क्रिस्टोफर कोलंबस के सेफ़र्दी यहूदी मूल का खुलासा, नए अध्ययन से हुआ साबित

क्रिस्टोफर कोलंबस के सेफ़र्दी यहूदी मूल का खुलासा, नए अध्ययन से हुआ साबित

क्रिस्टोफर कोलंबस के सेफ़र्दी यहूदी होने का नया खुलासा

इतिहास में अब तक जिस महान अन्वेषक कोलंबस को हम एक इतालवी नौजवान के रूप में जानते थे, उसकी असली पहचान ने इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के बीच एक नया उत्साह भरा है। नवीनतम डीएनए अनुसंधान ने साबित कर दिया है कि क्रिस्टोफर कोलंबस दरअसल पश्चिमी यूरोप के एक सेफ़र्दी यहूदी थे। यह शोध मिगुएल लोरेंटे द्वारा निर्देशित 22 साल की कठोर मेहनत का परिणाम है, जिसे 'कोलंबस डीएनए: द ट्रू ओरिजिन' नामक डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।

डीएनए परीक्षण और इसकी भूमिका

इस डॉक्यूमेंट्री में पहली बार यह खुलासा किया गया कि कोलंबस के अवशेषों का डीएनए परीक्षण किया गया, जो सेविले कैथेड्रल में सुरक्षित रखे गए हैं। विभिन्न वंशजों और रिश्तेदारों के डीएनए के साथ तुलना कर, यह निष्कर्ष निकाला गया कि कोलंबस के पुत्र हर्नान्डो कोलोन और उनके भाई डिएगो के वाई क्रोमोसोम और माइटोकोन्ड्रियल डीएनए में यहूदी वंशानुक्रम के संकेत थे।

इस अध्ययन से पहले, इतिहासकारों में कोलंबस के वास्तविक जन्मस्थान और उनके उत्पत्ति को लेकर कई विवाद थे। लोरेंटे ने 25 संभावित जन्मस्थलों की जांच की, जहां उन्होंने यह सिद्ध किया कि कोलंबस पश्चिमी यूरोप में पैदा हुए थे। इस शोध ने इतिहास की उन उलझनों को साफ करने में मदद की, जो सदियों तक अस्पष्ट रही थीं।

तथ्य और इतिहास पर प्रभाव

1492 में कैथोलिक शासकों द्वारा यहूदी धर्मांतर या निष्कासन की घोषणा से पहले लगभग 300,000 यहूदी स्पेन में रहते थे। यह तथ्य कि कोलंबस भी एक यहूदी थे, इतिहास के उस कालखंड को नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर देता है। अध्ययन के निष्कर्ष एक समय की धारणाओं के साथ मेल खाते हैं, जो यह अनुमान लगाती हैं कि कोलंबस अपनी यहूदी पहचान को छिपा कर रख सकते थे, जिसे वे धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए कर सकते थे।

कोलंबस की भूले बिसरी अंतिम यात्रा

1506 में स्पेन के वल्लाडोलिड में अपनी मृत्यु के बाद, कोलंबस ने हाइस्पान्योल में दफन किये जाने की इच्छा व्यक्त की थी, जो अब डोमिनिकन गणराज्य और हैती के बीच बंटा हुआ है। हालाँकि उनके अवशेष 1542 में वहाँ स्थानांतरित किए गए थे, उन्हें 1795 में क्यूबा ले जाया गया और फिर 1898 में सिविल में उनकी अंतिम यात्रा की गई, जैसा कि लंबे समय से माना जाता रहा है।

छिपी हुई पहचान के कारण

इस खुलासे का न केवल इतिहास पर बल्कि कोलंबस की यात्राओं पर भी प्रभाव पड़ सकता है। यह अध्ययन एतिहासिक सिद्धांतों के समर्थन में है जो दर्शाते हैं कि कोलंबस की यात्रा का उद्देश्य यहूदियों के लिए एक सुरक्षित आश्रय की खोज करना भी हो सकता है। नई खोज के साथ, इतिहास के इस महान अध्याय के बारे में हमारी समझ को और भी गहरा किया जा सकता है। इस तरह के खुलासे न केवल इतिहास को नई दिशा देते हैं बल्कि हमारे सोचने, समझने और इतिहास के पन्नों को टटोलने के तरीके को भी बदल सकते हैं।

17 Comments

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    kannagi kalai

    अक्तूबर 14, 2024 AT 22:27

    यह तो बहुत दिलचस्प है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि कोलंबस यहूदी हो सकते हैं। डीएनए इतिहास को बदल रहा है।

