2024 में भारतीय F-1 वीज़ा में 38% गिरावट, हर्दराबाद में 80% कमी

2024 में भारतीय F-1 वीज़ा में 38% गिरावट, हर्दराबाद में 80% कमी

जब डोनाल्ड ट्रम्प, राष्ट्रपति‑इलेक्ट्रो, ने जनवरी 2025 में पदभार संभालने की तैयारी की, संयुक्त राज्य अमेरिका ने जनवरी‑सितंबर 2024 में भारतीय छात्रों को केवल 64,008 F-1 वीज़ा जारी किये, जो पिछले साल की तुलना में 38% गिरावट दर्शाता है। यह आंकड़ा U.S. Department of State की आधिकारिक सांख्यिकी पर आधारित है और American Bazaar Online ने 11 दिसंबर 2024 को प्रकाशित विश्लेषण में उजागर किया। इस गिरावट ने न केवल छात्र सपनों को टिल‑टिल कर दिया, बल्कि भारतीय शिक्षा एजेंसियों के व्यवसायिक मॉडल को भी उलझन में डाल दिया है।

वर्तमान आँकड़े और गिरावट

2024 के पहले नौ महीनों में जारी किए गए 64,008 वीज़ा, 2023 के समान अवधि में जारी 103,495 से काफी कम हैं। रिकॉर्ड दर्शाते हैं कि इस वर्ष का विफलता दर 41% तक पहुँच गया – Daily Pioneer के 25 जनवरी 2025 के लेख के अनुसार, 679,000 आवेदनों में से 279,000 को अस्वीकार किया गया। यह अस्वीकृति दर पिछले शैक्षणिक वर्ष की तुलना में 44.5% गिरावट को दर्शाती है, जो ऐतिहासिक रूप से सबसे अधिक है।

फीसिकल वर्ष 2024 (1 अक्टूबर 2023‑30 सितंबर 2024) में कुल 86,000 भारतीय छात्रों को वीज़ा मिले, जिससे भारत चीन (83,000) को पीछे छोड़ कर शीर्ष स्रोत बन गया। लेकिन 2025 की पहली छमाही (1 अक्टूबर 2024‑31 मार्च 2025) में यह संख्या 14,700 तक घट गई – ApplyBoard के जनवरी 2025 के विश्लेषण के अनुसार, यह 44% की तीव्र गिरावट है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में, 2020 में केवल 6,646 वीज़ा जारी हुए थे। उसके बाद 2021 में 65,235 और 2022 में 93,181 वीज़ा जारी हुए, जिससे एक निरंतर वृद्धि देखी गई। 2023 में भारत ने विश्व भर में 140,000 से अधिक छात्र वीज़ा जारी कर रिकॉर्ड बनाया – U.S. Embassy in New Delhi ने 29 जनवरी 2024 को जारी प्रेस रिलीज़ में कहा था। उस वर्ष, मुंबई, दिल्ली, हर्दराबाद और चेन्नई चारों शहरों ने विश्व स्तर पर शीर्ष छात्र वीज़ा प्रोसेसिंग पोस्ट्स के रूप में नामांकन किया गया था।

इन वर्षों में कुल वीज़ा आवेदन में 60% की वृद्धि हुई, परंतु अब प्रक्रिया में बाधाएं और बख़्त की कमी स्पष्ट हो गई है।

हर्दराबाद और अन्य शहरों की स्थिति

हर्दराबाद में छात्रों की संख्या में अचानक 70‑80% की गिरावट दर्ज की गई। स्थानीय शिक्षा कंसल्टेंटों का कहना है कि वीज़ा अपॉइंटमेंट स्लॉट्स पर लंबे समय तक फ्रीज़ रहने के कारण कई छात्र विदेश जाने से हतोत्साहित हो गए हैं। यह शहर, जो पहले भारतीय आईटी और तकनीकी प्रतिभाओं का प्रमुख निर्यातक था, अब संभावित प्रतिभा को खोने के जोखिम का सामना कर रहा है।

