Bajaj Finance शेयरों में अचानक गिरावट: बोनस और स्टॉक स्प्लिट के बाद कीमत ₹9,334 से ₹1,000 से नीचे कैसे पहुंची?

Bajaj Finance शेयरों में अचानक गिरावट: बोनस और स्टॉक स्प्लिट के बाद कीमत ₹9,334 से ₹1,000 से नीचे कैसे पहुंची?

Bajaj Finance के शेयर में अचानक आई भारी गिरावट का असली कारण

सोचिए, सुबह उठकर आप अपना पोर्टफोलियो देखें और Bajaj Finance के शेयर कल तक जहां ₹9,334 पर थे, आज अचानक ₹1,000 से भी नीचे। सोशल मीडिया से लेकर निवेशकों के व्हाट्सऐप ग्रुप तक सब जगह सिर्फ एक ही सवाल—आखिर हुआ क्या?

असल में, Bajaj Finance के शेयर में यह शेयर बाजार की गिरावट किसी बुरी खबर या कंपनी के खराब प्रदर्शन की वजह से नहीं हुई। इसकी वजह दो बड़े कॉर्पोरेट एक्शन—एक तो 4:1 बोनस शेयर जारी करना, दूसरा 1:2 स्टॉक स्प्लिट। मतलब, हर शेयर पर 4 बोनस और फिर हर शेयर दो हिस्सों में बंट गया।

नंबरों की जादूगरी: शेयर वैल्यू में तकनीकी बदलाव

आईये इसे एक आसान उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए, आपके पास पहले एक शेयर था जिसकी कीमत ₹9,334 थी। कंपनी ने हर एक शेयर पर 4 फ्री बोनस शेयर दे दिए, यानी अब आपके पास 5 शेयर हो गए (1 पुराना + 4 बोनस)। उसके बाद हर शेयर को दो हिस्सों में बांट दिया गया, यानि आपके पास अब 10 शेयर हैं। इसका मतलब, एक शेयर की कीमत करीब ₹933.4 रह गई।

शेयर बाजार में निवेशकों को सबकुछ ऑन-डिमांड मिलता है, लेकिन इन कॉर्पोरेट एक्शन की प्रोसेसिंग में थोड़ा वक्त लगता है। इसी वजह से एक-दो दिन तक शेयर की कीमतों में असामान्य हलचल दिखती है। 16 जून 2025 को, जिस दिन से ये बदलाव लागू हुए, स्टॉक एक्सचेंज्स पर कीमतों को नए हिसाब से दिखाना पड़ा, लेकिन असल में बोनस के शेयर निवेशकों के डीमैट अकाउंट में अभी पहुंचे नहीं थे। इससे अस्थायी भ्रम और घबराहट फैली।

यह सारी गिरावट केवल कागजों पर और शेयर बाजार की तकनीकी व्यवस्था के कारण थी। कंपनी के फंडामेंटल पर इसका कोई असर नहीं—क्योंकि आपके कुल निवेश का मूल्य लगभग पहले जैसा ही है, बस शेयरों की गिनती ज्यादा हो गई और कीमत कम।

ये कॉर्पोरेट एक्शन क्यों किए जाते हैं? कंपनियां ऐसा इसीलिए करती हैं ताकि छोटे निवेशकों के लिए शेयर को खरीदना सस्ता और आसान हो जाए। जिस शेयर की कीमत पहले ₹9,000 से ज्यादा थी, फर्स्ट-टाइम निवेशकों के लिए हासिल करना मुश्किल रहता। अब, शेयर क़रीब ₹900-₹1,000 के दायरे में आने के बाद उसकी लिक्विडिटी और ट्रेडिंग वॉल्यूम में बढ़त आती है।

बाजार विशेषज्ञों का भी यही कहना है कि ऐसी गिरावट से घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि यह सिर्फ कीमत में फॉर्मूला बेस्ड बदलाव है। असली ग्रोथ या लॉस कंपनी के बिजनेस और क्वार्टरली नतीजों पर निर्भर करता है, ऐसे तकनीकी बदलाव पर नहीं।

कंपनी की तरफ़ से भी ये साफ किया गया है कि जिन निवेशकों के पास रिकॉर्ड डेट यानी 16 जून तक शेयर थे, उन्हें कुछ ही दिनों में उनके बोनस शेयर मिल जाएंगे। उसके बाद पोर्टफोलियो संभालकर देखें, तो वैल्यू करीब वही मिलेगी जैसी पहले थी—बस शेयरों की गिनती अधिक नजर आएगी।

अगर ऐसे कॉर्पोरेट एक्शन को समझा जाए तो भविष्य में ऐसी हलचल देखकर घबराने की जरूरत नहीं। यह असल में कंपनी के शेयर को ज्यादा सुलभ बनाकर निवेशकों को जोड़ने की रणनीति है, न कि कंपनी की कमजोरी का संकेत।