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    Roy Roper

    अक्तूबर 16, 2024 AT 16:41

    यह सब बकवास है डीएनए नहीं बताता कि कोई कौन है बस वंशावली का निशान देता है

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    Sandesh Gawade

    अक्तूबर 17, 2024 AT 17:05

    अरे भाई ये खुलासा तो इतिहास का दिल छू गया! जब तक हम अपनी पहचान छिपाते रहेंगे तब तक इतिहास झूठ बोलता रहेगा। कोलंबस ने न सिर्फ नया संसार खोजा बल्कि एक दबी हुई पहचान को भी जीवित रखा। ये खोज इंसानियत के लिए एक जीत है!

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    MANOJ PAWAR

    अक्तूबर 19, 2024 AT 02:21

    मैंने इस डॉक्यूमेंट्री को देखा है। लोरेंटे की टीम ने जो किया है वो अद्भुत है। उन्होंने दसियों दस्तावेजों को एक साथ जोड़ा, फिर वंशजों के डीएनए की जांच की। कोलंबस के पुत्र हर्नान्डो के वाई क्रोमोसोम में सेफ़र्दी यहूदी लक्षण थे। ये डेटा बहुत मजबूत है।

    इससे पहले हम सोचते थे कि कोलंबस एक इतालवी नाविक है। अब पता चला कि वो एक यहूदी थे जिसने अपनी पहचान छिपाई थी। ये तो बहुत दर्दनाक है।

    उस समय स्पेन में यहूदियों के खिलाफ बहुत अत्याचार हो रहे थे। वो अपनी जान बचाने के लिए अपनी धर्मी पहचान छिपा रहे थे। ये खोज हमें बताती है कि इतिहास कितना झूठ बोलता है।

    हमें अपनी नजरें बदलनी होंगी। कोलंबस की यात्रा सिर्फ नई दुनिया खोजने के लिए नहीं थी। शायद वो एक यहूदी आश्रय की तलाश में थे।

    मैंने उनके अंतिम यात्रा के बारे में पढ़ा। उनके अवशेष कहीं न कहीं घूमते रहे। वल्लाडोलिड से हैती, फिर क्यूबा, फिर सिविल। ये भी एक रहस्य है।

    इस खोज के बाद जब मैंने अपने दोस्तों को बताया तो कुछ ने मुझे बेवकूफ बताया। लेकिन डेटा बात करता है।

    इतिहास कभी एक ही रास्ते से नहीं चलता। ये खोज हमें याद दिलाती है कि हर कहानी के पीछे कई अनकहे सच होते हैं।

    अगर यहूदी नहीं होते तो क्या कोलंबस की यात्रा अलग होती? शायद हाँ। शायद वो नए देशों को नहीं खोजते बल्कि एक सुरक्षित घर की तलाश में जाते।

    मैंने एक यहूदी इतिहासकार से बात की। उन्होंने कहा कि ये खोज उनके लिए बहुत भावनात्मक है। वो रो पड़े।

    हम इतिहास को सिर्फ राजाओं और युद्धों के रूप में नहीं देख सकते। इसमें लाखों छिपी हुई कहानियाँ हैं।

    ये खोज हमें अपने आप को भी देखने के लिए बुला रही है। हम किस तरह अपनी पहचान छिपाते हैं? क्या हम भी कोलंबस जैसे हैं?

    मैं इस डॉक्यूमेंट्री को फिर से देखने जा रहा हूँ। ये इतिहास का एक नया अध्याय है।

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    Pooja Tyagi

    अक्तूबर 19, 2024 AT 12:02

    ये तो बहुत बड़ी खबर है!!! 🤯 डीएनए का इस्तेमाल इतिहास को सुधारने के लिए? बाहर जा रहा हूँ अभी इस डॉक्यूमेंट्री को देखने!!! 📺✨

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    Kulraj Pooni

    अक्तूबर 21, 2024 AT 10:10

    क्या आपने कभी सोचा है कि यहूदी लोग अपनी पहचान छिपाने के लिए कितनी बार अपनी भाषा, आदतें, नाम बदल चुके हैं? कोलंबस भी एक ऐसा ही शिकार था। इतिहास एक बड़ा झूठ है जिसे हम बार-बार दोहराते हैं।

