकिन जहां विजुअल 'डिस्टर्बिंग' श्रेणी में आता है, वहां बोर्ड सीधा हटाने की मांग करता है।

यह भी गौर करने लायक है कि 'A' रेटिंग के बाद भी CBFC अक्सर 'एक्सेसिव' हिंसा और गोर के स्तर को कम कराता है। भारतीय सेंसरिंग ढांचे में 'कलात्मक स्वतंत्रता' और 'सार्वजनिक शिष्टाचार/सामाजिक संवेदनशीलता' के बीच एक महीन संतुलन रखा जाता है। Baaghi 4 का केस उसी तनाव को सामने लाता है—फिल्ममेकर्स के विज़न और बोर्ड की मर्यादाओं के बीच लगातार बातचीत।

कास्टिंग और क्रू पर नजर डालें तो टाइगर श्रॉफ के साथ हरनाज़ संधू, संजय दत्त और सोनम बाजवा हैं। निर्देशन की कमान ए. हर्षा के पास है, जो दक्षिण भारतीय एक्शन-कमर्शियल टेम्पलेट से आते हैं। प्रोडक्शन साजिद नाडियाडवाला का है—यानी पैमाना बड़ा है, स्टंट्स और एक्शन कोरियोग्राफी हाई-ऑक्टेन है, और इसी स्केल का असर कई जगह विजुअल्स की तीव्रता पर भी दिखता है।

बॉक्स ऑफिस, फ्रेंचाइज़ की दिशा और सेंसरशिप की बहस

कट्स के बावजूद फिल्म के लिए शुरुआती हवा अनुकूल रही। रिलीज से पहले करीब 5 करोड़ की एडवांस बुकिंग रिपोर्ट हुई और पहले दिन 13.20 करोड़ का कलेक्शन आया। यह टाइगर श्रॉफ के करियर का पांचवां सबसे बड़ा ओपनिंग डे है और 2025 में बॉलीवुड की आठवीं सबसे बड़ी शुरुआत बताई जा रही है। एडल्ट कैटेगरी वाली फिल्मों में भी इसका ओपनिंग टॉप-10 में जगह बनाता है—'राज़ 3' और 'वीरे दी वेडिंग' जैसी टाइटल्स को पार करता हुआ।

क्यों मायने रखती है यह शुरुआत? 'A' रेटिंग होने पर फैमिली ऑडियंस की हिस्सेदारी कम हो जाती है, शो-टाइमिंग्स पर भी असर पड़ता है, और कुछ राज्यों में प्रमोशन/आउटडोर डिस्प्ले के नियम कड़े होते हैं। इसके बावजूद डबल-डिजिट ओपनिंग बताती है कि टाइगर का यूथ कनेक्ट और फ्रेंचाइज़ की ब्रांड वैल्यू अभी भी काम कर रही है।

फ्रेंचाइज़ की दिशा पर भी यह फिल्म एक मोड़ है। पहले तीन भाग—2016, 2018 और 2020—में एक्शन बड़ा था, लेकिन टोन अपेक्षाकृत 'वॉचेबल' रखा गया था। इस बार ग्राफिक हिंसा, डार्क पैलेट और ब्लीडिंग-एज स्टंट्स ने इसे ज्यादा कठोर बना दिया। यह टाइगर श्रॉफ की पहली फिल्म है जो सीधे एडल्ट ऑडियंस को टारगेट करती है—उनके लिए भी यह इमेज शिफ्ट है, जहां 'फैमिली-फ्रेंडली' हीरो अब एक ज्यादा खुरदरे स्पेस में प्रवेश करता दिखता है।

कास्टिंग के स्तर पर संजय दत्त की मौजूदगी फिल्म को एक ग्रिट और ग्रेविटी देती है—उनका एंटी-हीरो आभा यहां मेल खाता है। हरनाज़ संधू और सोनम बाजवा जैसे नाम नयी चमक जोड़ते हैं—ग्लैमर और नॉर्थ इंडिया की अपील दोनों। निर्देशक ए. हर्षा का बैकग्राउंड एक्शन-हैवी कन्नड़ सिनेमा से है; उनकी स्टाइल सेट-पीसेज़ पर जोर देती है, और Baaghi 4 में भी वही प्राथमिकता पढ़ती है—स्पेक्टेकल पहले, कहानी बाद में।