दिल्ली और मुंबई में भी समान प्रवृत्ति देखी गई, परंतु हर्दराबाद की गिरावट अधिक तिव्र रही क्योंकि वहां के कई कोचिंग सेंटर वीज़ा दिशानिर्देशों के बदलते मानकों के कारण मिश्रित प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

  • हर्दराबाद: 80% आवेदक अपॉइंटमेंट न मिलने के कारण रुकावट।
  • दिल्ली: 55% आवेदन में वृद्धि, परंतु अस्वीकृति दर 38% पर स्थिर।
  • मुंबई: 45% आवेदन, लेकिन उच्च अस्वीकृति के कारण निराशा।
भविष्य के प्रभाव और संभावित कारण

भविष्य के प्रभाव और संभावित कारण

डोनाल्ड ट्रम्प के संभावित प्रशासन का नया इमीग्रेशन नीति, विशेष रूप से H‑1B वीज़ा शुल्क में वृद्धि, छात्रों के लिए अस्थिरता को बढ़ा सकता है। Daily Pioneer ने चेतावनी दी है कि यह नीति "केवल वीज़ा संकट नहीं, बल्कि व्यापक शिक्षा संकट" पैदा कर सकती है। यदि वर्तमान प्रवृत्ति जारी रहती है, तो 2025 के अंत तक चीन भारतीय छात्रों को पीछे छोड़कर शीर्ष स्रोत बन सकता है।

ऐसे में कई अमेरिकी विश्वविद्यालय अब वैकल्पिक देशों, जैसे वियतनाम, से छात्रों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। वियतनाम ने इस वर्ष के पहले आधे हिस्से में 20% वीज़ा इश्यू में वृद्धि दर्ज की, जिससे वह तीसरा प्रमुख स्रोत बन गया। यह विविधीकरण दर्शाता है कि अमेरिकी उच्च शिक्षा संस्थान अब केवल भारतीय बाजार पर निर्भर नहीं हैं।

समीक्षा और विशेषज्ञ दृष्टिकोण

शिक्षा विश्लेषक सुश्री नेहा कृष्णा (सलाहकार) ने कहा, "भारत में छात्र संख्या में गिरावट मुख्यतः दो कारणों से है – कूटनीतिक तनाव और प्रक्रिया‑संबंधी देरी। यदि वीज़ा प्रक्रिया को तेज़ किया जाए तो पुनः वृद्धि संभव है।" दूसरी तरफ, अमेरिकी विदेश नीति विशेषज्ञ प्रो. जेम्स रॉबर्ट्स (जैफ़) ने कहा, "ट्रम्प प्रशासन की संभावित नीतियां छात्रों के लिए अनिश्चितता उत्पन्न करेंगी, लेकिन यदि वे अमेरिकी उच्च शिक्षा को वैश्विक प्रतिस्पर्धी बनाना चाहते हैं तो उन्हें वीज़ा नीति में लचीलापन दिखाना पड़ेगा।"

सभी संकेत यह दर्शाते हैं कि भारतीय छात्रों के लिए अमेरिकी शिक्षा की राह अब बहुत अस्थिर हो गई है, और उन्हें वैकल्पिक मार्गों की तलाश करनी होगी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

2024 में वीज़ा गिरावट का मुख्य कारण क्या है?

मुख्य कारणों में अमेरिकी कांसुलर अपॉइंटमेंट स्लॉट्स पर प्रतिबंध, अस्वीकृति दर में वृद्धि, और ट्रम्प प्रशासन की संभावित इमीग्रेशन नीति शामिल हैं। ये सभी कारक मिलकर आवेदन प्रक्रिया को कठिन बना रहे हैं।

हर्दराबाद में 80% गिरावट से शहर को किस हद तक नुकसान पहुँचा है?