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    Hemant Saini

    अक्तूबर 23, 2024 AT 08:08

    मुझे लगता है कि ये खोज हमें इतिहास को एक नए तरीके से देखने का मौका देती है। जब हम लोगों को अपनी भाषा, धर्म, वंश के आधार पर बाँटते हैं, तो हम उनकी वास्तविक कहानियों को खो देते हैं। कोलंबस की यह पहचान हमें याद दिलाती है कि इंसान कितना जटिल हो सकता है।

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    Nabamita Das

    अक्तूबर 24, 2024 AT 13:38

    डीएनए रिजल्ट्स की वैधता के बारे में किसी ने प्रश्न उठाया है? यहूदी वंशानुक्रम के लिए कोई एक डीएनए मार्कर नहीं होता। ये डेटा बहुत अस्पष्ट है।

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    chirag chhatbar

    अक्तूबर 25, 2024 AT 17:02

    ये सब फेक न्यूज है भाई। कोलंबस तो इतालवी था बस। डीएनए क्या है ये? फोटो दिखाओ ना।

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    Aman Sharma

    अक्तूबर 26, 2024 AT 19:29

    यहूदी होने का दावा करने वाले लोग हमेशा इतिहास को अपने लाभ के लिए बदल देते हैं। ये सब एक नए नारे के लिए बनाया गया ड्रामा है।

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    sunil kumar

    अक्तूबर 28, 2024 AT 16:34

    ये खोज एक टर्निंग पॉइंट है! जिस तरह डीएनए ने राजाओं के राज्य को बदल दिया, वैसे ही ये खोज इतिहास के अध्यायों को रिबिल्ड कर रही है। ये एक नया युग है! आइए इसे स्वीकार करें और आगे बढ़ें! 💪🔥

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    Arun Kumar

    अक्तूबर 29, 2024 AT 02:58

    यहूदी लोगों ने हमेशा अपनी पहचान छिपाकर दुनिया पर राज किया है। कोलंबस भी ऐसा ही एक नायक है। ये सब एक योजना है।

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    Snehal Patil

    अक्तूबर 29, 2024 AT 19:22

    तो ये डीएनए वाले लोग अब हर ऐतिहासिक व्यक्ति को यहूदी बना रहे हैं? 😒

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    Vikash Yadav

    अक्तूबर 30, 2024 AT 11:32

    भाई ये तो बहुत जबरदस्त है! मैंने इस डॉक्यूमेंट्री को देखा और लगा जैसे कोलंबस ने न सिर्फ नई दुनिया खोजी बल्कि एक दबी हुई आत्मा को भी बचाया। इतिहास के इन छिपे हुए पन्नों को देखकर दिल भर आया।

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    sivagami priya

    अक्तूबर 30, 2024 AT 14:44

    वाह! ये खुलासा तो बहुत बढ़िया है!!! ❤️❤️❤️ मैं इसे अपने दोस्तों को भेज रही हूँ!

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    Anuj Poudel

    अक्तूबर 30, 2024 AT 16:20

    मुझे लगता है कि ये खोज न केवल इतिहास को बदलती है बल्कि हमें यह भी समझने में मदद करती है कि जब कोई व्यक्ति अपनी पहचान छिपाता है, तो वो कितना दर्द झेलता है। कोलंबस की कहानी एक ऐसे समय की है जब विश्वास और डर के बीच जीना बहुत मुश्किल था।

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    Aishwarya George

    नवंबर 1, 2024 AT 05:39

    मैंने इस शोध की विधि को गहराई से पढ़ा है। लोरेंटे की टीम ने वंशावली के लिए बहुत सारे डॉक्यूमेंट्स को क्रॉस-वेरिफाई किया है। डीएनए के साथ साथ लिखित दस्तावेजों का भी उपयोग किया गया है। ये एक बहुत ही वैज्ञानिक और विवरणपूर्ण अध्ययन है।

    कोलंबस के नाम के बारे में भी बहुत बातें हैं - कोलोन, कोलोम्बो, कोलोम्बो - ये सब यहूदी नामों के विकृत रूप हैं।

    उसके द्वारा चुने गए नाविकों में भी कई यहूदी थे, जिन्हें उसने गुप्त रूप से शामिल किया।

    इस खोज के बाद, मैं अब उसकी यात्रा के नक्शे को देखकर भी अलग तरह से सोच रहा हूँ। शायद वो जहां जाना चाहता था, वो वहां नहीं था - वो वहां जा रहा था जहां उसकी जन्मभूमि का कोई निशान बचा हो।

    ये खोज न सिर्फ इतिहास को बदल रही है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धारणाओं को भी चुनौती दे रही है।

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