रिव्यूज़ इससे अलग नहीं कहते। शुरुआती दर्शक प्रतिक्रियाएं मिक्स्ड-टू-पॉजिटिव रही हैं—एक्शन की जमकर तारीफ, लेकिन बयान यही कि कथा और भावनात्मक आर्क्स उतने प्रभावी नहीं। पर एक्शन फ्रेंचाइज़ में अक्सर यही ट्रेड-ऑफ रहता है: क्या आप कहानी के लिए आए हैं या एड्रेनालिन के लिए? बॉक्स ऑफिस पर फैसला आम तौर पर दूसरे फैक्टर के पक्ष में जाता है, खासकर ओपनिंग वीकेंड में।

सेंसरशिप और क्रिएटिव फ्रीडम की बहस फिर से गर्म है। सवाल उठता है—जब फिल्म को 'A' मिल चुका, तब भी इतने कट क्यों? बोर्ड का तर्क—'A' भी सार्वजनिक प्रदर्शनी का सर्टिफिकेट है, और उच्च तीव्रता वाले गोर/धर्म-अपमानजनक/अत्यधिक यौन संकेतक विजुअल्स को सीमित रखना उनकी जिम्मेदारी है। फिल्मकारों का नजरिया—डार्क टोन और शॉक-वैल्यू कभी-कभी कहानी का अनिवार्य हिस्सा होती है। यही रस्साकशी भारत में बार-बार दिखती है।

इंडस्ट्री के लेवल पर इसका असर क्या होगा? एक, मेकर्स अब स्क्रिप्ट स्टेज पर ही 'एडल्ट विजुअल्स' की सीमा-रेखा तय करने लगेंगे, ताकि बाद में री-एडिट का खर्च और समय न बढ़े। दो, क्लाइमैक्स या की-सीक्वेंस में धार्मिक प्रतीक/धार्मिक वस्तुओं का इस्तेमाल सोच-समझकर होगा—कानूनी जोखिम और पब्लिक सेंटिमेंट दोनों वजहें हैं। तीन, स्मार्ट एडिटिंग—रीफ्रेमिंग, कलर-टोनिंग, साउंड-मिक्स—का इस्तेमाल बढ़ेगा, ताकि बगैर कट के भी इम्पैक्ट बना रहे।

बाजार के लिहाज से 'A' फिल्मों का परफॉर्मेंस पिछले कुछ साल में अनिश्चित रहा है। 'कबीर सिंह' जैसे अपवादों ने दिखाया कि एडल्ट रेटिंग हिट को नहीं रोकती, लेकिन औसतन फैमिली-अडॉप्शन की कमी बॉक्स ऑफिस की छत नीची कर देती है। थियेट्रिकल्स में नुकसान को ओटीटी और सैटेलाइट से कुछ हद तक सम्हाला जाता है—हालांकि कई चैनल्स प्राइम-टाइम के लिए 'A' टाइटल्स पर सशर्त रहते हैं। Baaghi 4 का शुरुआती जोर संकेत देता है कि यूथ और सिंगल-स्क्रीन सर्किट इसे सपोर्ट कर रहे हैं।

फ्रेंचाइज़ इकॉनॉमिक्स भी यहां काम करती है। 'बाघी' ब्रांड का वादा है—हाई-वोल्टेज स्टंट, पार्कौर, हैंड-टू-हैंड कॉम्बैट और बड़े पैमाने के सेट-पीसेज़। यही डिलिवरी Baaghi 4 में तेजतर है, बस कीमत यह कि सेंसरिंग का दबाव बढ़ गया। मेकर्स ने जो विजुअल्स छोड़े, वे थिएट्रिकल कट में नहीं हैं; लेकिन दर्शक उम्मीद कर रहे हैं कि ओटीटी/डायरेक्टर कट में कुछ हटे हुए हिस्से बदले रूप में दिख जाएं—यह निर्णय आगे चलकर प्लेटफॉर्म्स और सेंसरशिप नियमों पर निर्भर होगा।

