वायनाड उपचुनाव और बीजेपी की नई रणनीति
भारतीय जनता पार्टी ने वायनाड में एक नया अध्याय लिखने की योजना बनाई है। इस बार पार्टी ने महिला मोर्चा की नेता नव्या हरिदास को मैदान में उतारकर एक अलग रणनीति तैयार की है। यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस बार प्रियंका गांधी जैसे प्रासंगिक विपक्षी नेताओं का मुकाबला है। नव्या हरिदास कौन हैं और वायनाड के राजनीतिक परिदृश्य में उनकी उम्मीदवारी का क्या महत्व है, यह जानना दिलचस्प होगा।
नव्या हरिदास का नाम शायद चुनावी राजनीति के नए दर्शकों के लिए नया हो सकता है लेकिन केरल के राजनीतिक गलियारे में उनकी पहचान अच्छी तरह से स्थापित है। 36 वर्षीय नव्या एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं, जिन्होंने कैलिकट विश्वविद्यालय के केएमसीटी इंजीनियरिंग कॉलेज से अपनी डिग्री हासिल की है। लेकिन उनका यह करियर ग्राफ सिर्फ तकनीकी कौशल तक ही सीमित नहीं रहा। उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई, जहां वह अब दो बार कोझिकोड निगम की पार्षद रह चुकी हैं और बीजेपी के पार्षद के रूप में अपने प्रयासों को जारी रखा है।
नव्या हरिदास का राजनीतिक सफर
बीजेपी ने नव्या हरिदास को खास तौर पर चुना है क्योंकि उनका राजनीतिक अनुभव और सामाजिक मुद्दों पर उनकी समझ ने उन्हें इस भूमिका के लिए परिपक्व बना दिया है। वह बीजेपी महिला मोर्चा की राज्य महासचिव के रूप में भी अपनी सेवाएं देती हैं। 2021 में नव्या ने कोझिकोड दक्षिण से विधानसभा चुनाव लड़ा था, जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के अहमद देवारकोविल से था। हालांकि, यह उनके लिए एक चुनौतीपूर्ण अनुभव था, लेकिन यह अनुभव अब उनके लिए यह उपचुनाव लड़ने की एक प्रेरणा बना है।
यह जानना दिलचस्प होगा कि उन्होंने किस तरह से स्थानीय मुद्दों को अपनी प्राथमिकता बना लिया है। नव्या हरिदास का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने वायनाड के लोगों की आवश्यकताओं को हमेशा अनदेखा किया है और अब समय आ गया है कि एक ऐसा जनप्रतिनिधि चुनें जो उनके मुद्दों को सुने और सक्रियता से संसद में उठाए।
प्रियंका गांधी का मुकाबला और नव्या के विचार
वायनाड का यह उपचुनाव कांग्रेस की प्रियंका गांधी के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है, क्योंकि यह उनका राजनीतिक पदार्पण होगा। भाजपा की तरफ से नव्या हरिदास के खड़े होने का मकसद यह साफ संकेत देता है कि वह इस बार वायनाड में जनता की सहभागिता और उनकी समस्याओं के समाधान पर विशेष ध्यान देना चाहती है।
नव्या का मानना है कि उन्हें जनता से जो समर्थन मिला है, वह उनकी सच्चाई और जमीनी मुद्दों पर ध्यान देने का परिणाम है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वे जीतती हैं, तो वे किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए विशेष योजनाएं लेकर आएंगी, जिनकी यहां सबसे ज्यादा जरूरत है।
उपचुनाव की तिथि और परिणाम का इंतजार
वायनाड उपचुनाव का आयोजन 13 नवंबर को होने जा रहा है और परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। यह चुनाव कांग्रेस के लिए एक बड़ा अवसर होगा कि वह कैसे आकर्षण बनाए रख सकती है, जबकि बीजेपी ने अपने पत्ते ठीक तरह से खेले हैं। देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी की रणनीति कारगर होती है और किसे जनता की बहुमत मिलती है।