हर्दराबाद में कई कोचिंग संस्थानों की आय में घटती हुई देखी जा रही है, और कई छात्रों ने विदेश जाने के बजाय स्थानीय या अन्य देशों के विकल्प चुन लिए हैं, जिससे शहर की आर्थिक और शैक्षणिक प्रतिष्ठा प्रभावित हुई है।

क्या चीन अगले वर्ष भारत को पीछे छोड़ सकता है?

ApplyBoard की रिपोर्ट के अनुसार, यदि वर्तमान गिरावट जारी रहती है, तो 2025 के मध्य तक चीन भारतीय छात्रों को पीछे छोड़कर शीर्ष स्रोत बन सकता है। यह बदलाव अमेरिकी विश्वविद्यालयों की आय और विविधता को भी प्रभावित करेगा।

ट्रम्प प्रशासन की संभावित नीतियों का छात्रों पर क्या असर होगा?

विशेषकर H‑1B वीज़ा शुल्क में वृद्धि से छात्रों के लिए काम की ज्वाइंट अवसर कम हो सकते हैं, जिससे वे अमेरिकी शिक्षा को अपनाने में हिचकिचा सकते हैं। विशेषज्ञ इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि नीतियों में लचीलापन न लाने पर और अधिक छात्रों का चयन वैकल्पिक देशों की ओर हो सकता है।

भविष्य में भारतीय छात्रों को कौन‑से विकल्प उपलब्ध हैं?

कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके की शर्तें अभी भी अपेक्षाकृत अनुकूल हैं। साथ ही वियतनाम जैसे उभरते शैक्षणिक बाजार भी छात्रों को आकर्षित कर रहे हैं, जहाँ वीज़ा प्रक्रिया तेज़ और लागत कम है।

16 Comments

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    Tuto Win10

    अक्तूबर 19, 2025 AT 18:19

    क्या बात है, ये आंकड़े तो धक्के की धारी हैं!!! 2024 में वीज़ा में इतनी गिरावट देखना दिल को छू जाता है... दिमाग घुमा दिया सरकार ने!!

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    Kiran Singh

    अक्तूबर 19, 2025 AT 20:33

    वास्तव में यह गिरावट जॉब मार्केट की अनिश्चितता को दर्शाती है. किसी को भी इस पर अंदाजा नहीं है

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    anil antony

    अक्तूबर 19, 2025 AT 22:46

    सततात्मक वैचारिक विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि सिंथेटिक इमीग्रेशन फ्रेमवर्क का डिसरप्शन संकलित डेटा पॉइंट्स में अभिसरण दर्शाता है। परिणामस्वरूप, एलिगिबिलिटी मैट्रिक्स में नॉन्सेंस रिडक्शन का इम्पैक्ट स्पाइक होता है। यह नैतिकता के दायरे में अनिवार्य रूप से वैध है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी महत्वपूर्ण है।

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    Aditi Jain

    अक्तूबर 20, 2025 AT 00:59

    हमारे दिल में भारत की महिमामयी परंपरा बसती है और विदेशी संस्थानों की इस कडवे नीति को देख कर हमें आत्म-सम्मान की रक्षा करनी चाहिए। भारतीय प्रतिभा को कहीं और उधार नहीं देना चाहिए, बल्कि हमारे अपने विश्वविद्यालयों को सशक्त बनाना चाहिए।

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    Meenal Khanchandani

    अक्तूबर 20, 2025 AT 03:13

    हर्दराबाद में वीज़ा अपॉइंटमेंट की कमी से छात्र विदेश नहीं जा रहे हैं। इससे कोचिंग संस्थानों की आय में भारी गिरावट आई है। कई परिवार अब अपने बच्चों को घरेलू कॉलेज में दाखिला दिला रहे हैं। स्थानीय रोजगार बाजार में प्रतिभा की कमी दिख रही है। इस स्थिति से शहर की शैक्षणिक प्रतिष्ठा कमजोर हो रही है। वीज़ा प्रक्रिया में देरी का मुख्य कारण कांसुलर नीति में बदलाव है। यदि प्रक्रिया को सुगम किया जाए तो स्थिति तुरंत बेहतर हो सकती है। सरकार को छात्र वीज़ा के लिए विशेष स्लॉट्स निर्धारित करने चाहिए। निजी संस्थानों को भी ऑनलाइन सत्रों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। छात्र स्वयं भी वैकल्पिक देशों की जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं। इस समय में छात्रों को मनोवैज्ञानिक समर्थन की भी जरूरत है। परिवारों को आर्थिक रूप से योजना बनानी चाहिए। विश्वविद्यालयों को भारत से दूर देशों में सहयोग बढ़ाना चाहिए। कुल मिलाकर, इस गिरावट को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक है। तभी भारतीय युवा अपनी संभावनाओं को पूरी तरह से साकार कर पाएंगे।