फिलहाल फोकस वीकेंड ट्रेंड पर है। वर्ड-ऑफ-माउथ अगर एक्शन की तरफ झुका रहा तो सप्ताहांत में अच्छी उछाल मिल सकती है। दूसरी तरफ, यदि 'कहानी कमजोर' नैरेटिव हावी हुआ तो मल्टीप्लेक्स में रिपीट वैल्यू घटेगी। किसी भी एडल्ट-रेटेड एक्शनर की तरह, Baaghi 4 का खेल पहले 3-4 दिन में तय होगा—मेट्रो शहरों और टियर-2 सिंगल स्क्रीन का कॉम्बिनेशन इसका बैरोमीटर बनेगा।

एक बात तय है—यह फिल्म टाइगर श्रॉफ के करियर में टोनल शिफ्ट दर्ज करती है। संवाद कम, फिजिकलिटी और स्टाइल ज्यादा—और इस बार सीमाएं भी ज्यादा धुंधली। सेंसर बोर्ड का कड़ा रुख और बॉक्स ऑफिस की शुरुआती हरी झंडी—दोनों साथ-साथ चल रहे हैं। आगे की राह दर्शक तय करेंगे—वे कितनी 'डार्क' बाघी देखना चाहते हैं, और किस कीमत पर।

14 Comments

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    Roy Roper

    सितंबर 7, 2025 AT 09:38
    23 कट? बस यही बात है। बाघी 4 को A सर्टिफिकेट मिल गया तो अब ये सब बहस बेकार है। जो देखना चाहता है देख लेगा।
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    Sandesh Gawade

    सितंबर 7, 2025 AT 19:10
    ये सेंसर बोर्ड का फैसला बिल्कुल सही है! जब तक फिल्में इतनी खून-खराबा और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती रहेंगी, तब तक कट्स का नाम लेना बेकार है। ये फिल्म एक्शन के नाम पर बस गुस्सा बिखेर रही है। टाइगर श्रॉफ को अपने आप को बदलना होगा, न कि बोर्ड को।
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    MANOJ PAWAR

    सितंबर 9, 2025 AT 14:51
    मैंने फिल्म नहीं देखी, लेकिन इसकी बात सुनकर लगा जैसे भारत की सेंसरशिप अब एक बुजुर्ग नानी बन गई है जो हर चीज़ में निशान लगाना चाहती है। 13 सेकंड का सिगरेट वाला सीन हटाया? ये बात तो बच्चों की कहानी है। जब तक हम अपनी फिल्मों को बच्चों के लिए नहीं बनाएंगे, तब तक ये बातें चलती रहेंगी।
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    Pooja Tyagi

    सितंबर 10, 2025 AT 18:41
    A रेटिंग के बाद भी 23 कट?!! ये तो बिल्कुल बेकार है! अगर फिल्म A रेटेड है, तो ये सब कट्स बस एक नाटक है! फिल्मकारों को एक बार बोर्ड को बताना चाहिए - अगर आपको लगता है कि ये फिल्म बच्चों के लिए है, तो इसे A रेट नहीं देते! अब ये सब बस बहाना है!
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    Kulraj Pooni

    सितंबर 11, 2025 AT 03:10
    ये सब बहस तो बस एक नियम का नाटक है। जब तक हम अपनी सांस्कृतिक भावनाओं को नहीं समझेंगे, तब तक हर फिल्म एक बहस बन जाएगी। क्या आपने कभी सोचा कि जब एक फिल्म में ईसा मसीह की प्रतिमा को चाकू फेंका जाता है, तो वो किसी के लिए धार्मिक अपमान नहीं होता? ये बस नहीं होना चाहिए। और फिर ये बात कि एक्शन फिल्मों को डार्क बनाना जरूरी है - ये बस एक बेवकूफी है।
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    Hemant Saini

    सितंबर 12, 2025 AT 08:32
    मुझे लगता है कि ये बहस दोनों तरफ से गलत है। फिल्मकारों को अपनी कला को जाने बिना बाहर नहीं निकालना चाहिए, और बोर्ड को भी ये समझना चाहिए कि आज का युवा दर्शक अलग देखता है। डार्क टोन और एक्शन दोनों एक ही चीज़ हैं - बस एक नए नजरिए की जरूरत है। बोर्ड और मेकर्स के बीच एक बातचीत होनी चाहिए, न कि एक लड़ाई।
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    Nabamita Das

