यूके के कंजर्वेटिव पार्टी प्रमुख के रूप में केमी बडेनोच का उदय
ब्रिटेन की राजनीतिक सीन पर फिलहाल एक नया चेहरा उभरकर आया है। केमी बडेनोच, जिन्हें अपने बेबाक और फर्म विचारधारा के लिए जाना जाता है, ने कंजर्वेटिव पार्टी की कमान सँभाल ली है। 44 वर्षीय बडेनोच, जो ब्रेक्सिट की पुरजोर समर्थक हैं, से पहले रिषी सुनक इस पद पर थे। बडेनोच ने अपने भाषणों और विचारधारा से पार्टी के लोगों का दिल जीत लिया। वे एक अफ्रीकी मूल की महिला हैं जिन्होंने ब्रिटेन की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी का नेतृत्व प्राप्त किया है।
बडेनोच, जिन्हें नाइजीरिया में पाला-पोषा गया था, उनकी शिक्षा यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स में कम्प्यूटर सिस्टम्स इंजीनियरिंग में हुई। उनका राजनीति में योगदान 2005 से शुरू हुआ जब उन्होंने कंजर्वेटिव पार्टी में शामिल होकर तीन प्रधानमंत्री के तहत अपनी मंत्री पद की भूमिकाएँ निभाई। बडेनोच की जीत इस बात का संकेत है कि UK की सबसे पुरानी पार्टी में एक और अधिक सख्त दृष्टिकोण की स्थापना की जा रही है, जो प्रवास, जलवायु और सांस्कृतिक राजनीति पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगा।
भारत पर बडेनोच के नेतृत्व का प्रभाव
बडेनोच के नेतृत्व के तहत UK-India संबंधों में विशेषकर व्यापार और प्रवास नीतियों पर प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने पहले ही भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को ब्लॉक करने की बात की है, जो कि भारत की अतिरिक्त वीजा मांग के कारण था। हालांकि, उनके कुछ पूर्व टोरी मंत्री सहयोगियों का मानना है कि उनकी दावे संभवतः सही नहीं हैं क्योंकि वे FTA के लिए सक्रिय रूप से सौदा करने की कोशिश कर रहे थे।
यह देखा गया है कि केमी बडेनोच अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में कुछ अधिक सख्त दृष्टिकोण अपनाती हैं, जो प्रवास और संस्कृति संबंधी मामलों पर उनके रुख में प्रकट होता है। उनकी जीत कंजर्वेटिव पार्टी के लिए एक दाईं दिशा का संकेत देती है। यह भारत के लिए एक चुनौती हो सकता है क्योंकि इस बदलाव के तहत भविष्य के व्यापार समझौतों की बातचीत में कठिनाई हो सकती है।
2029 में संभावित प्रधानमंत्री चुनाव
बडेनोच की राजनीतिक यात्रा अभी और भी ऊँचाई पर जा सकती है। वे 2029 में होने वाले अगले यूके के आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए संभावनाओं की धारा में आ सकती हैं। अगर वे प्रधानमंत्री बनती हैं, तो यह समझा जा सकता है कि उनके नेतृत्व में हुए बदलाव से UK-India के संबंधों में नया आयाम आ सकता है। खासकर व्यापार और प्रवास नीतियों में परिवर्तन की उम्मीद की जा सकती है।
sivagami priya
नवंबर 4, 2024 AT 04:10Anuj Poudel
नवंबर 4, 2024 AT 09:31Aishwarya George
नवंबर 5, 2024 AT 22:59Vikky Kumar
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नवंबर 8, 2024 AT 15:58Uday Rau
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