आईएएस प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर को मिला अवैध अतिक्रमण का नोटिस
पुणे नगर निगम (पीएमसी) ने आईएएस प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर को उनके निवास स्थान पर अवैध अतिक्रमण के संबंध में नोटिस भेजा है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब निगम के अतिक्रमण विभाग ने खेडकर के निवास स्थान पर बिना अनुमति के निर्माण कार्य, सार्वजनिक सड़कों या फुटपाथों पर अवरोध पाए। खेडकर के खिलाफ पूरी जांच और नोटिस जारी करने की कार्रवाई शुरू की गई है।
अतिक्रमण विभाग की कार्रवाई
पीएमसी के अतिक्रमण विभाग का कार्य पहले नोटिस भेजना, फिर सर्वेक्षण करना और अंततः अवैध संरचनाओं को हटाना या साफ़ करना शामिल है। अगर मालिक नोटिस का अनुपालन नहीं करता है तो अतिक्रमण विभाग बिना किसी दूसरे चेतावनी के निर्माण को ध्वस्त कर देता है। इस मामले में खेडकर को उक्त निर्माण हटाने के लिए कहा गया है। यह कानून और आईपीसी की धारा 188 के तहत प्रशासनिक कार्रवाई का हिस्सा है।
नजर संबंधित विवाद और जांच
पूजा खेडकर पर केवल अवैध अतिक्रमण का आरोप नहीं है बल्कि उन पर अन्य विवादास्पद आरोप भी हैं। उन पर विकलांग और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा का दुरुपयोग करके आईएएस पद प्राप्त करने का आरोप है। अगर यह सच पाई जाती है, तो उन्हें सेवा से निष्कासित कर दिया जाएगा और वे आपराधिक आरोपों का सामना कर सकती हैं।
तबादला और अन्य विवाद
पूजा खेडकर का तबादला पुणे से वाशिम जिला कलेक्टर कार्यालय में कर दिया गया है। पुणे में उनके कार्यकाल के दौरान, उन पर जूनियर स्टाफ को धमकाने और अतिरिक्त कलेक्टर अजय मोरे के कक्ष को अवैध रूप से कब्ज़ा करने के आरोप लगे थे। इन कारणों से संबंधित विस्तृत जांच भी चल रही है।
आरटीओ और अन्य आरोप
खेडकर द्वारा उपयोग की जा रही ऑडी कार को लेकर भी विवाद उत्पन्न हुआ है। इस गाड़ी पर लाल बत्ती और 'महाराष्ट्र सरकार' लिखा हुआ था, और यह एक प्राइवेट कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड थी। पुणे परिवहन कार्यालय (आरटीओ) ने इस मुद्दे पर कंपनी को नोटिस जारी किया है।
नवी मुंबई पुलिस द्वारा आरोप
नवी मुंबई पुलिस ने भी खेडकर पर आरोप लगाया कि उन्होंने एक चोरी के मामले में गिरफ्तार व्यक्ति को रिहा करने के लिए एक डीसीपी रैंक अधिकारी पर दबाव बनाने की कोशिश की। साथ ही, खेडकर की मां मनोरमा पर एक किसान को हथियार से डराने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मामला एक भूमि विवाद से संबंधित है।
अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन की सख्ती
यह घटना एक उदाहरण है कि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भी किए गए अतिक्रमण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुणे नगर निगम की सख्ती यह दिखाती है कि सार्वजनिक रास्तों और फुटपाथों का अवैध उपयोग किसी भी सूरत में सही नहीं है चाहे वह एक साधारण नागरिक हो या आईएएस अधिकारी।
निजी जीवन और सार्वजनिक ज़िम्मेदारी
पूजा खेडकर के विवादित आरोप एक बार फिर अधिकारियों के व्यक्तिगत जीवन और उनके सार्वजनिक ज़िम्मेदारी के प्रति समर्पण पर सवाल उठाते हैं। एक अधिकारी वाकई समाज के लिए आदर्श भूमिका निभाता है लेकिन इन आरोपों ने इस आदर्श छवि पर धब्बा डाल दिया है।
आने वाले कदम
पूजा खेडकर के खिलाफ आरोपों और अतिक्रमण मामले में प्रशासन द्वारा क्या कदम उठाए जाएंगे, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। यह भी देखना होगा कि प्रशासनिक और आपराधिक जांचों में उन्हें दोषी पाया जाता है या नहीं। अगर उन्हें दोषी पाया जाता है तो यह उनके करियर के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है।
निष्कर्ष
आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ लगे आरोप और अतिक्रमण मामले ने सरकार और प्रशासनिक सिस्टम में विश्वास की परीक्षाओं को और भी कड़ा कर दिया है। यह मामला न सिर्फ पुणे नगर निगम बल्कि समग्र शासन प्रणाली को मजबूती से लागू करने की एक चुनौती है। आने वाले दिनों में इस घटनाक्रम का अंतिम परिणाम क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।