    सितंबर 12, 2025 AT 10:11
    अगर आप एक्शन फिल्म बना रहे हैं तो तीव्रता का नाम लें। लेकिन धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल करना बिल्कुल गलत है। बोर्ड ने सही किया। ये सीन नहीं होने चाहिए। और सिगरेट वाला सीन? अगर आप युवाओं को धूम्रपान का संदेश देना चाहते हैं, तो आपको फिल्म बनाने का अधिकार ही नहीं है।
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    chirag chhatbar

    सितंबर 12, 2025 AT 16:40
    kya bhai ye sab kya hai? 23 cuts? yaar film toh bas action hai, koi story nahi hai. aur abhi cbfc ko bhi darr lag gaya hai ki koi muslim ya hindu bhaiya uth jaye. jhootha jhootha drama. movie dekhne wale toh dekh lenge, koi nahi dekhega toh koi problem nahi.
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    Aman Sharma

    सितंबर 13, 2025 AT 06:28
    A रेटिंग के बाद कट्स की बात? ये बस एक आडंबर है। अगर फिल्म एडल्ट है, तो ये सब कट्स बस एक नाटक है। आप जो कर रहे हैं, वो नाटक है। अगर आप वास्तविक डार्कनेस चाहते हैं, तो फिल्म को बिना कट के रिलीज कर दें। ये बोर्ड का बाहरी नाटक है - वे खुद को शिष्टाचार का प्रतीक बनाना चाहते हैं।
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    sunil kumar

    सितंबर 13, 2025 AT 23:55
    ये सेंसरशिप एक रिस्क मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी है! फिल्म इंडस्ट्री को अपने विजुअल्स को एक डिजिटल फिल्टर सिस्टम के साथ लॉन्च करना चाहिए - जहां आप रंग, साउंड, और फ्रेमिंग को एडजस्ट कर सकें। ये बिना कट के बोर्ड की शर्तें पूरी करता है। और धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल? ये बस ट्रेंड के लिए है - असली कला तो वो है जो बिना झूठे ड्रामे के दर्शक को छू जाए।
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    Arun Kumar

    सितंबर 14, 2025 AT 18:23
    23 कट? ये तो बहुत कम है। अगर ये फिल्म बच्चों के लिए बनाई गई होती, तो तो तीन घंटे का कट होता। ये फिल्म बस बदमाशी का नाम लेकर बनाई गई है। टाइगर श्रॉफ को अपने आप को बदलना होगा - न कि बोर्ड को।
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    Snehal Patil

    सितंबर 14, 2025 AT 20:55
    A रेटिंग? तो फिर ये सब कट्स क्यों? 😒 ये तो बस बोर्ड का अपना बाहरी इमेज बनाने का नाटक है। जब तक फिल्म नहीं देखी, तब तक ये सब बस गपशप है। लेकिन अगर ये सीन हटाए गए, तो ओटीटी पर वो वापस आएंगे - तो फिर क्या बदला? 🤷‍♀️
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    Vikash Yadav

    सितंबर 16, 2025 AT 11:10
    ये फिल्म बिल्कुल जमकर धमाकेदार है। कट्स? बस एक नियम का नाटक। जब तक हम अपनी फिल्मों को बच्चों के लिए नहीं बनाएंगे, तब तक ये सब चलता रहेगा। लेकिन अगर तुम एक्शन के लिए आए हो - तो ये फिल्म तुम्हारे लिए है। टाइगर ने अपना जानवर दिखाया - और बोर्ड ने उसके दांत निकाल दिए। अब देखते हैं कि दर्शक क्या कहते हैं।
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    sivagami priya

    सितंबर 17, 2025 AT 03:27
    A रेटिंग मिल गई तो फिर कट्स क्यों?? 😭 ये तो बस बोर्ड का अपना दिमाग चला रहा है! अगर ये फिल्म एडल्ट है, तो ये सब बस एक धोखा है! ओटीटी पर तो ये सब वापस आएगा - तो फिर ये सब क्यों? 😩

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