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    Anurag Kumar

    अक्तूबर 20, 2025 AT 05:26

    यदि आप अभी भी वीज़ा के लिए आवेदन कर रहे हैं, तो सलाह है कि DSC (डिजिटल सिग्नेचर) को अपडेट रखें, दस्तावेज़ को दो बार जांचें, और अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए सुबह जल्दी ट्राई करें। साथ ही, सीमा पार विश्वविद्यालय के अकादमिक सलाहकार से संपर्क करना फायदेमंद रहेगा।

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    Prashant Jain

    अक्तूबर 20, 2025 AT 07:39

    यह नीति छात्रों को घिनौना बना रही है, बिल्कुल अस्वीकार्य।

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    DN Kiri (Gajen) Phangcho

    अक्तूबर 20, 2025 AT 09:53

    छात्रों, निराश न हों! अभी भी कई रास्ते हैं जो आपके सपनों को साकार कर सकते हैं। वैकल्पिक देशों की स्कॉलरशिप देखें, ऑनलाइन कोर्स करें, और अपने नेटवर्क को मजबूत बनाएं। विश्वास रखें, सफलता आपके कदमों में ही है।

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    Yash Kumar

    अक्तूबर 20, 2025 AT 12:06

    अरे, बदलते माहौल में कोई भी वैध आशा नहीं बची। एक बार फँस गया तो फिर फर्क नहीं पड़ता, बस बिंदु में रहो।

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    Aishwarya R

    अक्तूबर 20, 2025 AT 14:19

    2025 में H‑1B शुल्क वृद्धि की संभावना ने वीज़ा आंकड़ों को और दुप्पट कर दिया है।

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    Vaidehi Sharma

    अक्तूबर 20, 2025 AT 16:33

    वास्तव में यह स्थिति दिलचस्प है 😊 लेकिन हमें समाधान खोजने की ज़रूरत है।

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    Jenisha Patel

    अक्तूबर 20, 2025 AT 18:46

    सभी संबंधित पक्षों को, विशेषकर इमीग्रेशन विभाग को, इस मुद्दे पर गंभीरता से पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि यह न केवल छात्रों के भविष्य को प्रभावित करता है, बल्कि हमारे देश की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को भी हानि पहुँचा रहा है।

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    Ria Dewan

    अक्तूबर 20, 2025 AT 20:59

    ओह, कितनी अद्भुत बात है, जब नीति बनाते समय छात्रों की भावनाओं को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया जाता है, तो हम सबको गर्व होता है।

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    rishabh agarwal

    अक्तूबर 20, 2025 AT 23:13

    कभी कभी, बाधाएँ हमारे भीतर गहरी समझ को उत्पन्न करती हैं; इस विघातक स्थिति को एक अध्याय के रूप में देखना चाहिए, न कि अंत के रूप में।

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    Nishtha Sood

    अक्तूबर 21, 2025 AT 01:26

    हमें विश्वास रखना चाहिए कि नई तकनीकों और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स के उदय से छात्रों को अधिक अवसर मिलेंगे, और आने वाले वर्षों में स्थिति सुधरने की संभावना है।

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    Manoj Sekhani

    अक्तूबर 21, 2025 AT 03:39

    भाई, ये वीज़ा वाली दिक्कत तो बस एक छोटा अध्याय है।

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